
मानवता भलाई को समर्पित कल्याणकारी कार्यों में हमेशा रही अग्रणी
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। Body Donation: डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी जहां जीते जी मानवता भलाई कार्यों में अग्रणी रहते हैं वहीं इस दुनिया से रुख्सत होने के बाद भी इन्सानियत के काम आकर अनूठी मिसाल पेश कर जाते हैं। इसी क्रम में एमएसजी कॉॅम्पलेक्स निवासी बुगली देवी इन्सां धर्मपत्नी जगदीश चन्द्र इन्सां नेत्र और शरीरदानियों की सूची में शुमार हो गर्इं। वो भरा पूरा परिवार छोड़ गई हैं। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा से माता बुगली देवी जीते जी मानवता भलाई के कार्यों में शुमार रही और अपने पूरे परिवार को भी राम नाम से जोड़ा। उनके मरणोपरांत पार्थिव शरीर को मेडिकल शोध कार्य हेतु दान किया गया। Sirsa News
जानकारी देते हुए उनके पुत्र राजेश कुमार ने बताया कि माता बुगली देवी इन्सां ने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से 1985 में गुरुमंत्र प्राप्त किया था वो पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही थी। वीरवार को वे अपनी स्वांसों रूपी पूंजी पूर्ण कर कुल मालिक के चरणों में सचखंड जा विराजी। उनके सचखंड जाने के बाद, उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार परिजनों ने शरीरदान का संकल्प पूरा किया। उनके परिवारजनों ने पार्थिव शरीर को ‘वर्ल्ड कॉलेज आफ मेडिकल सार्इंस एंड रिसर्च एंड अस्पताल’ झज्जर में दान की। यह शरीरदान पूज्य गुरु जी द्वारा मानवता को समर्पित 170 कल्याणकारी कार्यों में से ‘अमर सेवा’ मुहिम के अंतर्गत किया गया।
सचखंडवासी माता बुगली देवी इन्सां की पार्थिव देह को फूलों से सजी एंबुलेंस में रवाना किया गया। सचखंडवासी माता की अंतिम विदाई के दौरान शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर कमेटी के सदस्य, साध-संगत व रिश्तेदारों ने भारी संख्या में शिरकत की और नारे लगाए ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, माता बुगली देवी इन्सां तेरा नाम रहेगा, माता बुगली देवी इन्सां अमर रहे।’ इससे पूर्व डेरा सच्चा सौदा की मुहिम बेटा-बेटी एक समान की भावना को आगे बढ़ाते हुए, माता बुगली देवी इन्सां की अर्थी को पुत्र राजेश कुमार, पुत्रियां- सुनीता, सेवादार बहन सरला, बहन कांता ने कंधा दिया। Sirsa News
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