जिसके अपने ही हुए पराए, उसके लिए डेरा सच्चा सौदा सेवादार बने मसीहा

कोटा (सच कहूँ न्यूज)। किस्मत भी आदमी के साथ कैसा-कैसा खेल खेलती है। एक समय था जब हरिशंकर मोबाईल की दुकान चलाकर अच्छी खासी कमाई करता था और घर वालों का सहारा बना हुआ था। किस्मत ने ऐसा खेल खेला कि उसके लकवा हो गया और पत्नी भी दुनियां छोड़कर चली गई। लकवा हो जाने के बाद हरिशंकर को घर वालों ने घर से निकाल दिया। सेवादार राजेन्द्र सिंह हाड़ा के अनुसार बूंदी जिले के देहित गांव निवासी 32 वर्षीय हरिशंकर पुत्र गणेश लाल ने बताया कि वह बूंदी रोड स्थित पाटन चौराहे पर मोबाईल की दुकान लगाता था। दुकान बहुत अच्छी चलती थी। उसके विवाह के बाद उसके दो बच्चे भी हुए। अचानक भगवान उससे ऐसा रूठा कि उसके लकवा हो गया और उसकी पत्नी की भी मृत्यु हो गई। दो बच्चे हैं जिनका पालन पोषण भाईयों के पास हो रहा है।

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लकवा हो जाने से मोबाईल की दुकान भी बन्द हो गई और घर वालों ने भी कमाई नहीं करने के कारण घर से निकाल दिया। जायें तो जायें कहां इसी उलझन के चलते दर-दर की ठोकरें खाता हुआ हरिशंकर अपनी किस्मत को लेकर इधर-उधर भटकता रहा। अचानक डेरा सच्चा सौदा के 45 मेम्बर सेवादारों एवं अन्य जिम्मेवारों को जब पता चला तो हरिशंकर को संभाला और उसको ढांढस बंधाया। इसके बाद हरिशंकर को बूंदी रोड स्थित डेरा सच्चा सौदा आश्रम में लाया गया और सार-संभाल की गई। करीब डेढ़ महिने से हरिशंकर कोटा आश्रम पर रहकर अपना गुजर बसर कर रहा है। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार दया मेहर के चलते हरिशंकर को बीमारी से भी कुछ राहत मिली है। उसने बताया कि यहां पर सभी लोग पॉजीटिव विचारों के हैं और में दिन भर ‘धन धन सतगुरू तेरा ही आसरा’ नारे का जाप करता हूं जिससे मेरा आत्मबल मजबूत हुआ है।

साथ ही यहां पर खाने-पीने की मैरे लिये अच्छी व्यवस्था हो जाने के कारण शरीर से भी स्वस्थ होता जा रहा हूं। हरिशकर को मंगलवार को डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों ने नये शूज पहनाये तो खुशी के मारे उसकी आंखें नम हो गई। वह कहने लगा कि भगवान मुझसे रूठ गया, पत्नी की मृत्यु हो गई, दुकान भी बन्द हो गई, घर वालों ने घर से निकाल दिया, लकवे के कारण शरीर ने साथ छोड दिया, परन्तु डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों ने मुझे संभाला तथा मुझे हौंसला दिया। हरिशंकर का कहना है कि भला हो डेरा सच्चा सौदा के 45 मेम्बर सेवादारों का जिन्होंने मेरी हालात पर तरस खाया और पूज्य गुरुजी की कृपा से आश्रम में रहने और खाने पीने की व्यवस्था की।

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