‘‘दूरस्थ शिक्षा: विपरीत परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त करने की बेहतर राह’’

Distance Education

दूरस्थ शिक्षा, शिक्षा प्राप्त करने का एक ऐसा विकल्प है जिसमें विद्यार्थी नियमित विद्यालय जाने के बजाए घर पर रहकर ही शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इस पद्धति में छात्र-छात्राओं को परीक्षा के लिए ही निर्धारित परीक्षा केन्द्रों पर जाना पड़ता है। पूरे देश में अनेक ऐसे संस्थान हैं जहाँ माध्यमिक एवं डिग्री स्तर पर दूरस्थ शिक्षा दी जा रही है। उत्तर प्रदेश भी पत्राचार शिक्षा संस्थान, प्रयागराज के माध्यम से उन सभी बालक- बालिकाओं को शिक्षा देने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील है, जो विद्यालयों में किसी कारण से प्रवेश नहीं ले पाते हैं।

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जो छात्र-छात्राएं कक्षा-10 वीं पास/उत्तीर्ण करने के पश्चात या 11 वीं पास करने के पश्चात किसी भी विद्यालय में प्रवेश नहीं ले पाते हैं तो 10 वीं पास विद्यार्थी को दो वर्षीय एवं 11वीं उत्तीर्ण छात्र-छात्रा को 1 वर्षीय कोर्स के लिए अपना पंजीकरण कराना होता है। पंजीकरण के उपरान्त छात्र-छात्राएं संस्थान से प्राप्त शिक्षण सामग्री से घर पर रहकर अध्ययन करते हैं। परीक्षा का पाठ्यक्रम वही रहता है जो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त संस्थानों में होता है तथा इनकी परीक्षा भी यूपी बोर्ड के अन्तर्गत ही आयोजित होती है। इस प्रकार जो छात्र-छात्राएं आर्थिक कारणों से नौकरी करने लगते हैं या ज्यादा उम्र होने के करण नियमित शिक्षा के लिए स्कूलों में प्रवेश नहीं ले पाते हैं उनके लिए दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इण्टरमीडिएट उत्तीर्ण करना उनके बेहतर कैरियर निर्माण में मददगार साबित होता है।

दीवान इण्टर कॉलेज, मेरठ रोड, हापुड़ भी उत्तर प्रदेश पत्राचार शिक्षा संस्थान, प्रयागराज का पंजीकरण केन्द्र है जहां प्रत्येक वर्ष अनेक छात्र-छात्राएं अपना पंजीकरण कराते हैं। इस पंजीकरण केन्द्र पर कक्षा-11वीं फेल भी अपना पंजीकरण कराकर 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर सकते हैं। पंजीकरण विज्ञान वर्ग, मानविकी वर्ग या वाणिज्य वर्ग के विषयों में कराया जा सकता है जहाँ पढ़ने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है। इसके साथ-साथ विद्यालय में केजुअल प्रवेश लेकर नियमित छात्रों के साथ पढ़ भी सकते हैं।

                                                                   डॉ. मनोज कुमार, प्रधानाचार्य- दीवान इण्टर कॉलेज, हापुड़                                                               टेनिस स्टार सानिया ने जहां से करियर शुरु, वहीं किया खत्म

टेनिस स्टार सानिया ने प्रदर्शनी मैच खेलकर किया शानदार यात्रा का समापन

हैदराबाद। भारत की महान टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने ‘खुशी के आंसुओं’ के साथ रविवार को एक खिलाड़ी के तौर पर अपनी शानदार यात्रा का समापन उसी स्थान से किया, जहां से उन्होंने इसकी शुरुआत की थी। सानिया ने लाल बहादुर टेनिस स्टेडियम में प्रदर्शनी मैचों में खेलकर अपने पथ-प्रदर्शक सफर को आखिरकार अलविदा कह दिया जहां उन्होंने करीब दो दशक पहले ऐतिहासिक डब्ल्यूटीए एकल खिताब के साथ बड़े मंच पर अपने आगमन के संकेत दे दिए थे। इन प्रदर्शनी मैचों में रोहन बोपन्ना, युवराज सिंह और उनकी सबसे अच्छी मित्र बेथानी माटेक सैंड्स शामिल थीं।प्रदर्शनी मैचों को देखने पहुंचने वालों में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन सहित कई हस्तियां शामिल थीं।

छत्तीस वर्षीय सानिया लाल रंग की कार में स्टेडियम पहुंची और कई नामी गिरामी हस्तियों सहित दर्शकों ने तालिया बजाकर उनका अभिनंदन किया। सानिया अपने विदाई भाषण में भावुक हो गई, उन्होंने कहा कि उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान देश के लिए 20 साल तक खेलना रहा है। छह बार (तीन महिला युगल में और तीन मिश्रित युगल में) की ग्रैंडस्लैम विजेता ने दो मिश्रित युगल प्रदर्शनी मैच खेले और दोनों जीते।

सानिया ने यहां इस स्थल पर कई यादगार खिताब जीते हैं जिसे किसी उत्सव की तरह सजाया गया जिस पर ‘सेलीब्रेटिंग द् लीगेसी आॅफ सानिया मिर्जा’ जैसे बैनर लगे थे। कुछ प्रशंसकों ने प्लेकार्ड पकड़े हुए थे जिस पर लिखा था, थैंक यू फॉर द् मैमोरिज और वी विल मिस यू, सानिया लिखा था। दर्शकों में ज्यादातर स्कूल के बच्चे थे और जैसे ही सानिया ने कोर्ट में कदम रखा, वे चीयर करने लगे।

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