‘आपदा में किसी की जान गई तो किसी की आवाज, कई सदमे में’
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ग्लेशियर फटने के चलते हुए था भीषण हादसा
सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। वैसे तो इंसान आराम परस्ती का काम अधिक पसंद करता है, लेकिन बहुतेरे लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें दुर्गम क्षेत्रों में चुनौती भरे काम पंसद होते हैं। इन्हीं में से एक हैं हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले डा. प्रदीप भारद्वाज। उत्तराखंड के चमोली में आई प्राकृतिक आपदा में उनका कार्य अतुलनीय है। सिक्स सिगमा स्टार हेल्थकेयर संस्था के माध्यम से वे वहां चिकित्सा सेवाएं दे रहे हैं।
इस आपदा को उन्होंने करीब से देखा है। ग्लेशियर फटने की सूचना के तुरंत बाद बीते रविवार को ही सिक्स सिगमा स्टार हेल्थकेयर के सीईओ डॉ. प्रदीप भारद्वाज अपनी टीम को लेकर चमोली पहुंचे। रात करीब 9 बजे अपनी टीम के साथ उन्होंने आपदा वाली जगह यानी चमोली के रेणी में प्रवेश किया। इस आपदा को बेहद ही करीब से देखने के बाद डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने आँखों देखा हाल सांझा करते हुए कहा कि वहां का जो मंजर था, वह शायद ही हर किसी की आंखें देख सकती हों। हादसे को अपनी आंखों से देखने वाले कई लोगों से उन्होंने मुलाकात करके उनको चिकित्सा सेवाएं देनी शुरू की हैं।
इनमें कईयों की हालत ऐसी है कि किसी की आवाज चली गई है तो कोई गहरे सदमे में है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी समेत सभी बचाव दलों के साथ डॉ. प्रदीप भारद्वाज व उनकी टीम भी लोगों की सेवा में जुटी है। वे बाते हैं कि उन्होंने इस हादसे का शिकार हुए 11 लोगों के ऐसे शवों को देखा, जो कीचड़ में धंसे पड़े थे। शवों को देख पाना बहुत मुश्किल था। संभवत: वे शव वहां काम करने वाले मजदूरों के ही थे। जिनके पास कोई पहचान पत्र नहीं था। इसलिए उनकी पहचान बड़ी चुनौती है। हो सकता है कि डीएनए करके ही उनकी पहचान की जाए।
या तो शव पहुंच रहे या मानसिक संतुलन खो चुके लोग
डॉ. प्रदीप भारद्वाज के नेतृत्व में चमोली की घटना में प्रभावित हुए लोगों को चिकित्सा सेवाएं देने में 350 डॉक्टर्स की टीम जुटी है। डॉ. भारद्वाज का कहना है कि उनके पास ज्यादातर या तो शव ही लाए जा रहे हैं या फिर मानसिक संतुलन खो चुके लोगों को लाया जा रहा है। डॉ. प्रदीप के मुताबिक 17 गांवों के लोगों ने इस भयानक मंजर को देखा। वे वहां काम करने वाले लोगों को चिल्ला-चिल्लाकर भागने की कह रहे थे। इस दृश्य को देखने वाले अधिकांश ग्रामीणों की हालत अब बहुत खराब है। उम्रदराज लोगों की संख्या अधिक है। कईयों को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है।
डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि उनके पास कुछ ग्रामीण एक ऐसी महिला को लेकर आए, जिसने इस हादसे को करीब से देखा। हादसे के बाद से वह बोल नहीं पा रही है। ग्रामीणों के मुताबिक पहले वह बिल्कुल ठीक थी, बोलती थी। इसलिए क्षेत्र के लोगों की चिकित्सा के साथ-साथ काउंसलिंग भी की जा रही है। उन्हें मानसिक रूप से मजबूत किया जा रहा है। डॉ. प्रदीप भारद्वाज के मुताबिक जो गांव इस हादसे से प्रभावित हुए हैं, उनके संस्था की ओर से कैंप लगाए जा रहे हैं। लोगों को चिकित्सा सेवाएं दी जा रही हैं। लोग अभी भी दहशत और तनाव में हैं। कई गांवों के लोग सुरक्षित स्थानों पर बैठकर पूरी नदी पर निगाहें रख रहे हैं। ताकि ऐसा बवंडर दोबारा आए तो सबको सचेत किया जा सके।
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