हर तीसरा मानसिक रोगी स्मैक-चिट्टे का आदी! समाज को नशे रूपी दैत्य से बचा रही पूज्य गुरु जी की ‘डेप्थ मुहिम’

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हनुमानगढ़ (सच कहूँ/हरदीप सिंह)। जिले में तेजी से पांव पसार रहा नशा युवाओं को खोखला कर रहा है। मुख्य रूप से जिले में स्मैक-चिट्टे का प्रचलन बढ़ रहा है। इसका लगातार सेवन युवाओं को मौत के मुंह में धकेल रहा है। कुछ दिनों के अन्तराल में नशे से मौत के समाचार सुनने को मिल रहे हैं। सरकार-प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद नशे पर लगाम कसती नजर नहीं आ रही। नशा किस अदर अपनी जड़ें पसार रहा है इसका उदाहरण टाउन के महात्मा गांधी स्मृति राजकीय जिला चिकित्सालय में रोजाना पहुंच रहे हर तीसरे मानसिक रोगी के नशे का आदी होना है। Hanumangarh News

राजकीय जिला चिकित्सालय के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. भानसिंह गोदारा ने बताया कि जिला चिकित्सालय में रोजाना 150 से 200 मानसिक (साइकेट्रिक) रोगी आते हैं। इसमें अूममन देखने को मिलता है कि हर तीसरा मरीज किसी न किसी नशे का आदी है। यानि करीब 50 से 60 मरीज नशे के आदी मिलते हैं। वर्तमान में मुख्य रूप से स्मैक, चिट्टा का प्रचलन है। शुरुआत में युवा वर्ग के लोग जाने-अनजाने में आनंद के लिए नशा लेते हैं। लेकिन कुछ समय बाद ही वे इसके आदी हो जाते हैं।

जब वे नशा छोडऩे की कोशिश करते हैं तो उन्हें शारीरिक व मानसिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसमें हाथ-पैर दर्द करना, नींद नहीं आना आदि शामिल है। इसके बाद मरीज उन तकलीफों को दूर करने के लिए दोबारा नशा करने लग जाता है। इस प्रकार नशे की प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है। 18 से 25 वर्ष की युवा पीढ़ी विशेषकर दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले वर्ग के युवा नशे के आदी हो रहे हैं। हाल-फिलहाल इनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

इनका भी नशे के रूप में प्रयोग | Hanumangarh News

डॉ. गोदारा ने बताया कि नशा करने के आदी लोग मेडिकल से प्रतिबंधित दवाइयां खरीदकर उनका नशे के रूप में प्रयोग करते हैं। जब उन्हें वह दवाइयां नहीं मिलती तो होने वाली तकलीफ दूर करने के लिए सरकारी चिकित्सालय आते हैं। वे डॉक्टरों की ओर से भी लिखी गई दवाइयां अधिक मात्रा में सेवन करने लग जाते हैं। हालांकि इसे रोकने के लिए रोगियों का रिकॉर्ड संधारित किया जाता है। लेकिन फिर भी रोजाना इस तरह की समस्या सामने आ रही है।

धीरे-धीरे बंद करें दवाइयों का सेवन

डॉ. गोदारा ने बताया कि शुरुआती दौर में नशा करने वाले व्यक्ति में व्यवहारिक परिवर्तन नजर आता है। इसके तहत बोलचाल, रहन-सहन, आदतों में परिवर्तन शामिल है। इस व्यवहारिक परिवर्तन का पता चलते ही परिजनों को बारिकी से नशा करने वाले परिवार के सदस्य पर नजर रखनी होगी। जितना जल्द इस व्यवहारिक परिवर्तन को समझकर डॉक्टरी सलाह से दवा ली जाए तो नशे से छुटकारा भी मिल सकता है।

नशा छोडऩे के लिए डॉक्टरी सलाह पर दवाइयां ले रहे मरीज को चाहिए कि वह जितना जल्द हो सके, नशे के उपचार के लिए जो दवाइयां ले रहा है उनका भी धीरे-धीरे सेवन बंद करे। अन्यथा उन दवाइयों के सेवन की भी आदत पडऩे की संभावना होती है। उन्होंने पुलिस से भी अपील की कि अवैध रूप से बढ़ रही नशे की बिक्री को मुस्तैदी से रोका जाए ताकि युवा वर्ग नशे से दूर हो सके। Hanumangarh News

अखिल भारतीय नशामुक्त अभियान की शुरूआत

पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने गत 3 नवंबर को शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा, यूपी से लाइव कार्यक्रम दौरान अखिल भारतीय नशामुक्त अभियान की शुरूआत की, जिसको ड्रग इरेडीकेशन पेन-इंडिया थ्रू हैल्थ एंड मैडिटेशन का नाम दिया गया। ध्यान, योग एवं स्वास्थ्य द्वारा अखिल भारतीय नशामुक्ति अभियान का मूल उद्देश्य हिंदुस्तान से नशे को जड़ से खत्म करना है। इस अभियान को कारगर बनाने के लिए डेरा सच्चा सौदा गांव, कस्बे व शहरी स्तर पर स्थानीय साध-संगत का सहयोग लेगा। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में जागरूकता कैंपों के अलावा योग एवं ध्यान क्रियाओं के जरीये लोगों को नशा छोड़ने के लिए प्र्रेरित किया जाएगा, वहीं स्वास्थ्य कैंप भी लगाए जाएंगे जिनमें नशे के आदि लोगों का उपचार भी किया जाएगा।

नशा विरोधी मुहिम

बता दें कि डेरा सच्चा सौदा ने वर्ष 1948 में अपनी स्थापना से ही नशा विरोधी मुहिम शुरू की हुई है। डेरा सच्चा सौदा के तीन नियमों के अनुसार, यहां का सत्संगी बनने के लिए उसे सबसे पहले नशीले पदार्थाेंं का सेवन छोड़ना होता है। मांस-अंडा-शराब सहित तमाम दुनियावी नशों को छोड़कर हर व्यक्ति को इंसानियत के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी जाती है। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज एवं दूसरी पातशाही पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने हमेशा सत्संगों में लोगों को नशों के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत करवाया और सदा नशा रहित जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।

पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने नशामुक्त समाज की इस मुहिम को नई गति देते हुए सत्संग लगाकर लोगों को बड़े नशों के साथ-साथ बीड़ी, गुटखा जैसे पारंपरिक नशों को भी छोड़ने के लिए उत्साहित किया। काबिलेगौर है कि उन सत्संगों के दौरान ही लोगों द्वारा भविष्य में नशा न करने का संकल्प लेते हुए अपनी जेबों से गुटखे, बीड़ी मंडल निकाल कर बड़े ढ़ेर लगा दिए जाते थे, जो इस बात की गवाही भरते थे कि सत्संग से समाज को नई दिशा मिल रही है। डेरा सच्चा सौदा अपने 74 साल के इतिहास में अब तक 6 करोड़ से अधिक लोगों को नशे से परहेज का संकल्प करवा चुका है। नशे के कारण जिस घरों में हमेशा नरक जैसा माहौल बना रहता था, डेरा सच्चा सौदा के प्रयास से अब उन घरों में जन्नत सा नजारा देखने को मिलता है। Hanumangarh News

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