मानसून की राहत, लोगों पर आफत बनकर बरसी गरीबों के आशियाने ढहे, फसलें तबाह

  • मानसून की राहत, लोगों पर आफत बनकर बरसी

  • गाँव शेरगढ़ में बरसात के कहर से ढही गरीब के आशियाने की छत, परिवार बाल-बाल बचा

  • गाँव वरियाम खेड़ा व ढींगावाली में मकानों में आई दरारें

अबोहर/बल्लुआना। (सच कहूँ/सुधीर अरोड़ा) हल्के में पिछले काफी दिनों से लगातार हो रही मानसून बरसात आफत बनकर बरसने से दर्जनों गरीबों के आशियाने ढह ढेरी हो चुके है, तो वहीं किसानों की फसलें तबाह होने से क्षेत्र में आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है। इसी बीच गाँव वरियाम खेड़ा व ढींगावाली में लोगों के मकानों में आई दरारें आ चुकी है। गाँव ढींगांवाली में विजय गोदारा के घर की दीवार में दरार व जयचन्द सेवटा के बरामदे, राजिंदर सेवटा के कमरे की छत गिरने से सामान का काफी नुकसान हो गया। दूसरी ओर गाँव शेरगढ़ के एक ओर मजदूर व्यक्ति के घर के मकान की छत गिर जाने का समाचार प्राप्त हुआ है। पीड़ित चंदू राम पुत्र स्व.वेद प्रकाश ने बताया कि उसके पास एक ही कच्चा मकान है।

जिसमें वह पत्नी समेत दो बेटों और एक बेटे के साथ रह रहा था। मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। पिछले दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण उसके पास जो एक मकान था। उसकी छत भी गिर गई। जिसमें घरेलू सामान की भी काफी क्षति हुई हैं। जिस कारण वह खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गया है। गरीबी के कारण उसके पास छत डालने के लिए पैसे तक नहीं है। उसने सबंधित प्रशासन से मदद की गुहार लगाते हुए मुआवजा देने की मांग की है।

बारिश ने खोली निकासी प्रबंधन की पोल

उधर, इस मानसून की राहत देने वाली बारिस से हल्के में अनेकों गांवों में पानी निकासी के प्रबंधन की भी पोल खुलती नजर आई है। गाँवो में हुए छप्पड़ों इत्यादि पर जगह कब्जाए जाने से ज्यादातर निकासी न होने की स्थिति उत्पन्न हुई है। निचले क्षेत्रों में पानी भर जाने से लोग अपने आपको अब बेघर समझने को मजबूर है। क्योंकि जिला प्रसाशन द्वारा पानी निकासी करवाने के दावे भी फैल होते उस वक्त नजर आ रहे है। जब कई गाँवों के लोगों के घरों में कई कई दिनों से पानी नही निकल सका है।

 किसानों को मुआवजा देकर मदद करे सरकार

उधर किसानों के फसलों की बात की जाए तो पहले पानी न मिलने की मार फिर सफेद मच्छरों की मार अब ज्यादा पानी से फसलों के डूबने की मार से किसानों के मुताबिक वह कर्ज की मार में आ चुके है। परंतु सरकार द्वारा अभी कहीं कोई राहत मदद की आस बिल्कुल नही दिखाई पड़ रही। इससे किसान खुदकुशी करने को मजबूर हो रहे है। पिछले दिनों एक किसान ने अपने खेतों से पानी निकालने की गुहार लगाते हुए प्रबन्ध न होते देख फसलों की तबाही के चलते अपनी जीवन लीला भी समाप्त कर ली गई। प्रसाशन को चाहिए की जल्द से जल्द गिरदावरी करवाकर सरकार से पीड़ितों की मदद की जाए।

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