नूंह में 100 करोड़ की ठगी का पर्दाफाश, देश के 28000 केस सुलझे

Cyber Thugs sachkahoon
सांकेतिक फोटो

गुरुग्राम (संजय मेहरा)। हरियाणा पुलिस की नूंह (Nuh) जिले में साइबर जालसाजों के ठिकानों पर एक साथ की गई रेड के बाद जांच में अब तक देशभर में लगभग 100 करोड़ रुपये की साइबर ठगी (Cyber Fraud) का खुलासा हुआ है। पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला ने बताया कि ये महाठग फर्जी सिम, आधार कार्ड इत्यादि से देशभर के लोगों से ठगी करते और फर्जी बैंक खातों में राशि डलवाते थे ताकि पुलिस इन तक न पहुंच सके। इल जालसाजों ने हरियाणा से राष्ट्रीय राजधानी, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से लेकर अंडमान-निकोबार तक लोगों को निशाना बनाया है।

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इनके पकड़े जाने से देशभर में साइबर ठगी के लगभग 28,000 मामले सामने आये हैं। उन्होंने बताया कि गत 27/28 अप्रैल की मध्यरात्रि 5000 पुलिसकर्मियों की 102 टीमों ने जिले के 14 गांवों में एक साथ छापेमारी की थी। इस दौरान करीब 125 संदिग्ध हैकर्स को हिरासत में लिया गया था। इनमें से 66 आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया गया। सभी को अदालत में पेशकर रिमांड पर लिया गया।

पकड़े गए साइबर अपराधियों से निरंतर पूछताछ की गई | (Gurugram News)

गिरफ्तारी के बाद पूरे मामले का पर्दाफाश करने के लिए हरियाणा के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार अग्रवाल ने इन साइबर अपराधियों से पूछताछ के लिए पूरे हरियाणा से 40 साइबर विशेषज्ञों की एक टीम तैयार की। इस प्रकार साइबर विशेषज्ञों की मदद से पकड़े गए साइबर अपराधियों से निरंतर पूछताछ की गई और साइबर धोखाधड़ी द्वारा अपनाई जा रही कार्यप्रणाली के साथ-साथ फर्जी सिम और बैंक खातों के स्रोतों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की गई।

छापे के दौरान जब्त किए गए मोबाइल फोन और सिम कार्ड की भी तकनीकी रूप से जांच की गई और टीएसपी/ आईएसपी, बैंक, एनपीसीआई, यूपीआई इंटरमीडियरीज, यूआईडीएआई, डीओटी, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, व्हाट्सएप, ओएलएक्स आदि से सम्बंधित जानकारी भी मांगी गई।

100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी को अंजाम दिया गया

साथ ही, केंद्रीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की सहायता से भी इन साइबर ठगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले फर्जी बैंक खातों, सिम, मोबाइल फोन आदि को देश भर में प्राप्त साइबर अपराध की शिकायतों से जोड़ने का अनुरोध किया गया था। इस विश्लेषण के दौरान यह बात सामने आई है कि साइबर ठगों ने अब तक देश भर के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से करीब 28000 भोले-भाले लोगों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी को अंजाम दिया है। पकड़े गए जालसाजों के खिलाफ देशभर में पहले से ही 1346 प्राथमिकी दर्ज पाई गई हैं।

ऐसे ठगों की संलिप्तता तय करने के लिए इन साइबर अपराधियों का विवरण राज्यों के सम्बंधित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भेजा जा रहा है। जांच में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 219 खातों और 140 यूपीआई खातों के बारे में भी जानकारी सामने आई, जिनका इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी करने के लिए किया जा रहा था। ये बैंक खाते मुख्य रूप से आॅनलाइन सक्रिय पाये गये और नौकरी देने के बहाने लोगों को धोखा देकर और फिर आधार कार्ड, पैन कार्ड, मोबाइल नंबर और आॅनलाइन केवाईसी करा कर ठगी की जा रही थी।

इसके अलावा, टेलीकॉम कंपनियों के हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब, पूर्वोत्तर, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सर्किल से एक्टिवेट 347 सिम कार्ड का भी पता चला है जिनका उपयोग ये ठग साइबर क्राइम के लिए कर रहे थे। जांच के दौरान फर्जी सिम (Fake Sim) और बैंक खातों का स्रोत मुख्य रूप से राजस्थान के भरतपुर जिले से जुड़ा पाया गया है।

19 उत्तर प्रदेश और 211 हरियाणा के हैं

उन्होंने बताया कि नूंह जिले में दर्ज 16 मामलों में पकड़े गए साइबर (Cyber) अपराधियों के सह अभियुक्त के रूप में काम करने वाले 250 वांछित साइबर अपराधियों की भी पहचान की गई है, जिनमें से 20 राजस्थान के, 19 उत्तर प्रदेश और 211 हरियाणा के हैं। साइबर अपराधियों, जो 18-35 वर्ष की आयु वर्ग में हैं, ने खुलासा किया है कि वे आम तौर पर 3-4 व्यक्तियों के समूह में काम करते थे।

उन्होंने खुलासा किया कि नकली बैंक खाते, नकली सिम कार्ड, मोबाइल फोन, नकद निकासी/वितरण और सोशल मीडिया वेबसाइटों पर विज्ञापन पोस्ट करने जैसी तकनीकी सेवाओं को एक गांव में केवल कुछ मुट्ठी भर व्यक्तियों द्वारा धोखाधड़ी राशि का 5 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक कमीशन शुल्क लेने के बाद प्रदान की गई थी। साइबर अपराधी नकद निकासी के लिए मुख्य रूप से कॉमन सर्विस सेंटर का इस्तेमाल करते थे, जबकि कुछ अन्य इसके लिए विभिन्न गांवों में स्थापित एटीएम का इस्तेमाल करते थे।