देशवासी अपने आपको मुर्गी न समझें, क्या समझें?
जिस देश में सरकार व बैंकर्स ने देश के ईमानदार करदाताओं व बचतकर्ताओं का मजाक बनाकर रख दिया हो तब उस देश में नागरिक अपने आपको एक मुर्गी से ज्यादा समझें भी तो क्या समझें? क्योंकि कभी कर्ज लेकर उद्योगपति भाग जाते हैं, कभी पूरा बैंक ही धराशायी हो जाता है।