बाघों की मृत्यु व लापरवाही
बाघ प्राकृति का श्रंगार हैं जिन्हें जीवित रखना आवश्यक है। नि:संदेह लॉकडाउन में व्यक्ति जीवन को प्राथमिकता दी जा रही है लेकिन पशु-पक्षी भी इस कुदरत का हिस्सा हैं जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।
चापलूस, बकवासी व झूठे मीडिया वर्ग को क्यों सुनना
राजनीतिक चम्मचागिरी के अलावा मीडिया का यही वर्ग व्यवसायिक जगत एवं अध्यात्मिक जगत के लोगों को भी बदनाम करने का निर्लज्ज प्रयास आए दिन करता रहता है। मीडिया का ये स्वार्थी वर्ग भले खुद अच्छी खासी काली कमाई कर रहा हो, लेकिन देश व समाज का ये बहुत घात कर रहा है।
























