जिन्दगी क्यों भार स्वरूप लगने लगती है?
कितनी ही बार बड़े काम आसानी से हो जाते हैं, पर छोटी चीजें देर तक अटकाए रहती हैं।
बड़ी मुसीबतें और दुख झेल लिए जाते हैं, छोटे-छोटे दुखों से उबरना कठिन हो जाता है। दरअसल शुरू में हमें छोटे कामों की अहमियत ही नहीं पता चलती।
असंतोष की सर्दी: नागरिक बनाम धारा 144
एक जीवंत लोकतंत्र नागरिकों के विरोध प्रदर्शन अथवा सभी की राय और सहमति-असहमति का सम्मान करता है। इस बडी राजनीतिक चुनौती के समक्ष सरकार को सभी पक्षों के साथ वार्ता शुरू करनी चाहिए और लोकतंत्र में लोगों के विश्वास को बहाल करने के लिए तालमेल स्थापित करना चाहिए।