पूज्य सतगुरू जी ने बख्शी शिष्य को नई जिंदंगी
असहाय को सहारा
सन् 1983 में पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज जी की रहमत से मुझे पब्लिक वर्कस विभाग में नौकरी मिल गई। मेरी ड्यूटी हॉट मिक्सरचर (बजरी व तारकोल आदि को गर्म कर मिलाने वाली मशीन) पर थी। एक दिन वह मशीन खराब हो गई। उसे ठीक करवाने के लिए ...
सिंकदर बादशाह को फकीर ने सुनाई खरी-खरी बातें
एक दिन बादशाह सिकंदर को एक संत महात्मा (फकीर) के साथ मुलाकात करने का मौका मिला, जो किसी निराली मस्ती के रंग में बेपरवाह, बेफिक्र हो जमीन पर लेटा हुआ था। जब सिकंदर उसके पास गया तो फकीर ने उसे बुलाना तो एक तरफ रहा उसकी तरफ देखा तक नहीं। सिकंदर संत महात...
महर्षि का शिष्य
महर्षि बोधायन शिष्यों के अनुरोध पर उस दिन आश्राम से दूर नदी तट पर वृक्षों की घनी छांव में गोठ पर गए थे। मछलियों की तरह गुरू शिष्य घंटों जल विहार करते रहे। फिर झड़बेरी के साथ पकाए गए सिवार का साग और कोदो भात भरपेट खाकर अपने वस्त्र फैलाकर लेट गए। शीघ्र ...
खगोल शास्त्र में नोबेल पुरुस्कार विजेता चंद्रशेखर
आज भारत के महान खगोलशास्त्री सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर का जन्मदिन है। सुब्रह्मण्यम चंद्रेशेखर को खगोलशास्त्र के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1983 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने चाचा सीवी रमण की राह पर चलते हुए नोबेल पुरस्कार...
ईसा की महानता
एक बार महात्मा ईसा को किसी दुराचारी व्यक्ति ने उनकी मंडली सहित भोजन का निमंत्रण दिया। महात्मा ईसा ने प्रेमपूर्वक वह निमंत्रण स्वीकार कर लिया। दुराचारी जिस गाँव में रहता था, वहाँ के सारे लोग उससे घृणा करते थे। उससे दूर रहने में अपनी भलाई समझते थे। ईसा...
एलआईसी: ‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी’
भारत की पहली जीवन बीमा कम्पनी का नाम ओरियंटल लाइफ इंश्योरेंस था। ‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी’ की असरदार टैगलाइन के साथ देश के लाखों लोगों को बीमा की सेवाएं देने वाले भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना 64 साल पहले एक सितंबर के दिन ही की गई थी। भ...
प्रेरणास्त्रोत: लेखक की पत्नी
'भामती' की रचना के पीछे एक त्याग भरी कहानी है। 'भामती' वाचस्पति पंडित के संपूर्ण जीवन की साधना है। उन्होंने इसकी रचना में लगभग अपना पूरा जीवन लगा दिया।
ये समझ लेना कि यह मेरी अपनी बहन की शादी है
लड़की की शादी में मदद:- एक बार एक गरीब परिवार पूजनीय माता जी के पास कुछ रुपयों की मदद के लिए आया। उनकी लड़की की शादी थी। कहीं भी और से प्रबंध नहीं हो पाया था। शादी का दिन नजदीक था। वे लोग बड़ी मुश्किल में थे। जब वो मदद की फरियाद लेकर आए, आप जी भी उस समय...
भारत का स्वाभिमान
राजा राममोहन राय बोले- यह भारत के स्वाभिमान का मुद्दा है। अगर अभी इस भेदभाव का विरोध नहीं किया गया तो यह समस्या बढ़ती ही जाएगी। अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे बुरे बर्ताव के खिलाफ कानून बनवाने की ठान ली और बाद में अपने अथक प्रयासों से ऐसा कानून बनवाने में सफल भी हुए।
Moon Real Age: चांद की असली उम्र को लेकर हुआ बड़ा खुलासा, वैज्ञानिक हैरान!
Moon Real Age: चांद को लेकर एक बड़ी खबर सामने निकल कर आ रही है। जियोकेमिकल पर्सपेक्टिव्स लेटर्स में प्रकाशित एक अध्ययन में चंद्रमा के निर्माण की समयरेखा निर्धारित करने के लिए 1972 में अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा वापस लाये गए चंद्र क्रिस्टल का उपयो...
‘‘बेटा, अब इसे दवाई मत खिलाओ। सभी सुमिरन करो, मालिक सब ठीक करेगा।’’
यह बात सन् 1967 की है। मेरी पत्नी प्रकाशी बहुत ही ज्यादा बीमार हो गई। बहुत ईलाज करवाया परंतु आराम नहीं आया। डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन करवाने को कहा। इस पर मुझे ख्याल आया कि क्यों न इस बारे में पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से पूछ लिया जाए। उस समय...
पावन 32वें गुरगद्दी दिवस पर विशेष : पावन वचन सच हुए, हम थे, हम हैं, हम ही रहेंगे
तीसरी बॉडी में ऐसा बब्बर शेर आएगा कि उसकी ओर कोई अंगुली नहीं उठा सकेगा। उस बॉडी के रूप में स्वयं प्रभु आकर सभी धर्म व जातियों के लोगों को भरपूर प्रेम प्रदान करते हुए अंदर वाले जिन्दाराम का खूब यश करेगा। जो लोग आश्रम के बारे में निंदा-चुगली करते हैं, ...
धर्म की भूमिका
सेवकों को प्रणाम करते समय हम उनके प्रति स्नेहभाव व्यक्त कर रहे होते हैं। उन्हें तुच्छ भाव से नहीं देखना चाहिए। हरेक मनुष्य एक-दूसरे के समान है चाहे वह किसी भी तरह का कार्य करता हो। धर्म हमें यही तो सिखाता है।
‘गुरू के नूरी स्वरूप में करोड़ों सूरजों का प्रकाश हैं’
सतगुरू जी के रूहानी नजारे
प्रेमी रामफल इन्सां सुपुत्र श्री भगत राम आनंद पुरी कॉलोनी, नूरवाना रोड, लुधियाना (पंजाब)। प्रेमी जी अपने सुमिरन अभ्यास के दौरान सतगुरू के प्रत्यक्ष नूरानी दीदार तथा अन्य रूहानी नजारों के बारे में बताते हैं। प्रेमी जी लिखित ...
सतगुरू ने बख्शी नजर
सन् 1975 की बात है। एक बार पूजनीय परम पिता जी शाम की मजलिस समाप्त करके पानी वाली डिग्गी की तरफ इशारा करके सेवादारों को कहने लगे, ‘‘पानी की डिग्गी के पास र्इंट के टुकड़े पड़े हैं, उनको उठाकर काल-बुत के पास वाली जगह पर रख दो।’’ पूजनीय परम पिता जी के हुक्...