Daughter Rights: पिता की संपत्ति पर बेटियों का कितना अधिकार, जानें सुप्रीम कोर्ट का ये अहम फैसला
Daughter Rights: भारत में पिता की संपत्ति के विभाजन को लेकर अलग-अलग कानून है, जानकारी के अभाव व बटवारा न होने की स्थिति में ये हमेशा विवाद का मुद्दा बना रहता है, पिता की संपत्ति पर बेटियों के अधिकारों से संबंधित क्या प्रावधान है, इसको लेकर बहुत से लो...
रानी रुदाबाई जिसने सुल्तान बेघारा के सीने को फाड़ा
गुजरात से कर्णावती के राजा थे, राणा वीर सिंह वाघेला (सोलंकी), इस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा ने सन् 1497 पाटण राज्य पर हमला किया राणा वीर सिंह वाघेला के पराक्रम के सामने सुल्तान बेघारा की 40000 से अधिक ...
अपने आप को जानना सीखें
लोग दुनिया को जानने की बात तो करते हैं, पर स्वयं को नहीं जानते। जानते ही नहीं, बल्कि जानना भी नहीं चाहते। खुद को जानना ही दुनिया की सबसे बड़ी नियामत है। जो खुद को नहीं जानता, वह भला दूसरों को कैसे जानेगा? दूसरों को भी जानने के लिए पहले खुद को जानना आव...
सतगुरू जी ने जीव को सिखाया ईमानदारी पर चलना
शाह मस्ताना जी धाम सरसा में मासिक सत्संग पर भारी संख्या में साध-संगत पहुंची हुई थी। पूर्व की तरफ कच्चे रास्ते पर पुराना मुख्य द्वार था। सरसा के भक्त माना राम छाबड़ा व कुछ अन्य फल बेचने वाले भी डेरे के बाहर अपनी अस्थाई दुकानें लगाकर अपना सामान बेचने आए...
पाखंड से छुटकारा दिला सच्चे सतगुरू जी ने दिखाया सच्चा रास्ता
प्रेमी कंवलजीत सिंह इन्सां सुपुत्र श्री कुलजीत सिंह इन्सां निवासी बंबीहा भाई ब्लॉक मल्ल के तहसील बाघा पुराना जिला मोगा और वर्तमान में जो कुवैत देश के जलीन नामक शहर/राज्य में रहता है। प्रेमी कंवलजीत लिखता है कि यह सन् 1992 की बात है। एक दिन मुझे स्कूल...
‘‘पूर्ण सतगुरू अपने मुरीदों का साथ कभी नहीं छोड़ता’’
13 मई 1987 :- पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज गांव मोठमाजरा, जिला जींद में सत्संग फरमा रहे थे। एक शंकावादी व्यक्ति ने कहा कि जो व्यक्ति नाम लेकर नियमों को उल्लंघन करता है तो सतगुरू उसे कैसे लेकर जाएगा, क्योंकि उसने अपने सतगुरू का हुक्म तो मा...
सच्चे सतगुरु जी ने शिष्य को बख्शी नई जिदंगी
सन् 1988 की बात है। मेरी शादी के चार वर्ष उपरांत मेरे परिवार ने मुझे अलग कर दिया। मेरे सिर पर इतना कर्ज हो गया कि मैं अपनी सारी जायदाद बेचकर भी उसे उतार नहीं सकता था। एक दिन मैंने सोचा कि ऐसी जिंदगी से मरना ही बेहतर है। मैं अपने कमरे में जाकर आत्महत्...
सावण शाही मौज की बख्शिश: बागड़ तारने का आदेश
पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपना सर्वस्व अपने सतगुरु बाबा सावन सिंह जी महाराज के चरणों में अर्पित कर दिया। बेपरवाह शाह मस्ताना जी का अपने मुर्शिद से इतना ज्यादा प्रेम था कि उनके प्यार, वैराग्य में हर समय आँखों से आँसू बहते रहते और जब दर्श...
अंग्रेजों द्वारा स्थापित भारत में पहला विश्वविद्यालय
मुंबई विश्वविद्यालय, भारत का पहला आधुनिक विश्वविद्यालय, 1857 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया। मूल रूप से मान्यता और डिग्री प्रदान करने वाली संस्था, मुंबई विश्वविद्यालय ने बाद में अपने कार्यों में शिक्षण को जोड़ा।
प्यारे सतगुरू जी ने सीआईडी अधिकारियों के भ्रम को किया दूर
वे बाहर के सीआईडी के लोग हैं, असीं हुए अंदर के सीआईडी।’’ वे लोग चकित रह गए कि इनको कैसे मालूम हुआ क्योंकि उनकी बात गोपनीय थी।
‘‘पूर्ण सतगुरू अपने मुरीदों का साथ कभी नहीं छोड़ता’’
यह बात 18 जुलाई 1970 की है। उस समय मेरा परिवार गांव किला निहाल सिंह वाली(बठिंडा) में रहता था। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज वहां सत्संग फरमाने आए हुए थे। सत्संग का कार्यक्रम हमारे घर में ही था। कविराज भाई भजन बोल रहे थे। अचानक मेरे घर से रोने-च...
इसीलिए 60 से 50 ओवर के होने लगे क्रिकेट मैच
पहले क्रिकेट विश्व कप का आयोजन पहला अंतर्राष्ट्रीय एक दिवसीय मैच खेले जाने के 4 साल बाद किया गया था। पहला विश्व कप टूनार्मेंट प्रूडेंशियल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा प्रायोजित किया गया था।
गधा 96 किलोमीटर की दूरी से दूसरे गधे को सुनने में सक्षम है
एक गधा रेगिस्तान में 96 किलोमीटर की दूरी से एक और गधे को सुनने में सक्षम है। यह उनके बड़े कानों के कारण संभव है। इनके बड़े कान उनके शरीर को गर्म और शुष्क रेगिस्तानी परिस्थितियों में ठंडा रखने में मदद करते हैं।
जब एक शख्स को खुद पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने यमों से बचाया
प्रेमी भोपाल सिंह (मास्टर) गांव शाहपुर बड़ौली जिला मेरठ (यूपी) से अपने प्यारे सतगुरु जी के एक प्रत्यक्ष करिश्में का इस प्रकार वर्णन करता है।
सन् 1978 की बात है, भोपाल सिंह ने उस वक्त तक नाम (गुरुमंत्र) नहीं लिया हुआ था। वह बाहरी कर्म काण्डों में ही फ...
रूहानी सवाल-जवाब
जिज्ञासुओं के सवाल पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के जवाब:-
प्रश्न : कोई आत्महत्या कर लेता है तो क्या यह उस इन्सान की प्रारब्ध है? यदि उसका अंत ही ऐसा है तो उसे आत्महत्या का दंड क्यों?
उत्तर : एक-न-एक दिन हर किसी ने जाना है और कुदरती मृृत्यु क...