मध्य-प्रदेश में मरते बाघ
मध्य-प्रदेश के प्रसिद्ध कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में बाघ के अजीब व्यवहार से प्राणी विशेषज्ञ परेशान हैं। यहां का एक बाघ दूसरे बाघों को मारकर खा रहा है। आमतौर पर ऐसा तभी देखने को मिलता है, जब उद्यान में आहार के लिए प्राणियों की कमी आ गई हो। जबकि इस उद्य...
जिम्मेवारी से काम करे मीडिया
मीडिया को एक जिम्मेवारी से काम करते हुए अफवाहों पर विराम लगाना चाहिए, ऐसे समय में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना चाहिए। बिना पुष्टि की खबरों को पेश करने से परहेज करना चाहिए।
रविवार को इसीलिए होती है छुट्टी
भारत में तो आये दिन किसी न किसी कारण छुट्टियाँ आती ही रहती हैं। जी हां, रविवार की छुट्टी का इंतजार तो सबको रहता है। आज हम आपको इस छुट्टी का इतिहास बताने वाले हैं की क्यों होती है रविवार को छुट्टी। हिन्दू कैलेंडर या हिन्दू पंचांग के अनुसार सप्ताह की श...
स्वास्थ्य पर सबसे बड़ा खतरा वायु प्रदूषण
बढ़ते प्रदूषण को रोकने को लेकर भारत को अपने पड़ोसी देश चीन से सीखना चाहिए, जहाँ 2015 में लाया गया पर्यावरण संरक्षण कानून अल्पकालिक लक्ष्यों के साथ पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार और विनियमन सुनिश्चित करने हेतु एक प्रभावकारी भूमिका निभा रहा है। चीन ने उत...
पहले अपने गिरेबान में झांके पाकिस्तान
अफगानिस्तान में मची उथल-पुथल के बीच पाकिस्तान ने तालिबानियों का समर्थन कर आग में घी डालने का काम किया है। इसी तरह पिछले कई दशकों से पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को आजादी की जंग करार देता रहा है। पाकिस्तान के शासक यह भूल जाते हैं उनके देश में भी...
जब माइकल जॉनसन ने बुरी यादों को पीछे छोड़ा
माइकल जॉनसन का लक्ष्य अटलांटा 1996 ओलंपिक में इतिहास बनाना था। ओलंपिक के 100 सालों के इतिहास में, किसी भी पुरुष एथलीट ने कभी भी एक ही ओलंपिक में 200 मीटर और 400 मीटर दोनों स्पर्धाओं में स्वर्ण नहीं जीता था। और जॉनसन को उस उपलब्धि को प्राप्त करने के ल...
विकास का कुल्हाड़ा और बलि के बकरे ‘पेड़’
विकास के नाम पर या उसकी आड़ में पहली गाज पेड़ों पर गिरती है। ये कोई नयी बात नहीं है। आजादी के बाद से ही देश में विकास का पहला शिकार पेड़ ही बनें। लेकिन ताज्जुब इस बात का है कि आजादी के सात दशक बाद भी हम पर्यावरण अनुकूल विकास माडल विकसित नहीं कर पाये हैं...
कुवैत ने गहराया भारत का संकट
कोरोना महामारी एवं प्रकोप से उपजी समस्याएं इस सदी का सबसे बड़ा वैश्विक संकट है। इसका विस्तार और गहराई बहुत ज्यादा है। इस सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से पृथ्वी पर 7.8 अरब लोगों में से हर एक को खतरा है। इस बीमारी ने पूरे विश्व-के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिय...
कर्नाटक में राजनीतिक उथल-पुथल
आखिर कई दिनों की ड्रामेबाजी के बाद कर्नाटक की जेडीएस कांग्रेस सरकार गिर ही गई। इस घटना चक्कर से एक बार फिर संसदीय प्रणाली की संख्या की ताकत पर उंगली उठी है। किसी देश या राज्य के लिए राजनीतिक स्थिरता सबसे बड़ी शर्त होती है। 13 महीनों के बाद सरकार का टू...
जंगलों को बचाना बेहद जरूरी
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय द्वारा 17वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 जारी की गयी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में वन और पेड़ आच्छादित भू-भाग का दायरा पिछले दो वर्षों में 2,261 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है। देश में वन अच्छादित भू-भाग ...
बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यक बताने की राजनीति
‘अल्पसंख्यक’ का दर्जा मिलने के मामले में जम्मू-कश्मीर का मामला काफी विचित्र और विडम्बनापूर्ण है। वहाँ मुस्लिम समुदाय की संख्या 68.31 प्रतिशत और हिन्दू समुदाय की संख्या मात्र 28.44 प्रतिशत है। लेकिन न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि अब तक की सभी राज्य सरकारो...
पहली पंक्ति का किसान अन्तिम पायदान पर क्यों!
असल में किसान कानून की पेचेंदगियों में फंसना नहीं चाहता वह फसल उगाने और उसकी कीमत तक ही मतलब रखना चाहता है यही कारण है कि एमएसपी के मामले में वह एक ठोस कानून चाहता है जिसे लेकर सरकार का रूख टाल-मटोल वाला है। सरकार एमएसपी को लेकर किसान का भरोसा बिना क...
उत्सव किसका और क्यों? भारत के राजनीतिक योद्धा
बीते वर्ष की स्मृति लेख किन शब्दों में लिखें? खूब जश्न मनाएं और ढ़ोल नगाडेÞ बजाएं? नई आशाओं, सपनों और वायदों के साथ नव वर्ष 2019 का स्वागत करें? या बारह महीनों में निरंतर पतन की ओर बढ़Þते रहने पर शोक व्यक्त करें? वर्ष 2018 को इतिहास में एक मिले जुले वर...
सवालों में घिरा बॉलीवुड
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या करने की घटना ने बॉलीवुड को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। सुशांत की मृत्यु के बाद जिस प्रकार से भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) के आरोपों की चर्चा होने लगी है, इससे पहले कभी भी इतने गंभीर आरोप नहीं लगे। अब बॉ...
सत्ता से बाहर हुए लालू की अवसरवादिता
सरकार से बाहर होने के बाद लालू प्रसाद यादव ने जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी है, उससे लालू की अवसरवादिता और बौखलाहट का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। लालू ने नीतिश कुमार के खिलाफ सन् 1991 के सीताराम हत्याकांड मुद्दे...