Lal Bhindi Ki Kheti: लेडी फिंगर लगाओे, लखपति बन जाओ

Lal Bhindi Ki Kheti
लेडी फिंगर लगाओे, लखपति बन जाओ Lal Bhindi Ki Kheti

विदेशों में भी है ज्यादा डिमांड

भारत कृषि प्रधान देश है जिसमें सब्जियों की खेती बड़े पैमाने (Lal Bhindi Ki Kheti) पर की जाती है। जिसमें लगभग हर प्रकार की सब्जियों की खेती की जाती है। आलू, प्याज, टमाटर, गोभी, बैंगन, तोरई, लौकी एवं भिंडी सहित अन्य कई प्रकार की सब्जियों की खेती किसान काफी बड़े पैमाने पर करते है। देश में सब्जियों में लाल भिंडी बेहद लोकप्रिय है, जिसे लोग लेडी फिंगर या ओकरा के नाम से भी जानते हैं। इसमें कई तरह के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। इनमें एंटी आॅक्सीडेंट और आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह शुगर के मरीजों के लिए रामबाण बताया जाता है। यह आम भारतीयों की खास पसंद है। लाल भिंडी की खेती देश के किसान बड़े पैमाने पर करते हैं।

इसकी खेती ग्रीष्म तथा शरद, दोनों ही ऋतुओं में होती है। लेकिन (Lal Bhindi Ki Kheti) ज्यादातर इसकी डिमांड गर्मी की ऋतु में होती है। इसलिए भारतीय किसान इन दिनों लाल भिंडी से जमकर मुनाफा कमा रहे हैं। अगर आप भी किसान हैं और सब्जी की खेती से ज्यादा मुनाफा कमाने चाहते हैं तो इस बार किसी और सब्जी की जगह लाल भिंडी लगाइए और लाखों कमाइये। लाल भिंडी अपने देश में ज्यादा पसंद की ही जाती है साथ ही यह विदेशों में भी ज्यादा पसंद की जाने वाली सब्जी है और विदेशों में इसकी खेती भी खूब होती है।

विदेश में तो लोग हरी की जगह लाल भिंडी खाना ज्यादा पसंद करते हैं, और करें भी क्यों ना। लाल भिंड़ी में हरी भिंडी के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक तत्व जो पाए जाते हैं। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो ये हरी भिंडी से भी ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक है। वहीं, मार्केट में इसकी कीमत भी कई गुना ज्यादा है। यह सामान्य भिंडी की खेती से 4 गुना अधिक मुनाफा किसानों को दे सकती है। बिक्री और कीमत की बात करें तो इस प्रकार की भिंडी साधारण भिंडी की तुलना में 5-7 गुना ज्यादा महंगी होती है। (Lal Bhindi Ki Kheti)

इसे विकसित करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है, जिस प्रकार क्लोराफिल के वजह से आम भिंडी का रंग हरा होता है, उसी तरह एंथोसायनिन नाम पिगमेंट के कारण इस भिंडी का रंग लाल है। इसे विकसित करने में करीब 23 साल का समय लगा है। इसकी कीमत 100 से 500 रुपये किलो के बीच है। इसके बीज भी उपलब्ध होने के कारण इसे दूसरे राज्यों में भी उगाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में लाल भिंडी की खेती की जा रही है। वैज्ञानिकों की माने तो लाल भिंडी खेती भी सामान्य हरी भिंडी की खेती की तरह ही की जाती है। हरी भिंडी जैसे ही लाल भिंडी के पौधे की लंबाई एक से डेढ़ मीटर तक होती है। इसे भी खरीफ और ग्रीष्म दोनों मौसम में उगाया जा सकता है। इसके लिए सामान्य बारिश काफी होती है। वहीं, अधिक गर्मी और अधिक सर्दी अच्छी नहीं होती।

सामान्य भिंडी से ज्यादा फायदेमंद | Lal Bhindi Ki Kheti

लाल रंग भिंडी हरी भिंडी से भी ज्यादा फायदेमंद और पौष्टिक होती है। यह उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो हृदय और ब्लड प्रेशर मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी कई गंभीर समस्याओं सामना कर रहे हैं। इस भिंडी में एंटीआॅक्सीडेंट्स, कैल्शियम और आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों की वजह से यह सामान्य भिंडी से ज्यादा महंगी है। इसकी कीमत 100 रुपए से लेकर 500 रुपए किलो के बीच है। इस हिसाब से किसान इसकी एक एकड़ में खेती कर काफी बढ़िया मुनाफा कमा सकते है।

कैसे करें खेती?

वैज्ञानिकों का कहना है, कि समान्य भिंडी की तरह लाल भिंडी की खेती होने लगी है। अब इसकी खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में की जा रही है। सामान्य भिंडी की तरह ही इसके लिए भी गर्म और आद्र कम जलवायु उपयुक्त होती है। इसकी बुवाई भी हरी भिंडी की ही तरह साल में दो बार की जा सकती है। फरवरी और मार्च महीने में और वर्षा ऋतु में तथा जून और जुलाई के महीने में की जा सकती है। लाल भिंडी की खेती के लिए अच्छे जल निकासी वाली जीवांश और कार्बनिक पदार्थ युक्त बालुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी गई है। अच्छी पैदावार और गुणत्तापूर्ण फल के लिए भूमि का पीएच मान 6.5 से 7.5 तक होना चाहिए। खारी, नमक वाली या घटिया निकास वाली मिट्टी में इसकी खेती ना करें।

कैसी हो जलवायु व तापमान | Lal Bhindi Ki Kheti

हरी भिंडी की तरह ही इसकी खेती भी उष्ण तथा शुष्क दोनों क्षेत्रों में होती हैं। लाल भिंडी की खेती में तेज और नमी वाले जलवायु को उपयुक्त माना गया हैं। इसकी खेती के लिए ज्यादा गर्मी और ज्यादा सर्दी दोनों ही अच्छी नहीं रहती हैं। इसके बीजों को अंकुरित होने के लिए 20 डिग्री तापमान की जरूरत होती हैं। पौधों को विकसित होने के लिए 27 से 30 डिग्री तापमान की जरूरत होती हैं।

खेती में लागत

बनारस के इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ वेजिटेबल रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों का कहना है कि आप इस रिसर्च सेंटर से लाल भिंडी की काशी लालिमा किस्म के बीज करीब 2500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिल सकते हैं। यदि आप इसकी खेती एक हेक्टेयर में करते हैं, तो आपको लगभग 2 किलो भिंडी के बीज की आवश्यकता पड़ेगी। आपको एक हेक्टेयर में बीज के लिए करीब 5 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ सकते है। इसके अलावा खेत की जुताई, बुआई, सिंचाई, उर्वरक, कीटनाशक, हार्वेस्टिंग, ट्रांसपोर्टेशन, लेबर आदि में करीब 2 लाख रुपए तक का खर्च हो सकता है। एक हेक्टेयर में करीब 120-130 क्विंटल लाल भिंडी की पैदावर मिल सकती है, जो रिटेल मार्केट में करीब 100-500 रुपए किलो में बिकती है, जबकि थोक में यह आसानी से 70-80 रुपए किलो में बिक जाएगी। इस हिसाब से आपको एक हेक्टेयर में खेती से करीब 7-8 लाख रुपये की कमाई हो सकती है।

खेती की तैयारी? | Lal Bhindi Ki Kheti

वैज्ञानिकों की मानें तो इसकी खेती के लिए भी सामान्य भिंडी की खेती की तरह ही तैयारी करनी होती है। इसके खेत तैयार करने के लिए कल्टीवेटर या देसी हल की मदद से सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई कर उसे खुला छोड़ें। इसके बाद खेत में 15 से 20 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से गोबर की खाद डालकर रोटावेटर की सहायता से खेत की अच्छे से जुताई कर गोबर की खाद मिट्टी में अच्छे से मिलें। रोटावेटर के उपयोग के लिए किसान स्वराज ट्रैक्टर ले सकते हैं क्युकी ये ट्रैक्टर मॉडल्स खेत की जुताई के लिए सबसे अच्छा है, सबसे जयादा बिकने वाला ट्रेक्टर में स्वराज 744 एफई, स्वराज 744 ळ, और स्वराज 855 है। इन सभी ट्रैक्टर की कीमत किसानों के लिए बजट के अनुसार है। बुवाई के पहले ही नाइट्रोजन खाद की एक तिहाई मात्रा और फॉस्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा खेत में मिला दें।