राशन महंगा मोबाइल सस्ता

Mobile Phone
नेटवर्क न रहने पर भी करें कॉल

देश में एक बार फिर यह चर्चा हो रही है कि सस्ता मोबाइल बनाया जाए। इस संबंध में निजी कंपनियों द्वारा निवेश करने में भी दिलचस्पी दिखाने की रिपोर्ट्स आ रही हैं। नि:संदेह तकनीकी क्रांति व उससे जुड़ी एसेसरीज का बाजार विश्व भर में फैल गया है, जिससे कंपनियां खूब मुनाफा कमा रही हैं। भले ही स्मार्ट मोबाइल फोन समय की आवश्यकता है लेकिन इससे भी ज्यादा आवश्यकता देश की बहुसंख्या को मूलभूत आवश्यकताओं की उपलब्धता व समस्याओं से निपटने की है, इससे जनता के बड़े हिस्से का वित्तीय नुक्सान हो रहा है। बढ़ रही महंगाई के कारण गरीब वर्ग तो क्या मध्यम वर्ग का भी जीना दुर्भर हो गया है। विशेष तौर पर उस वर्ग का जो सरकारी योजनाओं के दायरे से बाहर हैं। सरसों के तेल की कीमत 200 के पार पहुंचने के साथ-साथ सब्जियों के भाव आमसान को छू रहे हैं। इस वक्त सब्जियों-फलों को स्टोर करने व मार्किटिंग की व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है।

आए साल देश में कभी प्याज, कभी टमाटर, कभी लहसुन और कभी खाद्य तेलों के दाम शिखर पर पहुंच जाते हैं। देश के पास उपजाऊ भूमि है, कृषि के सभी स्त्रोत उपलब्ध हैं, फिर भी खेती उत्पादों की कीमतें आम लोगों की पहुंच से दूर हो रही हैं। यहां आवश्यकता है कि आम लोगों के लिए जरूरत की वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने व स्टोर करने संबंधी तकनीकी विकास के लिए निवेश बढ़ाया जाए, दूसरे तरफ बाढ़-सूखे की समस्याओं से निपटने के लिए बड़े निवेश और तकनीक की भी आवश्यकता है। कभी पानी की कमी और कभी सूखा गंभीर समस्याएं हैं। यदि बारिश का जल संरक्षण व स्टोर करने के लिए तकनीक विकसित की जाए तब बड़े स्तर पर पानी स्टोर होगा, जो कृषि व अन्य कार्यों के भी काम आएगा।

प्रत्येक वर्ष करोड़ों लोग बाढ़ के कारण बर्बाद हो जाते हैं। जरूरी है कि प्राइवेट कंपनियों से कल्याणकारी कार्यों के लिए निवेश करवाकर मदद ली जाए। आज 70 करोड़ से अधिक भारतीय स्मार्टफोन और इंटरनेट प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं उन लोगों से कोसो दूर हैं। वे स्मार्टफोन तो खरीद लेते हैं लेकिन महंगाई के कारण घरेलू आवश्यकताओं की समस्या से जूझ रहे हैं। देश विकास कर रहा है लेकिन इस विकास को संतुलित व जनकल्याणकारी बनाया जाना चाहिए। यह बिल्कुल उसी तरह है, जैसे विद्यार्थियों को मुफ्त स्मार्टफोन देने से पहले उनके लिए अच्छे स्कूल, अध्यापकों और स्कूलों में शिक्षा संबंधी साजो-सामान का प्रबंध हो।

 

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