‘‘एडा भोला खसम नहीं जेहड़ा मकर चलित्र ना जाणे’’,

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बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज का दौर ऐसा दौर है, यहां नकाबपोश बहुत हो गए हैं, दिखावा कुछ और, सोच कुछ और, करना कुछ और, दिखना कुछ और। तो वो भगवान, राम, ओउम, हरि, परमात्मा इतना भोला नहीं कि आपकी नकाबपोशी को ना देखे या आपके दोगली चीज को ना देखे। परमपिता शाह सतनाम जी महाराज फरमाया करते थे, ‘‘एडा भोला खसम नहीं जेहड़ा मकर चलित्र ना जाणे’’, कि वो भगवान, वो राम, वो सतगुरु-मौला, ईश्वर इतना नादान नहीं है कि वो आपके मकर चलित्र को ना पहचान पाए, कि आप दिखने में क्या हैं? और असलियत में क्या हैं? ये अलग बात है कि ना तो भगवान किसी को पर्दा उठाता है और ना ही उसका कोई संत, पीर-फकीर, अवतार पर्दा उठाता है। लेकिन जैसे कर्म करोगे, आज नहीं तो कल सामने आएंगे और भरने पड़ेंगे।

पाखंडों में मत पड़ा करो, हमेशा ध्यान रखो। एक तो दिखावा मत करो, ढोंग-ढकोसले नहीं होने चाहिए, एक पाखंडवाद, बड़े पाखंड हैं। आपने सुने ही होंगे, हमने तो अपनी आँखों से देखे हैं। बड़े पाखंड हैं, छींक मार दी उसका पाखंड है। इस दिन नहाना नहीं उसका पाखंड है। आजकल तो क्योंकि न्यू जैनरेशन, नए-नए बच्चे आ गए हैं, नए-नए पाखंड भी शुरू हो गए हैं। इसको काले कुत्ते को, पीले कुत्ते को, सफेद कुत्ते को खाना खिलाना, बिल्ली को खाना खिलाना, ऊँट को पता नहीं किस-किस को।

वैसे अच्छी चीज है अगर खिलाओ तो। बढ़िया बात है अगर आप पालतु जीवों को रखते हैं और उनको खिलाते हैं। लेकिन अगर पाखंड रूप में, कि भई में एक दिन बाद, दो दिन बाद, तीन दिन बाद, अलग-अलग दिन रखे होते हैं, कि फलां जाकर ये करना है, फलां जाकर ये। देखा हमने अपने गाँव में ये चीजें होते हुए। घर वाला बाबा, खेत वाला बाबा, सांझा बाबा, होता कुछ नहीं थोड़ा सा खड्ढा खोदा, उसमें कच्ची लस्सी चढ़ाना।

एक बार हमने बुजुर्ग से कहा कि ये कच्ची लस्सी क्यों चढ़ा रहे हो जी, प्योर क्यों नहीं चढ़ाते, क्या आप सोचते हो कि जिसको आपने बाबा बनाया है वो प्योर, मतलब चार र्इंटें थी और दो र्इंटें ऊपर थी, क्या आप सोचते हो कि बाबा के प्योर दूध पचेगा नहीं। तो वो कहने लगे सज्जन, ऐसा कुछ नहीं है यार, दूध घर में कम है, अब बाबा ने कौन सा मीटर लगाकर चैक कर लेना है, 100 ग्राम दूध है, 400 ग्राम पानी है, बाबा को चढ़ा देंगे, बाबा खुश और हम भी खुश। नियत में जब खोट है, कहीं कुछ भी करते फिरो, मिलना क्या है? सो कहने का मतलब इतने पाखंडी लोग हैं। और आप हैरान हो जाओगे, ये एक नई चीज चली है, जो हमने बच्चो से सुनी, वास्तुशास्त्र, हमें नहीं पता कि वो सही है, हम उसकी निंदा नहीं करते। पर हम सिर्फ इतना हाथ जोड़कर पूछना चाहेंगे दिल्ली, मुंबई, बड़े-बड़े महानगरों में जिनके दरवाजे ही दक्षिण की तरफ हैं और वो करोड़ों पति हैं, तो वो करोड़पति कैसे हो गए आपके अकोर्डिंग।

घर में खोट है, घर तीखा है, उल्टा है, सीधा है, नीचा है। एक इंच धरती की नहीं है जहां कोई न कोई ना दफनाया गया हो, जब से सृष्टि साजी है, एक इंच जगह। या तो जलाया गया या तो दफनाया गया जब से सृष्टि साजी है। तो इस हिसाब से तो आपको हवा में घर बनाना चाहिए। हवा में भी कोई न कोई गड़बड़ हो जाएगी। हवा इधर की क्यों चलती है, इधर की चलनी चाहिए, वो तो बस में नहीं है आपके, वरना इस पर भी कोई न कोई पाखंड आ जाता।

तो मत पड़ा करो इन पाखंडों में। लोग अपने सुख-शान्ति को तिलांजलि दे देते हैं सिर्फ पाखंडवाद की वजह से। कोई सज्जन आया, नहीं तेरे घर में खोट है, इसमें ये दबाना पड़ेगा, अरे फिर कैसे निकल जाएगा भाई। किसी की कोई चीज दबाने से खोट निकलते तो फिर तो हर कोई उसको दबाए और वो अरबोपति बन जाए। तो ये फिजूल की बातें हैं। सार्इं जी के समय से हर समय ये चर्चा करते रहे कि सच्ची बात ये है कि कर्म अच्छे करो, विचार शुद्ध रखो तो कुछ पाखंड करने की जरूरत नहीं, भगवान जी आपका साथ जरूर देंगे, हर जगह देंगे। तो हम किसी का बुरा कभी नहीं कहते, लेकिन लॉजिक तो होना चाहिए कुछ न कुछ, बिना लॉजिक के। और धर्म हमारे लॉजिक के इतने खरे हैं जो लिख-बोलकर बताया ही नहीं जा सकता। तो धर्मों की बात को सुनो, अमल करो, यकीन मानो जरूर खुशियां हासिल करोगे, जरूर भगवान की कृपा के पात्र बनोगे।

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