Black Hole Bomb: धरती पर वैज्ञानिकों ने रचा अंतरिक्ष का करिश्मा, decades पुरानी थ्योरी को किया साबित

Black Hole Bomb
Black Hole Bomb: धरती पर वैज्ञानिकों ने रचा अंतरिक्ष का करिश्मा, decades पुरानी थ्योरी को किया साबित

Black Hole Bomb: अनु सैनी। वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसा प्रयोग किया है जिसने अंतरिक्ष विज्ञान की दशकों पुरानी एक थ्योरी को जमीन पर साकार कर दिखाया है। इसे ‘ब्लैक होल बम’ नाम दिया गया है — एक ऐसा सिद्धांत जो पहले केवल गणनाओं और कंप्यूटर मॉडल तक ही सीमित था। यह ऐतिहासिक उपलब्धि यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्प्टन, यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो और इटली के नेशनल रिसर्च काउंसिल के वैज्ञानिकों ने मिलकर हासिल की।

क्या होता है ‘ब्लैक होल बम’? Black Hole Bomb

यह शब्द सुनने में खतरनाक लग सकता है, लेकिन इसका वास्ता किसी हथियार से नहीं, बल्कि ऊर्जा के विस्फोटक संचित रूप से है। यह उस स्थिति को दर्शाता है जब कोई हल्की ऊर्जा तरंग — जैसे माइक्रोवेव या फोटॉन — एक घूमते हुए ब्लैक होल के पास जाकर उससे ऊर्जा प्राप्त करती है। यदि उस तरंग को बार-बार प्रतिबिंबित किया जाए, तो वह हर बार ज्यादा ऊर्जा लेकर लौटती है और अंततः एक विशाल विस्फोट जैसी स्थिति उत्पन्न करती है। इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में सुपररेडियंट स्कैटरिंग कहा जाता है।

कैसे हुआ प्रयोग, क्या था सेटअप?

इस प्रभाव को धरती पर दोहराने के लिए वैज्ञानिकों ने एक घूमता हुआ एल्यूमिनियम का सिलेंडर बनाया, जिसे खास ढंग से चुंबकीय क्षेत्रों से घेरा गया था। जब सिलेंडर के चारों ओर कमजोर रेडियो तरंगें भेजी गईं, तो वो हर बार घूमकर और ज्यादा ताकतवर होकर लौटीं। यह प्रभाव लगातार बढ़ता गया — ठीक उसी तरह जैसे थ्योरी में बताया गया था।

क्यों है ये खोज बेहद अहम?

ब्लैक होल्स को समझने में नई दिशा: अब तक ब्लैक होल के व्यवहार को सिर्फ अंतरिक्ष में दूरबीनों के ज़रिए देखा जाता था, लेकिन अब वैज्ञानिक इसे प्रयोगशाला में दोहराकर जांच सकते हैं।

ऊर्जा के स्रोतों में क्रांति: यदि ऐसी तरंगों से ऊर्जा संचित की जा सकती है, तो भविष्य में यह तकनीक नवीनीकृत ऊर्जा स्रोतों में मदद कर सकती है।

थ्योरी से प्रयोग तक का सफर: यह प्रयोग यह दिखाता है कि गणितीय थ्योरियाँ अब हकीकत में बदल रही हैं, और विज्ञान के लिए यह एक बड़ा कदम है।

क्या है कोई खतरा? Black Hole Bomb

इस प्रयोग से जुड़ा कोई भी खतरा नहीं है। यह पूरी तरह नियंत्रित और सुरक्षित वातावरण में किया गया है। ‘ब्लैक होल बम’ केवल एक नाम है — इसका युद्ध या विनाश से कोई लेना-देना नहीं है।

अब आगे क्या? Black Hole Bomb

वैज्ञानिक इस प्रयोग को और भी जटिल तरंगों व मटेरियल्स के साथ दोहराना चाहते हैं ताकि यह समझा जा सके कि यह प्रक्रिया और किन स्थितियों में दोहराई जा सकती है। इससे ब्लैक होल्स के अलावा क्वांटम फिजिक्स और ऊर्जा के व्यवहार के नए दरवाज़े खुल सकते हैं।
‘ब्लैक होल बम’ अब केवल एक थ्योरी नहीं रहा, बल्कि एक सच्चाई बन चुका है। विज्ञान की यह छलांग भविष्य की ऊर्जा, ब्रह्मांड की समझ और शायद एक दिन टाइम ट्रेवल की ओर भी संकेत कर सकती है।