सोफे का बिजनेस: कम लागत व कुशल कारीगर की मदद से कमाएं खूब पैसा

आज हम आपको सोफे बनाने का बिजनेस करने के बारे में बताएंगे। इस बिजनेस में आप मोटा पैसा कमा सकते हैं। इस बिजनेस को शुरू करने से पहले आपको कई प्रकार की तैयारियां करनी पड़ती हैं। इसके अलावा ग्राहक कैसे मिलेगा?, सोफे का साइज कैसे लेते हैं? सोफा बनाने के लिए किन-किन टूल की आवश्यकता पड़ेगी? सोफा बनाने के लिए आपको कितनी नॉलेज चाहिए इत्यादि के बारे में पूरी जानकारी देंगे।

बिजनेस से पहले तैयारियां

किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले पूरी तैयारी भी कर लेनी चाहिए। जिसके बाद आप बिजनेस में लगने वाले रिस्क को कम करते चले जाते हैं। इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सबसे पहले हमें कुशल कारीगर ढूंढने चाहिए। कारीगर अच्छा होना चाहिए। इसे आप वेतन पर या ठेके पर भी रख सकते हैं। आपको मासिक 15 हजार से 20 हजार के बीच अच्छा अनुभवनी कारीगर मिल सकता है।

सोफे के साइज

लंबाई: एक सोफे में स्टैंडर्ड साइज के हिसाब से प्रति 25 इंच एक सीट होती है। मान लीजिए आपका सोफा 100 इंची लंबा है तो इसे हम 4 सीट कहेंगे।

चौड़ाई: इसे हम गहराई बोले तो ज्यादा अच्छा होगा। एक सोफे की स्टैंडर्ड गहराई (बाहर से बाहर) 30 इंच होती है, तथा बैठने वाले हिस्से की स्टैंडर्ड गहराई 22 इंच होती है।

ऊंचाई: हमारे देश में जमीन से लेकर सोफे पर बैठने तक की स्टैंडर्ड ऊंचाई 18 इंच है।

सोफे की लकड़ी की जानकारी

मरंटी वुड: सागवान के मुकाबले सस्ती होती है, वजन में हल्की होती है, सीधी होती है, मजबूती ठीक-ठाक ही होती है।

कैल वुड: सस्ती होती है, कवर्ड सोफे बनाने के लिए ठीक ही रहती है।

देवदार की लकड़ी: वजन में हल्की होती है, सस्ती होती है, सीधी होती है।

सफेदा वुड: वजन में भारी होती है, मरंटी वुड से भी सस्ती होती है। सीधी नहीं होती, सूखने के बाद टेढ़ी हो जाती है। बहुत मजबूत होती है।

नीम: मजबूत होती है, महंगी होती है, कीड़ा नहीं लगता। इसमें सोफे बनाने वाले आसानी से कि नहीं घुसा पाते। नीम की लकड़ी न लगाने का यही मेन कारण होता है।

सागवान: यह बहुत अच्छी इमारती लकड़ी होती है। महंगी होती है, कील गाढ़ने पर फट जाती है, इसीलिए इसका इस्तेमाल कवर्ड सोफे बनाने के लिए नहीं किया जाता। यह केवल ओपन सोफों में काम आती है। इस पर पॉलिश करने के बाद यह बहुत अच्छी लगती है। मजबूती के लिए इसमें चूल सुराग करके ढांचा बनाया जाता है।

शीशम: यह भी एक महंगी इमारती लकड़ी है, बहुत मजबूत होती है। इसमें भी कील आसानी से ना कुछ पाने के कारण इसका इस्तेमाल कवर्ड सोफे बनाने के लिए नहीं किया जाता।

सोफे के कपड़े की जानकारी

कपड़े संबंधी आपको छोटा सा आइडिया दे रहे हैं, जो सभी गणनाएं लगभग में होंगी। डाइमेंशंस के अनुसार पर एक सीट पर आप दो मीटर की एवरेज मान लें। यदि सोफा लूज गद्दी वाला है तो आप ढाई मीटर प्रति सीट की एवरेज मान लें। हैंडल वाली सीटों पर एक मीटर प्रति हैंडल के हिसाब से अलग से जोड़ लें।

इन शहरों से मिलेगा सोफे का कपड़ा

सोफे के कपड़े के लिए आप पानीपत, मेरठ, दिल्ली ( कीर्ति नगर, गांधीनगर, क्लॉथ मार्केट), सूरत इत्यादि विजिट कर सकते हैं। आप इंटरनेट पर जस्ट डायल के माध्यम से भी आसानी से सोफे के कपड़े के होलसेलर के बारे में पता कर सकते हैं।

सोफे में लगने वाला सामान

लकड़ी+प्लाई, कील, वुड एडहेसिव, टाट, स्प्रिंग ( जिगजैग स्प्रिंग)+ स्प्रिंग के क्लिप, निवाड़, केसमेंट, फोम (सोफे की गद्दी, 63 की 1 इंच 2 इंच 3 इंच फोम शीट), सिलोशन, कपड़ा, मार्किन।

कुछ अन्य सामान की जानकारी

जिस सामान के बारे में हम आपको बता रहे हैं, उसमें आप कुछ सामान को हटाकर, अपनी शुरूआत थोड़ा सस्ते सामान से भी कर सकते हैं।

कैटलॉग: सोफे के डिजाइन के लिए किताब/या फिर आप इंटरनेट से भी सोफे के डिजाइन निकाल सकते हैं।

कंप्रेसर: यह सोफे के ढांचे बनाने के लिए उसमें प्रेशर द्वारा कील गाड़ने के लिए, सिलोशन लगाने के लिए, कपड़े की मड़ाई के लिए पिन लगाने के लिए। लकड़ी काटने वाला बिजली का कटर, हाथ की आरी, हथौड़ी, जमूर, रंदा मारने की इलेक्ट्रिक मशीन/ या हाथ का रंदा, रंदा मारने के लिए टेबल, पेचकस/प्लास।

कटर: फोम काटने के लिए/बड़े वाला छुरा

कतिया: इससे जिग जेग स्प्रिंग आसानी से कट जाती है।

सोफे के बिजनेस में क्या लाभ

  • आसानी से शुरू किया जा सकता है।
  • कंपटीशन बहुत कम है।
  • आपको तथा अन्य लोगों को रोजगार मिलता है।
  • आपको मोटा आर्डर मिलने के ज्यादा चांस रहते हैं, जिससे आप जल्द ही अपने वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकते हो। जैसे कि: होटल, लॉज, हॉस्पिटल, सरकारी दफ्तर इत्यादि से आर्डर मिल सकता है।

सोफे बनाने की पूरी प्रक्रिया

1. लकड़ी का फ्रेम बनाना: सोफा बनाने के लिए सबसे पहले आपको लकड़ी का फ्रेम बनाना होगा। इसके लिए आप चाहे तो बाजार से लकड़ी की सिल्ली भी कटवा सकते हैं या फिर अपने साइज पहले से कटी हुई लकड़ी ले सकते हैं।

यह लकड़ी कम से कम 10 फुट लंबी होनी चाहिए। इसके बाद आप चाहे तो, इस पर बाजार से रंदा लगवा सकते हैं। रंदा लगवाने से लकड़ी साफ-सुथरी हो जाती है।

सोफे के ऊपर फ्रेम में 2 बाय 2 इंची या 2 इंची बाय डेढ़ इंची लकड़ी का इस्तेमाल करना ठीक रहेगा। इसके नीचे के बेस पर, जहां पर इसमें पावे लगेंगे, उस फे्रम को यदि आप मजबूत करना चाहते हैं तो, 3 बाय 1.5 की लकड़ी का इस्तेमाल करें।

2. जिग जेग स्प्रिंग लगाना: इसके बाद फ्रेम में जिगजाग स्प्रिंग लगानी है। इससे सोफे पर बैठने पर बाउंसबैक का अनुभव होता है। जिगजाग स्प्रिंग को कतिया से साइज के हिसाब से काटना है। इसे थोड़ा खींचकर लगाना चाहिए।

3. फोमिंग करना: इसके बाद सोफे के वुडन स्ट्रक्चर पर हम फोम की पेस्टिंग करेंगे। इससे सोफा बहुत ही आरामदायक हो जाएगा।

4. हैंडल तथा बैक: अगले स्टेप में हमें सोफे की बैक तथा हैंडल को कंप्लीट करना है। सोफे की सीट भी दो प्रकार से बनती है। पहली जो सोफे में फिक्स रहती है और दूसरी फ्रेम पर अलग से बनाकर फिक्स की जाती है।

5. सोफा कंप्लीट व पैकिंग : इस स्टेप में हम सोफे पर चारों तरफ कपड़ा लगा देंगे। सोफा पूरा होने के बाद जब आपको ग्राहक के घर भेजना है, तो उसे बहुत अच्छी तरह पैक कर लें। ट्रांसपोर्टेशन के दौरान झटके लगने से सोफा फट सकता है, इसलिए उसे अच्छी तरह बांंधें, जहां पर भी रस्सी हो वहां पर उसके नीचे फोम का टुकड़ा अवश्य लगाएं। पन्नी से अच्छी तरह पैक कर दें ताकि रास्ते में धूल मिट्टी से वह गंदा ना हो जाए।

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