कॉन्ट्रेक्ट लेबर रखने वाले संस्थानों को एचयूएम से जोड़ा जाएगा : दुष्यंत

Contract labor institutions will be linked to HUM Dushyant

श्रम विभाग 6 महीने में पूरा करेगा काम

गुरुग्राम (सच कहूँ न्यूज)। हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की अध्यक्षता में स्टेट एडवाइजरी कान्ट्रेक्ट लेबर बोर्ड की दूसरी बैठक गुरुग्राम में आयोजित की गई, जिसमें निर्णय लिया गया कि कॉन्ट्रेक्ट लेबर रखने वाली सभी पंजीकृत साइटों तथा संस्थानों को हरियाणा उद्योग मेमोरेंडम (एचयूएम) के साथ जोड़ा जाएगा। इसके लिए श्रम विभाग अगले 6 महीने के दौरान सभी संस्थानों की समीक्षा करेगा। उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास श्रम विभाग भी है। बैठक में निर्णय लिया गया कि अगले 6 महीने में कान्ट्रेक्ट लेबर रखने वाले संस्थानों के पास एचयूएम नंबर होना जरूरी है, जिसके अंतर्गत ठेकेदारों तथा श्रमिकों का पंजीकरण उनके आधार नंबर के साथ किया जा रहा है। श्रम विभाग यह पुष्टि करेगा कि ऐसे हर संस्थान का रजिस्ट्रेशन हो और 1 फरवरी 2021 के बाद यदि कोई ठेकेदार अथवा संस्थान पंजीकृत नहीं पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी की जाएगी। चौटाला ने कहा कि एचयूएम से जुड़ने के बाद कॉन्ट्रेक्ट लेबर के तौर पर काम करने वाले सभी श्रमिकों को ईएसआई तथा ईपीएफ का पूरा लाभ मिलना सुनिश्चित हो सकेगा।
बैठक में दूसरा महत्वपूर्ण एजेंडा रबर उद्योग से जुड़ी इकाईयों में कॉन्ट्रेक्ट लेबर रखने के बारे में था। इस मामले में सभी औद्योगिक एसोसिएशनों तथा ट्रेड यूनियनों से सुझाव आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया कि वे रबर उद्योग में कॉन्ट्रेक्ट लेबर रखवाने के पक्ष में हैं अथवा नहीं। सुझाव मिलने के बाद ही बोर्ड की अगली बैठक में इस एजेंडा बिंदु पर निर्णय लिया जाएगा। यहां बता दें कि वर्षों पहले 1984 में रबर उद्योग में कॉन्ट्रेक्ट लेबर रखने को सरकार द्वारा वर्जित किया गया था और सरकार के उस फैसले को एक रबर उद्योग ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उस याचिका का निपटारा करते हुए 26 अगस्त 2014 को उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वह संबंधित सभी पक्षों को सुनने के बाद इस मामले का निपटारा करें। आज यह मामला स्टेट एडवाइजरी कान्ट्रेक्ट लेबर बोर्ड की बैठक में रखा गया था। बताया गया कि यह एक्ट हरियाणा में नवंबर 2017 में लागू हुआ था। यह एक्ट उन प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, जिसमें साल के किसी भी एक दिन 50 या इससे अधिक श्रमिक लगाए गए हों।

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