
10 अप्रैल 1912। ब्रिटेन के साउथैम्पटन बंदरगाह से टाइटैनिक जहाज अपने पहले और आखिरी सफर पर निकला। टाइटैनिक के बारे में कहा जाता था कि ये टाइटैनिक जहाज कभी डूब ही नहीं सकता। उस समय टाइटैनिक भाप (titanic real story) से चलने वाला दुनिया का सबसे बड़ा जहाज था। अपने साथ करीब 2200 लोगों का काफिला लेकर ये जहाज न्यूयॉर्क की तरफ निकला।
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शुरूआती तीन दिनों का सफर बढ़िया रहा। ये विशाल टाइटैनिक जहाज (titanic real story) समुद्र की लहरों को चीरते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा था, लेकिन 14 अप्रैल की आधी रात उत्तर अटलांटिक महासागर में एक बर्फ की चट्टान से जा टकराया। कभी न डूबने वाला ये जहाज समुद्र की गहराइयों में समा गया और 1500 से ज्यादा लोग मारे गए। टाइटैनिक डूब तो गया, लेकिन समुद्र में उसके मलबे का कोई पता नहीं चला। अलग-अलग टीमें टाइटैनिक के मलबे को तलाश करती रहीं। अमेरिका की एक टीम भी पनडुब्बी के जरिए उसे तलाश रही थी। इस टीम का नेतृत्व कर रहे थे- डॉक्टर रॉबर्ट बलार्ड।
इस पनडुब्बी ने 73 साल बाद 1 सितंबर को आखिरकार टाइटैनिक शिप (titanic real story) के मलबे को ढूंढ निकाला। आज ही के दिन 1985 में इसके मलबे की पहली तस्वीर दुनिया के सामने आई। टाइटैनिक समुद्र में 13 हजार फीट नीचे पड़ा हुआ था और दो टुकड़ों में टूट गया था। 1997 में टाइटैनिक पर इसी नाम से एक फिल्म बनी थी, जो सुपरहिट रही। टाइटैनिक को 20वीं सदी की शुरूआत में इंग्लैंड की जहाज बनाने वाली कंपनी वाइट स्टार लाइन ने बनाया था। इसे बनाने का काम 1909 में शुरू हुआ था और 1912 में इसे पूरा कर लिया गया। 2 अप्रैल 1912 को इसका समुद्री परीक्षण हुआ था। 10 अप्रैल 1912 को ये अपने पहले सफर पर निकला था।
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