Women’s Health: महिला बिस्तर पर पड़ जाए तभी डाक्टर के पास ले जाएँ ऐसी सोच को बदलना होगा: डॉ. भवतोष शंखधर

Women's Health
Women's Health: महिला बिस्तर पर पड़ जाए तभी डाक्टर के पास ले जाएँ ऐसी सोच को बदलना होगा: डॉ. भवतोष शंखधर

Special on International Day of Action for Women’s Health: गाजियाबाद(सचकहूं न्यूज ) । स्वस्थ जिन्दगी हर किसी की पहली जरूरत होती है लेकिन बहुत से घरों में आज भी महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता में नहीं रखा जाता जो कि अत्यंत ही विचारणीय विषय है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. भवतोष शंखधर का कहना है कि महिला का पूर्ण स्वस्थ होना इसलिए भी बहुत जरूरी है क्योंकि वह अस्वस्थ हो जाए तो घर के बच्चों से लेकर बड़े तक सभी प्रभावित होते हैं। ऐसे में महिला बिस्तर पर पड़ जाए तभी डाक्टर के पास ले जाएँ जैसी सोच को बदलना होगा और महिला को पूर्ण रूप से स्वस्थ बनाने के लिए हर जरूरी पहलू पर गंभीरता से विचार करना होगा। इसी सोच को परवान चढ़ाने के लिए हर साल 28 मई को महिला स्वास्थ्य के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस पर यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर खुलकर बात करने की जरूरत है ताकि महिला स्वतंत्र रूप से यह निर्णय ले सके कि उसे कब और कितना बच्चा चाहिए। Women’s Health

पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल –इंडिया (पीएसआई-इंडिया) के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर मुकेश कुमार शर्मा का कहना है कि प्रजनन स्वास्थ्य किसी भी महिला का भारतीय संविधान द्वारा दिया गया वह अधिकार है जिसमें समानता एवं शिक्षा का अधिकार, सही उम्र में विवाह का अधिकार, परिवार नियोजन अपनाने का अधिकार, महिला को बच्चा कब और कितना चाहिए यह निर्णय लेने का अधिकार तथा हिंसा मुक्त एवं पोषणयुक्त खुशहाल जीवन जीने का अधिकार शामिल है। अनचाहा गर्भधारण महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालने के साथ ही जान को जोखिम में डालने का काम करता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद बास्केट ऑफ़ च्वाइस में से अपना मनपसन्द गर्भ निरोधक विकल्प चुनें और अनचाहे गर्भ से बचकर स्वस्थ रहें और घर में खुशहाली लाएं। इसमें पति से लेकर माता-पिता, सास-ससुर और परिवार के अन्य बड़े सदस्यों की भी अहम भूमिका हो सकती है।

मुकेश कुमार शर्मा का कहना है कि महिला स्वास्थ्य के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई दिवस को हर साल मनाने का मूल उद्देश्य महिलाओं को उनकी सेहत से जुड़े मुद्दों के बारे में पूर्ण रूप से शिक्षित करने के साथ ही उन्हें हर क्षेत्र में सशक्त बनाना है। महिलाओं को भेदभाव, घरेलू हिंसा, जबरदस्ती और उपेक्षा से बचाने के बारे में इस दिवस पर हर किसी का ध्यान आकर्षित किया जाता है। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना भी जरूरी है। इस दिवस पर संकल्प लेने की जरूरत है कि महिलाओं तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच को आसान बनायेंगे। सुरक्षित एवं कानूनी गर्भपात के बारे में शिक्षित बनाएंगे। एचआईवी/एड्स के प्रति भी जागरूकता लायेंगे।

इस दिवस को मनाने की सार्थकता तभी है जब स्वास्थ्य देखभाल पहुंच में लैंगिक असमानता को पूरी तरह से दूर करते हुए महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य, मातृ कल्याण और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार के प्रति सशक्त बनाया जाए। महिलाओं और लड़कियों को उच्च शिक्षा तक पहुंचने के लिए उचित और समान अवसर मिले और व्यावसायिक प्रशिक्षण मुहैया कराया जाए। घरेलू हिंसा और संभावित मानव तस्करी पर चर्चा हो । कम उम्र में शादी और शादी के तुरंत बाद गर्भ धारण जैसी सोच को बदला जाए। करियर में उन्नति के लिए समान रास्ते विकसित करने के साथ ही वेतन असमानता को दूर करने की तरफ और पर्याप्त प्रयास हों। ज्ञात हो कि वर्ष 1987 में दक्षिण अफ्रीका में पहली बार इस दिन को महिला स्वास्थ्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस के रूप में मान्यता दी गई थी। तब से हर साल यह दिन महिलाओं और स्वास्थ्य समूहों द्वारा मनाया जाता है।

यह भी पढ़ें:– मवेशी चोरी के मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here