
Snake News: अनु सैनी। रीवा के बिटनरी हॉस्पिटल के प्रोफेसर और हेड डॉ. ए.के. मिश्रा के अनुसार, सांप शीत रक्त वाले जीव होते हैं। ठंड बढ़ते ही उनके शरीर का तापमान काफी नीचे चला जाता है और खून गाढ़ा होकर लगभग जमने जैसा हो जाता है। इसी कारण सर्दियों में सांपों की चाल-ढाल बेहद धीमी पड़ जाती है और वे सामान्य रूप से चल-फिर भी नहीं पाते। डॉ. मिश्रा बताते हैं कि ठंड के महीनों में सांप भोजन भी नहीं कर पाते, जिससे उनका शरीर और भी कमजोर हो जाता है। यह समय उनके लिए बेहद कष्टदायक होता है, इसलिए वे लगभग 3 से 4 महीने तक पूरी तरह शांत और छिपे हुए स्थानों पर पड़े रहते हैं, जैसे ज़मीन के भीतर बिलों में, लकड़ियों के ढेर में, या किसी गर्म जगह पर।
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विशेषज्ञ के अनुसार, इस दौरान सांप मानसिक रूप से भी चिड़चिड़े और आक्रामक अवस्था में रहते हैं। सर्दी में जैसे ही धूप लगती है, वे गर्माहट सोखते हैं जिसे स्थानीय भाषा में ‘शीत पीना’ कहा जाता है। इससे उन्हें नशे जैसी सुस्ती महसूस होने लगती है और वे बिलकुल शांत लेटे रहते हैं। लेकिन सावधानी जरूरी है, अगर इस अवस्था में कोई इंसान गलती से सांप के ऊपर पैर रख दे या उसे छेड़ दे, तो वह अचानक हमला कर सकता है और एक ही डस में अपना पूरा ज़हर छोड़ देता है।














