Gynaecology: स्त्री रोग में क्रांति ला रही एडवांस लेप्रोस्कोपिक सर्जरी | Dr Anjali Kumar

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Gynaecology स्त्री रोग में क्रांति ला रही एडवांस लेप्रोस्कोपिक सर्जरी | Dr Anjali Kumar

स्त्री रोग विशेषज्ञ ने स्त्री रोग से जुड़े मामलो पर डाला प्रकाश

बागपत सन्दीप दहिया। Gynaecology: पिछले कुछ वर्षों में, स्त्री रोग (गायनेकोलॉजी) से जुड़े मामलों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी काफी प्रभावशाली साबित हुई है। इन मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाओं में स्त्री रोग से जुड़े मामलों में बीमारी का पता लगाने और इलाज करने के लिए छोटे कट लगाए जाते हैं और स्पेशलाइज्ड उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। लैप्रोस्कोपी सर्जरी ने गायनेकोलॉजी के क्षेत्र में क्रांति ला दी है जिससे मरीज की रिकवरी कम वक्त में हो जाती है, निशान कम आते हैं और बेहतर परिणाम आते हैं।गुरुग्राम के सीके बिरला हॉस्पिटल में ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग की डायरेक्टर डॉक्टर अंजलि कुमार ने इस विषय पर विस्तार से जानकारी दी।

लैप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी- परंपरागत रूप से, हिस्टेरेक्टॉमी (सर्जरी के जरिए यूट्रस निकालना) पेट में चीरे के माध्यम से की जाती थी, जिसमें मरीज की रिकवरी में लंबा समय लग जाता था।हालांकि, लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है जिसके चलते मरीज की रिकवरी तुरंत होती है, ऑपरेशन के बाद दर्द कम होता है और निशान भी बहुत कम होते हैं। रोबोटिक-असिस्टेड लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी जैसी एडवांस तकनीक से इलाज को और मजबूती मिली है। इसमें, जटिल शारीरिक संरचनाओं को भी डॉक्टर ज्यादा आसानी से नेविगेट कर लेते हैं और ऑपरेशन में इससे काफी मदद मिलती है। जिन महिलाओं को यूटेरिन फाइब्रॉएड, एंडोमेट्रियोसिस या पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है उनके लिए ये प्रक्रिया काफी कारगर है। Gynaecology

एंडोमेट्रियोसिस- एंडोमेट्रियोसिस में यूट्रस के बाहर एंडोमेट्रियल टिशू बढ़ जाते हैं। ये गंभीर पेल्विक पेन और बांझपन का कारण बन सकता है।एंडोमेट्रियोसिस घावों के लिए लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया एक बहुत ही स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट मेथड बन गया है।इसमें डॉक्टर एंडोमेट्रियोसिस इम्प्लांट्स को विजुलाइज करने, उनका मैप बनाने, और ठीक से हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक उपकरणों का उपयोग करते हैं, जिससे मरीजों को लंबे समय तक राहत मिलती है।इन मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया से न केवल लक्षण कम होते हैं, बल्कि प्रजनन क्षमता भी इससे प्रिजर्व होती है। महिलाओं को इसका काफी लाभ मिलता है। Gynaecology

ओवेरियन सिस्टेक्टोमी – ओवेरियन अल्सर, तरल पदार्थ से भरी थैली जो अंडाशय पर बनती है। इसमें दर्द, हार्मोनल असंतुलन और फर्टिलिटी संबंधी परेशानियां होने का डर रहता है। लेप्रोस्कोपिक सिस्टेक्टोमी की मदद से डॉक्टर अल्सर को हटाते हैं और स्वस्थ ओवेरियन टिशू को संरक्षित करते हैं, इससे ओवेरियन फंक्शन बेहतर होता है और फर्टिलिटी भी सुधरती है। इंट्राऑपरेटिव अल्ट्रासाउंड और फ्लोरेसेंस इमेजिंग जैसी एडवांस तकनीक से अल्सर की सटीक पहचान की जाती है और फिर उसे हटाया जाता है। इस प्रक्रिया में जोखिम कम रहता है।ओपन सर्जरी की तुलना में लेप्रोस्कोपिक सिस्टेक्टोमी के बाद दर्द कम होता है, अस्पताल में मरीज को कम वक्त रहना पड़ता है और वो रोजमर्रा के काम भी जल्दी वापसी हो जाती है।

मायोमेक्टोमी- यूटेरिन फाइब्रॉएड के कारण पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है, पेल्विक पेन होता है और प्रजनन संबंधी परेशानियां भी हो जाती हैं। मायोमेक्टोमी में गर्भाशय को संरक्षित करते हुए फाइब्रॉएड को सर्जरी के जरिए हटाया जाता है। जो महिलाएं गर्भधारण करना चाहती हैं, उनके लिए ये एक बेहतर उपाय है। लैप्रोस्कोपिक मायोमेक्टोमी पारंपरिक ओपन सर्जरी से ज्यादा पॉपुलर है क्योंकि इसमें छोटे चीरे लगाए जाते हैं, ब्लड लॉस कम होता है और मरीज की रिकवरी भी तेजी से होती है। रोबोटिक-असिस्टेड लेप्रोस्कोपिक मायोमेक्टोमी से सर्जरी काफी सटीक हुई है और इसके परिणामस्वरूप बेहतर प्रजनन रिजल्ट आते हैं। Gynaecology

ट्यूबल रिवर्सल- जिन महिलाओं की ट्यूबल लिगेशन (सर्जिकल नसबंदी) होती है, उनके लिए ट्यूबल रिवर्सल सर्जरी प्रजनन क्षमता को बहाल करने का अवसर प्रदान करती है।लेप्रोस्कोपिक ट्यूबल रीनेस्टोमोसिस में फैलोपियन ट्यूबों को फिर से जोड़ा जाता है, जिससे प्राकृतिक गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ती हैं। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी से निशान कम आते हैं और ऑपरेशन के बाद मरीज को कम परेशानी होती है जिससे महिलाओं को अपनी रुटीन की गतिविधियों में तेजी से लौटने में मदद मिलती है।

लैप्रोस्कोपिक तकनीक, माइक्रोसर्जिकल स्किल्स से साथ जुड़ी होती है जिससे ट्यूबल रिवर्सल सर्जरी की सफलता दर और परिणामों में काफी सुधार होता है।एडवांस गायनेकोलॉजी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के आने से प्रजनन आयु के दौरान स्त्री रोग संबंधी तमाम परेशानियों को ठीक करने के मामले में क्रांति आई है. मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाएं, जैसे कि लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी, एंडोमेट्रियोसिस एक्साइशन, ओवेरियन सिस्टेक्टोमी, मायोमेक्टोमी और ट्यूबल रिवर्सल से मरीजों को ओपन सर्जरी की तुलना में काफी लाभ पहुंचा है। तेजी से रिकवरी, कम निशान और बेहतर प्रजनन रिजल्ट के चलते लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से स्त्री रोगों से पीड़ित महिलाओं के लिए आशा की किरण मिली है. तकनीक भी लगातार बढ़ रही है, जिससे ये उम्मीद की जा रही है कि लैप्रोस्कोपिक तकनीक भी आगे विकसित होगी जिससे और बेहतर रिजल्ट प्राप्त होंगे और महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हेल्थ में सुधार आएगा।