अमेरिका, ईरान पर लगे प्रतिबंध हटाने को तैयार

America Iran

वॉशिंगटन (एजेंसी)। अमेरिका ने कहा कि वह ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते के अनुपालन फिर शुरू करने को लेकर उस पर लगाए गए प्रतिबंधों को उठाने के लिए तैयार है। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम जेसीपीओए (संयुक्त कार्य योजना) के साथ अनुचित प्रतिबंधों को उठाने के लिए तैयार हैं।’ प्राइस ने स्पष्ट किया कि अमेरिका की ओर से एकतरफा इशारा नहीं होगा, वह ‘अनुपालन के लिए अनुपालन’ सूत्र का पक्षधर है। परमाणु समझौते को पूरी तरह से बहाल करने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा के लिए इस समय एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल आस्ट्रिया में जेसीपीओएए सदस्यों के साथ एक बैठक में भाग ले रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधियों की फ्रांस, जर्मनी, रूस, चीन और ब्रिटेन के समकक्षों के साथ बैठकें हुर्इं, लेकिन ईरान की टीम के साथ सीधी बातचीत में शामिल होने की उम्मीद नहीं है।

क्या होते हैं आर्थिक प्रतिबंध

किसी देश के व्यापार पर बंदिश, अलग अलग अंतरराष्ट्रीय शुल्कों में बढ़ोतरी, बैंकों के माध्यम से होने वाले वित्तीय लेन-देन पर रोक, कंपनी और व्यक्तिगत खातों को सील किया जाना आर्थिक प्रतिबंध होता है। इस तरह से उस देश की वित्तीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश की जाती है। शक्तिशाली देश अकसर इस उपाय को अपनाते हैं। मसलन सबसे बड़ी सैन्य और आर्थिक महाशक्ति अमेरिका ने क्यूबा, ईरान, उत्तर कोरिया जैसे देशों पर समय-समय पर प्रतिबंध लगाए हैं।

प्रतिबंध का वैश्विक असर

दरअसल आधुनिक युग में शक्तिशाली राष्ट्र अपने कूटनीतिक उद्देश्यों और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए किसी दूसरे देश को सबक सिखाने के उद्देश्य से सैन्यबल का उपयोग करने में कतराने लगे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो आज शक्तिशाली देश समझ रहे हैं कि युद्ध समस्या का समाधान नहीं है और इसलिए सैन्य शक्ति के उपयोग से हटकर आर्थिक प्रतिबंधों का इस्तेमाल बेहतर है।

अन्य देशों पर भी प्रभाव

आर्थिक प्रतिबंध लगने से न सिर्फ छोटे देश प्रभावित होते हैं बल्कि उसके साथ व्यापार कर रहे दूसरे देश भी चपेट में आ जाते हैं। उदाहरण के लिए ईरान के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौते से पीछे हटते हुए अमेरिका ने 180 दिन में ईरान पर पुन: प्रतिबंध प्रभावी होने का ऐलान कर दिया था। इस प्रतिबंध का असर भारत पर भी पड़ा क्योंकि ईरान से तेल खरीदना मुश्किल हो गया। भारत ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार देशों में शुमार था, जबकि भारत के लिए ईरान तीसरा सबसे बड़ा तेल बेचने वाला देश है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भुगतान मोटे तौर पर डॉलर में किया जाता है। ऐसे में अगर प्रतिबंध लगे तो भुगतान में मुश्किलें आती हैं और खरीदारी नहीं हो पाती है।

 

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