कश्मीर और दिल की दूरी

Jammu and Kashmir

केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के दो वर्ष बाद चुनाव करवाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। केंद्र सरकार ने बुलाई आल-पार्टी मीटिंग में कांग्रेस, भाजपा, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस सहित राज्यों की प्रमुख पार्टियों के नेता पहुंचे। प्रधानमंत्री ने मीटिंग को दिल की दूरी दूर करने का संकल्प बताया और जिस खुशनुमा माहौल में मीटिंग हुई उससे लग रहा है कि सरकार पहला कदम उठाने में कामयाब हुई है। धारा-370 तोड़ने के बाद केंद्र सरकार विशेष तौर पर भाजपा और कश्मीर की कुछ पार्टियां में कड़वाहट थी। बहुत दिनों से यह मांग उठ रही थी कि केंद्र सरकार को कश्मीरी नेताओं से बातचीत करनी चाहिए। इस मांग के प्रति केंद्र ने उदारता दिखाई है और प्रधानमंत्री की इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के आठ राजनीतिक दलों के करीब 14 नेता शामिल हुए हैं। इनमें से ज्यादातर नेता वे हैं, जिन्हें अनुच्छेद 370 हटाए जाने के दौरान नजरबंद कर दिया गया था।

5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाए जाने के बाद निस्संदेह यह एक बड़ी सकारात्मक राष्ट्रीय घटना है। पाबंदियां लगने के कारण कश्मीर के राजनेता नाराज थे, कश्मीर पार्टी के गठबंधन को लेकर कई तल्ख टिप्पणीयां भी हुर्इं थी। प्रधानमंत्री की दिल की दूरी को दूर करने वाली टिप्पणी इस बात का शुभ संकेत है कि अब पूरा मामला आपसी विश्वास से ही सुलझेगा। चुनाव का सफल होना और फिर मुकम्मल राज्य का दर्जा देने से कश्मीर के लोगों में विश्वास की भावना बढ़ेगी। यहां सबसे बड़ी आवश्यकता सद्भावना की है। यह बात भी सराहनीय है कि सख्त पाबंदियों के बावजूद जम्मू-कश्मीर में विकास कार्यों को गति मिली है जिसका परिणाम यह निकला है कि जनता का देश की सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है।

यदि अब राजनीतिक पार्टियां केंद्र सरकार का सहयोग करेंगी तब राज्य में लोकतंत्र की प्रक्रिया के अंतर्गत चुनाव होंगे और लोगों की चुनी हुई सरकार कश्मीर में सही तरीके से काम कर सकेगी। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में राज्य की सरकार और आम जनता का सहयोग भी आवश्यक है। जम्मू-कश्मीर में पाक आधारित आतंकी संगठनों के अमन रास नहीं आ रहा। पाकिस्तान भी नहीं चाहता कि जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य व राज्य सरकार का गठन हो लेकिन जिस प्रकार पार्टियां आगे आई हैं उससे यह उम्मीद बंध गई है कि पाकिस्तान की कोशिशें नाकाम होंगी। लोकतंत्र में वोट का अधिकार चुनावों से ऊपर होता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्रीय शांति प्रदेश में लोगों की चुनी हुई सरकार बनेगी और मुकम्मल सूबो का दर्जा मिलेगा।

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