रूहानियत के रंग में रंगी गुलाबी नगरी

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जयपुर। पावन महापरोपकार (गुरुगद्दीनशीनी) माह की खुशी में आयोजित शुभ भंडारे के अवसर पर पूज्य गुरु जी के अनमोल वचनों को श्रद्धापूर्वक श्रवण करती साध-संगत।

राजस्थान की साध-संगत ने धूमधाम से मनाया महापरोपकार माह का भंडारा

  • नाचते-गाते नामचर्चा सत्संग पंडालों में पहुंचे श्रद्धालु | MSG Bhandara
  • जरूरतमंद परिवारों को बांटा राशन

जयपुर (सच कहूँ टीम)। जयपुर के मानसरोवर में रविवार को सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का पावन गुरुगद्दीनशीनी दिवस का शुभ भंडारा राजस्थान की साध-संगत ने महा परोपकार माह के रूप में हर्षोल्लास और अनुपम श्रद्धाभाव से मनाया। महा परोपकार माह की खुशी में स्पीकर्स वेली, कल्याणपुरा न्यू सांगानेर रोड मानसरोवर जयपुर में आयोजित नामचर्चा सत्संग में बरसात के बावजूद रंगीले प्रदेश राजस्थान से भारी तादाद में साध-संगत ने शिरकत की। MSG Bhandara

इस दौरान साध-संगत में सतगुरु पर अटूट विश्वास, असीम आस्था और श्रद्धा भावना की अविस्मरीय झलक देखने को मिली। नामचर्चा सत्संग के दौरान स्थानीय साध-संगत की ओर से फूड बैंक मुहिम के तहत जरूरतमंद परिवारों को राशन किटें भी बांटी गर्इं। बता दें कि पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने 23 सितंबर 1990 को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पावन गुरुगद्दी की बख्शिश की थी। इसलिए सितंबर महीने को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत पावन महा परोपकार माह के रूप में मनाती है और इसी क्रम में रविवार को जयपुर में राजस्थान प्रदेश की साध-संगत ने पावन महा परोपकार माह का शुभ भंडारा नामचर्चा सत्संग करके मनाया है।

जयपुर में महापरोपकार माह के भंडारे के उपलक्ष्य में आयोजित नामचर्चा सत्संग पंडालों में रविवार सुबह छह बजे से ही साध-संगत पहुँचना शुरू हो गई थी। सुबह 11 बजे तक सभी पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गए। तत्पश्चात ‘‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’’ के इलाही नारे के रूप में पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पावन महापरोपकार माह के भंडारे की बधाई देने के साथ ही नामचर्चा सत्संग का आगाज हुआ। इसके पश्चात कविराजों ने सतगुरु जी की महिमा का गुणगान करते भजनों के माध्यम समां बांध दिया। भारी तादाद में पहुँची साध-संगत ने नाच गाकर अपनी खुशी का इजहार किया।  इस दौरान नामचर्चा सत्संग पंडाल में बड़ी एलईडी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु जी के रिकॉर्डिड पावन अनमोल वचनों को साध-संगत ने एकाग्रचित होकर श्रवण किया। वहीं नामचर्चा सत्संग की समाप्ति तक साध-संगत के पहुँचने का सिलसिला अनवरत जारी रहा। MSG Bhandara

हमारी संस्कृति बड़ी महान : पूज्य गुरु जी

  • अनमोल वचन

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि चर्चा उस परमपिता परमात्मा की, पर इन्सान उसके लायक बने, उसके काबिल बने। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमारी संस्कृति बड़ी महान है। लेकिन इस संस्कृति को आप छोड़ते जा रहे हैं। किसी के पाँव छूने से क्या होता है? और किसी के आशीर्वाद देने से क्या हो जाता है? जब एक बच्चा झुक कर अपने माँ-बाप के पाँवों को छूता है और ज्यादातर माँ-बाप आशीर्वाद ही देते हैं और वो दाहिना हाथ अपने बेटे के सिर पर रखते हैं, आजकल तो कटिंग वगैरहा खराब हो जाती है इसलिए दूर से ही चला देते हैं काम। पहले यही था कि सिर पर हाथ रखा जाता था और पॉजीटिव वाइब्रेशन माना जाता है कि इन्सान के हाथ से जाती है जब वो दुआएं देता है या बद्दुआएं देता है।

आज विज्ञान भी मानती है इस बात को कि झुकना सीखना अति जरूरी होता है। जो पेड़ झुका नहीं करते वो जल्दी कट जाया करते हैं, क्योंकि उनके फल नहीं आता और जो झुकते रहते हैं वो कटते नहीं बल्कि सजते-संवरते रहते हैं। कहीं भी बाग-बगीचे देख लीजिये, जिन पेड़ों पर फल बहुत आता है वो झुके रहते हैं, डालियां झुकी रहती हैं और माली कह लीजिये, किसान कह लीजिये, उसके लिए वो पौधे बहुत ही अनमोल हो जाते हैं कि इसने यार आज इतना झाड़ दिया है, इतना फल दिया है।

तो यदि उसकी टहनियां सूखती हैं, उसको पानी की जरूरत पड़ती है तो एडवांस में उसको पानी दिया जाता है, उसकी कटिंग की जाती है यानि उसको रोग नहीं लगने देते। और एक (पेड़) सीधा ही खड़ा रहता है, फल है ही नहीं तो वो मन से उतर जाता है, कम ही पानी मिलता है, कम ही कांट-छांट होती है और आखिर में वो सूखकर कट जाता है। तो इसलिए झुकना बहुत बड़ी बात है। लेकिन कहां? अपने बुजुर्गवार के आगे और उस ओउम, हरि, अल्लाह, परमात्मा के आगे। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जैसे अभी आपको बोला आप यदि अपने बुजुर्गों, अपने माँ-बाप, दादा-दादी के पाँव छूते हैं तो जब आप झुकते हैं तो आपके अंदर की दीनता-नम्रता और बढ़ जाती है, आपके अंदर इन्सानियत के गुण और प्रबल हो जाते हैं और अच्छे आपके अंदर ग्रहण करने की शक्ति आ जाती है।

पानी हमेशा नीची जगहों पर रूकता है, टीलों के बिल्कुल टीसी टॉप पर नहीं रूकता। उसी तरह जब आप झुकते हैं अपने माँ-बाप जन्मदाता के आगे, वैसे तो उनका ऋण आप नहीं उतार सकते, लेकिन जब आप झुकते हैं तो उनका वो दाहिना हाथ या बायां हाथ, जो भी आपके सिर पर रखा जाता है तो अगर वो आशीर्वाद देते हैं तो यकीन मानों पॉजीटिव वाइब्रेशन आपके माइंड में बड़ी जल्दी आती हैं। जब आदमी सुमिरन करता है, मैथड़ आॅफ मेडिटेशन करता है, ध्यान में बैठता है तो पॉजीटिव (सकारात्मक) जो रेज हैं, वो किरणें हैं सबसे पहले उसका दिमाग ग्रहण करता है और फिर वो दिमाग पूरी बॉडी में सप्लाई कर देता है, जिससे आपकी बॉडी रिपेयर होती चली जाती है, पावरफुल होती चली जाती है।

जिससे आप तंदुरूस्ती हासिल करते हैं और जिनका शरीर तंदुरूस्त होता है, उन्हें सब खुशियां मिल जाया करती हैं। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि बाल्यावस्था से ही बच्चों को अच्छे संस्कार देने चाहिए। इसके साथ ही रिश्तों के प्रति वफादार रहने के लिए भी प्रेरित किया। आपजी ने फरमाया कि इंसान को कभी भी अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहिए। गृहस्थ जिंदगी में तालमेल बहुत जरूरी है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि भगवान एक है, लेकिन एक होते हुए सभी जगह रहता है। इसलिए अपनी भावना को शुद्ध रखो औैर भावना को शुद्ध रखने के लिए सुमिरन अति जरूरी है। MSG Bhandara

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