किसानों को मधुमक्खी पालन रास तो आ रहा, पर कम भाव से मायूसी

Bee keeping
गांव नुहियांवाली में मधुमक्खियों की देखरेख करता एक मधुमक्खी पालक। 

किसान बोले : शहद को भावंतर योजना में शामिल करना चाहिए | (Bee keeping)

  • 85 प्रतिशत अनुदान दे रही सरकार

ओढां, राजू। किसानों ने खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन (Bee keeping) को विकल्प के रूप में चुना था। वहीं सरकार की ओर से भी इस व्यवसाय पर अच्छा अनुदान दिया जाता है। ये व्यवसाय किसानों को रास तो आ रहा है, लेकिन इस समय शहद के भाव कम होने के चलते उनके चेहरे पर मायूसी देखी जा रही है। भाव के इंतजार में व्यवसायियों ने शहद का स्टॉक कर रखा है, लेकिन आर्थिक स्थिति के चलते अधिक समय तक स्टॉक कर पाना उनके लिए मुश्किल है। Bee keeping

मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करने वाले किसानों का कहना है कि अगर सरकार शहद को अन्य फसलों की भांति भावंतर योजना के अंतर्गत लेती है तो उनका यह व्यवसाय चलता रहेगा। किसानों का कहना है कि शहद के दाम लागत मूल्य से अधिक 200 रुपये प्रति किलो होने चाहिए। इसके अलावा मिलावटी शहद पर रोक लगाई जाए, चाइना से आयतित सिरप या भारत में तैयार होने वाली सिरप पर प्रतिबंध लगाया जाए, सरसों के शहद को मिड-डे-मील योजना में शामिल किया जाए तथा मधुमक्खी पालकों को क्रेडिट कार्ड सुविधा दी जाए। Bee keeping

यूपी व दक्षिणी राजस्थान मेंं ले जा रहे बॉक्स:-

इस समय हरियाणा-पंजाब में मधुमक्खियों का आॅफ सीजन है। ऐसे में मक्खियों को बचाने के लिए व्यवसायियों को मक्खियों के डिब्बों को यूपी व दक्षिणी राजस्थान में ले जाना पड़ रहा है। वहां इस समय तिल व बाजरे की खेती है। वहां पर 2 माह रखने के बाद वापस आ जाएंगे। उस समय बेरी के वृक्षों पर फूल आ जाएंगे। इसके अलावा उन्हें सीजन के हिसाब से डिब्बों को अलग-अलग राज्यों में ले जाना पड़ता है। लेकिन इस समय शहद के भाव में मंदी के चलते मधुमक्खी पालक मधुमक्खियों को बचाने के लिए चीनी की फीड से जैसे-तैसे काम चला रहे हैं। अगर शहद के भाव की बात करें तो हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी व महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में कहीं भी 60-70 रुपये किलो से अधिक भाव नहीं है। ऐसे में किसानों को लागत मूल्य भी वापस आता दिखाई नहीं दे रहा।

स्टॉक तो कर रखा है, लेकिन भाव नहीं:-

गांव चोरमारखेड़ा निवासी जगसीर सिंह रुहल ने ये व्यवसाय करीब 10 वर्ष पूर्व शुरू किया था। उसका कहना है कि पिछली बार कच्चे शहद के दाम 160 रुपये थे, लेकिन इस बार रेट काफी कम है। उसने बताया कि इस समय शहद का स्टॉक भी कर रखा है, लेकिन अगर मौजूदा रेट पर शहद बेचते हैं तो उनका लागत खर्च भी पूरा नहीं होगा। जो जमा हुआ शहद है उसका रेट कम होने के कारण बिका नहीं तथा जो तरल शहद है वो इस बार बिल्कुल भी नहीं निकला। यही कारण है कि उनकी स्थिति कमजोर है।

जगसीर सिंह ने बताया कि व्यवसायियों ने कोल्ड स्टोर में शहद का भंडारण कर रखा है। उसका खर्च भी पड़ रहा है। वहीं गांव नुहियांवाली निवासी जोनी रोज ने 6 वर्ष पूर्व यह व्यवसाय शुरू किया था। उसके मुताबिक उसने इस व्यवसाय में पहले तो अच्छा मुनाफा था, लेकिन इस बार काफी मंदी है। उसने इस समय तकरीबन 40 क्विंटल के आसपास शहद का स्टॉक कर रखा है। इसके अलावा धर्मवीर व सुभाष सहित अन्य व्यवसायियों ने भी व्यवसाय पर मंदी की मार बताते हुए सरकार से मदद की गुहार लगाई है।

किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सरकार ने मधुमक्खी पालन व्यवसाय पर योजना चलाई है। इसके तहत 50 डिब्बों पर 85 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। ओढां खंड में करीब 50 किसान यह व्यवसाय कर रहे हैं। किसानों का इस ओर रुझान बढ़ रहा है। क्योंकि इसके लिए किसानों को स्वयं की भूमि की जरूरत नहीं हैं और दूसरा इसमें खर्च भी कम है। सर्दी के मौसम में शहद के दामों में बढ़ोतरी आती है।

महावीर प्रसाद, उद्यान विकास अधिकारी (ओढां)।