हर घर तिरंगा: सोनीपत के डेरा श्रद्धालुओं ने तिरंगा फहराकर, शहीदों को किया याद

सोनीपत (सच कहूँ न्यूज)। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत अपने-अपने घरों तिरंगा स्थापित कर रही है। इसी कड़ी में सोनीपत के अलग-अलग ब्लॉकों के डेरा श्रद्धालुओं ने तिरंगे को सैल्यूट किया। डेरा श्रद्धालु ने बताया कि पूज्य गुरु जी द्वारा रक्षा बंधन पर आई चिट्ठी में साध-संगत को अपने-अपने घरों में तिरंगा स्थापित करने का आह्वान किया था जिसके तहत देश के सभी राज्यों में डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत तिरंगे को अपने अपने घरों में स्थातिप कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के लिए कुर्बानियां देने वाले सैनिकों को हमने सैल्यूट किया।

गांव बरोटा, राई ब्लॉक , जिला सोनीपत के निवासी बिट्टू इन्सां और परिवार ने पूज्य पिताजी द्वारा संचालित नया कार्य जिसके तहत साध संगत ने अपने घरों पर तिरंगा झंडा फहराना है उसकी वचन पर चलते हुए अपने घर पर तिरंगा झंडा फहराया।

गांव बरोटा, राई ब्लॉक , जिला सोनीपत के निवासी बिट्टू इन्सां और परिवार ने पूज्य पिताजी द्वारा संचालित नया कार्य जिसके तहत साध संगत ने अपने घरों पर तिरंगा झंडा फहराना है उसकी वचन पर चलते हुए अपने घर पर तिरंगा झंडा फहराया।

भारत देश की शान बान शान तिरंगा को रोहतास इन्सां निवासी राम नगर सोनीपत ने, अपने बेटे नीटू इन्सां, पत्नी और बच्चो के साथ अपने घर पर लगाया और सैल्यूट किया।

भारत देश की शान बान शान तिरंगा को जयंत इन्सां निवासी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी सोनीपत ने, शशि इन्सां, सोनिया इन्सां ,बेटे और पिता के साथ मिलकर अपने घर पर लगाया और सैल्यूट किया।


1. झंडा संहिता के एक अन्य प्रावधान में बदलाव करते हुए कहा गया, राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काता और हाथ से बुना हुआ या मशीन से बना होगा। यह कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना होगा। इससे पहले, मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति नहीं थी।

झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए। केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके झंडा लगाया या फहराया नहीं जा सकता।

2. अब भारतीय झंडा संहिता, 2002 के भाग-दो के पैरा 2.2 के खंड (11) को अब इस तरह पढ़ा जाएगा, ‘जहां झंडा खुले में प्रदर्शित किया जाता है या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, इसे दिन-रात फहराया जा सकता है। इससे पहले, तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी।

3. झंडे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता। किसी भी तरह फिजिकल डैमेज नहीं पहुंचा सकते। झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुमार्ना, या दोनों हो सकते हैं।

4. झंडे का कर्मशियल इस्तेमाल नहीं कर सकते। किसी को सलामी देने के लिए झंडे को झुकाया नहीं जाएगा। अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसका वस्त्र बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अलावा) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे का अपमान माना जाएगा।

5. तिरंगे की यूनिफॉर्म बनाकर पहनना गलत है। अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगे को कपड़ा बनाकर पहनता हो तो यह भी अपमान है। तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

6. झंडे पर किसी तरह के अक्षर नहीं लिखे जाएंगे। खास मौकों और राष्ट्रीय दिवसों जैसे गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडा फहराए जाने से पहले उसमें फूलों की पंखुड़ियां रखने में कोई आपत्ति नहीं है।

7. किसी कार्यक्रम में वक्ता की मेज को ढकने या मंच को सजाने में झंडे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। गाड़ी, रेलगाड़ी या वायुयान की छत, बगल या पीछे के हिस्से को ढकने में यूज नहीं कर सकते। झंडे का इस्तेमाल किसी इमारत में पर्दा लगाने के लिए नहीं किया जा सकता।

8. फहराए गए झंडे की स्थिति सम्मानजनक बरकरार होनी चाहिए। फटा या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए। झंडा फट जाए, मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से पूरी तरह नष्ट कर दिया जाए।

9. यदि झंडे को किसी मंच पर फहराया जाता है, तो उसे इस प्रकार लगाया जाना चाहिए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उसके दाहिनी ओर रहे। एक तरीका यह भी है कि झंडे को वक्ता के पीछे दीवार के साथ और उससे ऊपर लेटी हुई स्थिति में प्रदर्शित किया जाए।

10. किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर नहीं लगाया जा सकता। इसके अलावा, फूलमाला, प्रतीक या अन्य कोई वस्तु झंडे के पोल के ऊपर रखी जाए।

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