भुखमरी : वैश्विक चिंतन, पर सबको भोजन कैसे मिले…? जवाब नहीं

दो दिन पहले ही जारी हुए थे वैश्विक भुखमरी सूचकांक के आंकड़े

  • हिसार में गुजवि/हकृवि कुलपति सहित विशेषज्ञों ने जताई चिंता

हिसार(सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। वैश्विक भुखमरी सूचकांक के आंकड़ों में अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान, नेपाल व बांग्लादेश से भी पिछड़ने के बाद भारत देश के कृषि व तकनीक से जुड़े वैज्ञानिकों ने भूख व कुपोषण के उन्मूलन के लिए मंथन करना शुरू कर दिया है। इस मंथन से सुधार कितना होगा इसकी रिपोर्ट तो एक साल बाद ही मिलेगी लेकिन देश के लिए सकारात्मक सोचना सबसे बड़ी बात है। दरअसल शनिवार को विश्व खाद्य दिवस के उपलक्ष में हिसार के गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के खाद्य एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सौजन्य से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

इस विश्व खाद्य दिवस समारोह में भूख व कुपोषण के उन्मूलन पर विशेष रूप से चर्चा हुई। हालांकि किसी भी वक्ता ने वैश्विक भुखमरी सूचकांक के आंकड़ों में भारत को मिले 101 स्थान का जिक्र नहीं किया लेकिन चुनावों में शामिल होने वाले विश्वविद्यालय के कुलपति सहित सभी विशेषज्ञों के मस्तक पर चिंता की लकीरें जरूर देखी गई। इस दौरान गुजवि के कुलपति प्रोफेसर बलदेव राज काम्बोज ने अपने संबोधन में देश में कुपोषण के उन्मूलन के लिए जिंक और आयरन के बढ़े हुए स्तर के साथ बायोफोटीर्फाइड खेती के महत्व पर जोर दिया।

इस गंभीर स्थिति से निपटना होगा

इस दौरान यह तो बता दिया गया कि कुपोषण के उन्मूलन के लिए जिंक और आयरन के बढ़े हुए स्तर के साथ बायोफोटीर्फाइड खेती को अपनाना चाहिए पर किसी भी वक्ता ने ऐसी तकनीक का जिक्र नहीं किया जिससे देश भर के गरीब से गरीब व्यक्ति को भोजन कैसे मिले? इस विषय पर गहनता से सोचने की जरूरत है। क्योंकि यदि भोजन के बिना किसी भी इंसान की जान चली जाती है तो इससे बड़ी गंभीर स्थिति किसी भी देश के लिए नहीं हो सकती।

वैश्विक चिंता बनी भूख

विशेषज्ञों ने किसानों की आय को दोगुना करने, फसल के बाद के नुकसान को कम करने के लिए अच्छी तरह से प्रबंधित कृषि मॉडल बनाने का सुझाव दिया और खाद्य सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा की वैश्विक चिंता को पूरा करने के लिए सस्ती कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाले पौष्टिक भोजन पर भी जोर दिया। हमारी खंडित कृषि-खाद्य प्रणालियों को ठीक करने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि सभी के पास खाने के लिए पर्याप्त सुरक्षित और पौष्टिक भोजन हो, और पूरी खाद्य आपूर्ति श्रृंखला अधिक टिकाऊ, लचीली और समावेशी हो, जिसमें काम करने वालों के लिए अच्छी स्थिति और सामाजिक सुरक्षा हो।

पौष्टिक भोजन की बढ़ती मांग

मुख्य वक्ता प्रो. एम.बी. बेरा ने ह्यनए उत्पाद डिजाइन के परिदृश्य को बदलने में खाद्य प्रौद्योगिकीविदों और पोषण विशेषज्ञों की भूमिकाह्ण पर विशेषज्ञ व्याख्यान दिया। विशेषज्ञ ने कोविड-19 जैसी महामारी की स्थिति में स्वस्थ और पौष्टिक भोजन की बढ़ती मांग पर जोर दिया। उन्होंने विशेष रूप से स्वस्थ जीवन जीने के लिए पोषक तत्वों और फाइटोकॉन्स्टिटएंट्स की भूमिका के बारे में बताया।

बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए शोधों को बढ़ाने की भी वकालत

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव राज काम्बोज ने हरित प्रौद्योगिकी,बेहतर प्रसंस्करण तकनीकों और खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के लिए उन्नत भंडारण स्थितियों को अपनाने के लिए खाद्य प्रौद्योगिकीविदों और पोषण विशेषज्ञों की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने आबादी की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए आवेदन-आधारित शोधों को बढ़ाने की भी वकालत की तथा एकीकृत तरीके से काम करने के लिए कृषि और खाद्य उद्योग के बीच संबंधों को मजबूत करने का सुझाव दिया।

 

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।