जीवन पर खतरा, आर्थिक भविष्य की चिंता बेमतलब
आर्थिक तरक्की के चलते पूरी दुनिया ने अपना हवा, पानी, वन, मिट्टी, जीव जन्तु सब तहस-नहस कर लिए हैं। प्रकृति ने आर्थिक पहिये को जरा सा रोककर फिर से मनुष्य की हवा, पानी, मिट्टी, वनों की साफ-सफाई शुरू कर दी है वह भी बड़ी तेजी के साथ, जोकि मनुष्य अरबों रूपये के सफाई एवं पर्यावरण संरक्षण प्रोजेक्ट बनाकर भी नहीं कर पा रहा था।
बसों की राजनीति में पिस रहे मजदूर
उत्तर प्रदेश में सीमा पर फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए कांग्रेस पार्टी और यूपी सरकार के बीच पिछले कुछ दिन से चल रही ‘बस राजनीति’ गर्म तो खूब हुई लेकिन उन मजदूरों को कोई फायदा पहुंचाने में कामयाब नहीं हुई जो अभी भी सड़कों पर पैदल चलने को विवश हैं।
प्रभावी उपायों के बिना पटरी पर नहीं आएगी शिक्षा व्यवस्था
कोरोना लॉकडाउन में शिक्षा से वंचित रहे बच्चों का भविष्य बचाने के लिए सरकार, शिक्षा व समाज सेवा के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को पहल करनी होगी। जिस देश में हर साल स्कूल छोड़ देने वाले बच्चों की संख्या लाखों में हो वहां पढ़ाई को बचाने के लिए इसके प्रबंधों पर बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत है।
लापरवाही नहीं, जिम्मेदारी समझें
निडरता व लापरवाही में बहुत बड़ा अंतर है। लापरवाही इंसानियत के खिलाफ अपराध है। भले ही भारतीयों की परम्परा ज्यादा घुलने वाली है, इसीलिए देशवासी यदि अपनी सुरक्षा के लिए सरकार के दिशा-निर्देशों की पालना नहीं कर सकते तब यह बात बहुत हानिजनक साबित हो सकती है।
देर-सवेर जाकिर नाईक को भारतीय कानून का सामना करना ही होगा
वास्तविक्ता यह है कि इस्लाम अमन व शांति की शिक्षा देता है। नफरत के लिए इस्लाम में कोई जगह नहीं, सफलता की ओर अग्रसर मुस्लिम देशों में गैर-मुस्लिमों की मौजदूगी अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि विश्वास की भिन्नता मानवीय समाज की मजबूती बन रही है।मुस्लिम देशों के संगठनों के दर्जनों सदस्य हैं जो आतंकवाद को खारिज कर चुके हैं।
लॉकडाउन में ढील से बढ़ी आम नागरिकों की जिम्मेवारी
लोगों को अब लॉकडाउन से ज्यादा एहतियात रखनी होगी। बेमतलब भीड़ में ना जाएं। सोशल डिस्टेंसिंग रखें, मास्क पहनें, हाथ धोते रहें, चेहरा न छूएं कोरोना लक्ष्ण दिखें तो स्वयं व परिवार को क्वारंटाईन करें। खुद स्वस्थ रहें देश को स्वस्थ रखें।