खुश हैं वन्य जीव और प्रकृति मुस्काने लगी
कोरोना के कारण तालाबंदी से पिछले 33 दिनों की अवधि ने घरों में कैद मानवीय जीवन में आये बदलाव से प्रकृति को पुन: नवल रूप धारण करने का एक स्वर्णिम अवसर प्रदान किया है। संचार के तमाम संसाधनों में चित्र और समाचार प्रकाशित प्रसारित होते रहे कि अब किस प्रकार प्रकृति खिली-खिली नजर आ रही है।
प्रेरणास्त्रोत: भक्ति और संपत्ति
यह देख वहां अफरा-तफरी मच गई। कई लोग स्वर्ण मुद्राएं लेने के लिए गंगा में कूद गए।
भगदड़ में कई लोग घायल हो गए। राजा को समझ में नहीं आया कि आखिर गुरू नानक जी ने यह सब क्यों किया।
यह केवल एक जान है बेवकूफ!
इस संबंध में मंत्रियों के सम्मेलन और केन्द्र से निदेर्शों से काम नहीं चलेगा। लोग अब इन घिसी-पिटी बातों से ऊब गए हैं कि: घबराने की जरूरत नहीं। सरकार हर संभव प्रयास कर रही है और स्थिति में सुधार हो रहा है।


























