भोजन बर्बाद न करें
'आप उतना ही खाना ऑर्डर करें, जितना खा सकें। माना कि पैसा आपका है परंतु देश के संसाधनों पर हक तो पूरे समाज का है! और कोई भी इन्हें बर्बाद नहीं कर सकता, क्योंकि देश में कितने ही लोग ऐसे हैं जो भूखे रह जाते हैं।'
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संत शेख फरीद
महापुरुष सूखे नारियल की तरह होते हैं और आम आदमी गीले नारियल जैसा। जब तक वह भौतिक वस्तुओं के आकर्षण और रिश्ते-नातों के मोह में बँधा है, कष्ट की नौबत आने पर दुखी होता है, जबकि संत-महात्मा सूखे नारियल की भाँति मोह से परे होते हैं, जैसे खोल से सूखा नारियल।
वीणा का सम्मान
श्री शेषण्णा बोले, 'महाराज, आपने मुझे जो सम्मान दिया वह इस वीणा के कारण दिया। इसी के कारण लोग भी मुझे सम्मान देते हैं। वीणा मुझसे श्रेष्ठ है, क्योंकि आज मैं जो भी हूं इसी के कारण हूं।