जब सावण शाह जी महाराज ने बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज को अपनी रूहानी ताकत से नवाजकर सरसा भेजा!
यह डेरा सरसा से करीब 45 क...
हनुमान का उत्तर
पता नहीं कितने इन्द्र और ब्रह्मा मर गए और कितने मरेंगे।
मुझे भी मरना है इसलिए मैंने अपनी गृहस्थी नहीं बसाई।
प्रेरणास्त्रोत: हार और जीत
हमारे लिए यश-अपयश, जीवन-मरण, सुख-दुख, मित्र-शत्रु सभी एक समान होते हैं। हमें हार और जीत के फेर में पड़ना ही नहीं चाहिए।' जीव गोस्वामी को अपनी भूल का अहसास हो गया। उन्होंने तुरंत क्षमा मांग ली।
परेशान हो उठे थे सुभाष
सुभाष बाबू बोले- यह देश हमारा है और हम आदेश विदेशियों का मानते हैं? क्या हम अपने घरों में उन लोगों के चित्र भी नहीं लगा सकते जिन्होंने हमारे लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। यह तो जुल्म है। आज मुझे आजादी का महत्व समझ में आ गया है। इस घटना के बाद सुभाष बाबू पर देशभक्ति का रंग और गहरा हो गया।
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सही दिशा में बढ़ें
कोई भी काम आनन-फानन में शुरू करने के बजाय हमें पहले उसके हर पहलू पर गंभीरता से सोच लेना चाहिए। आपकी दिशा सही होगी, तभी मेहनत रंग लाएगी।


























