बेकार की लड़ाई
युद्ध से शांतिप्रियता अधिक अच्छी है। इस लिए व्यक्ति को शांति और सुखपूर्वक जीवन जीने में विश्वास करना चाहिए।'
संत की सीख
बाबा बोले- सेठ जी, लोभी मनुष्य दूसरों को भी अपने जैसा ही समझता है। मैं एक साधारण भक्त हूं। हीरे-मोती,फल, मिठाई से मुझे कुछ लेना-देना नहीं है। मैं समाज का दुख दूर करने में ही अपना जीवन सार्थक समझता हूं। बस आप लोगों का धन निधर्नों तक पहुंचा देता हूं।
एकता का महामंत्र
सहनशीलता का यह महामंत्र ही हमारे बीच एकता का धागा अब तक पिरोये हुए है। इस महामंत्र को जितनी बार दोहराया जाए, कम है।
विद्यासागर का जवाब
मार्शल ने अपने एक रिश्तेदार को पास करने की सिफारिश की। पर सिद्धांतवादी विधासागर ने साफ कहा कि मैं इस तरह की बेईमानी नहीं कर सकता। विधासागर जी का यह खरा जवाब सुनकर मार्शल की बोलती बंद हो गई। इसके बाद उसने फिर कभी ऐसी सिफारिश नहीं की।
प्रेरणास्त्रोत: हार और जीत
हमारे लिए यश-अपयश, जीवन-मरण, सुख-दुख, मित्र-शत्रु सभी एक समान होते हैं। हमें हार और जीत के फेर में पड़ना ही नहीं चाहिए।' जीव गोस्वामी को अपनी भूल का अहसास हो गया। उन्होंने तुरंत क्षमा मांग ली।
सही दिशा में बढ़ें
कोई भी काम आनन-फानन में शुरू करने के बजाय हमें पहले उसके हर पहलू पर गंभीरता से सोच लेना चाहिए। आपकी दिशा सही होगी, तभी मेहनत रंग लाएगी।
समाज का संकट
महर्षि बोले, ' जिस तरह जीर्ण-शीर्ण शरीर को एक वैद्य बचा सकता है उसी तरह विचारक और शिक्षाशास्त्री जीर्ण-शीर्ण मस्तिष्क को बचा सकते हैं। आज समाज को ऐसे ही लोगों की आवश्यकता है।
शिक्षा का लक्ष्य
यूक्लिड ने कहा- शिक्षा आत्मसमृद्धि का मार्ग है। उसे कभी भौतिक लाभ के तराजू में नहीं तौलना चाहिए और वह जहां से जिस मात्रा में मिले, उसे आत्मीयता से ग्रहण करना चाहिए।