प्रेरणास्त्रोत : दो चीटियों की बात
गुरु ने कहा- ऐसे व्यक्ति की अपनी सोच के अनुसार होता है। जो व्यक्ति जिस तरह का होता है, उसे सभी वैसे ही दिखाई देते है। फिर उन्होंने शिष्य को एक कहानी सुनाई। एक पर्वत पर दो चीटियाँ रहती थी। एक चींटी के पास शक्कर की खान थी और दुसरी चींटी के पास नमक की खान थी।
लैंगिक भेदभाव को मिटाने की चुनौती
स्त्रियों के अधिकार के प्रति हमारा समाज अब उतना रूढ़ नहीं रहा, जितना कछेक दशक पूर्व था। कुछ समस्याओं को छोड़ दें तो आज महिलाओं को आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं। स्त्री-शिक्षा के व्यापक प्रसार ने स्त्रियों को अपने व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के समुचित अवसर प्रदान किया है और उन्हें रूढ़िवादी विचारों से काफी सीमा तक मुक्त भी किया है।
वनों को आग से बचाने के लिए बने ठोस नीति
वनों के बिना धरती दिवस मनाने का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। वनों की तबाही के होते विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। बेहतर हो यदि अमीर देश व अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं वनों को बचाने के लिए कोई ठोस मुहिम चलाएं, हर घटना पर चुप रहने से समस्या का निराकरण नहीं हो सकता।
प्रेरणास्त्रोत: लोभ से विनाश
सूचना मिलने पर राजा पहुँचा और पुत्र का शव देखकर विलाप करने लगा। तभी वहाँ पहुँचे एक ऋषि ने स्मरण कराया अब कुछ होने का नहीं है। पुत्र की कामना का लोभ उत्तम था। वह लोभ होकर भी लोभ से परे था। तुमने उसमें अप्राकृतिक विधान जोड़ा और ऐसा विलक्षण पुत्र पाया जिसकी रक्षा कठिन हो गई।
बच्चों में पानी पीने की आदत बने इसलिए हर स्कूल में बजे घंटी
यह शुरूआत दक्षिण कन्नड़ जिले के उप्पिनंगडी शहर में इंद्रप्रस्थ स्कूल ने की है। जहां तीन बार ‘‘वॉटर बेल’’ बजती है। पहली घंटी सुबह 10.35 बजे बजती है। दूसरी घंटी दोपहर 12 बजे और तीसरी घंटी 2 बजे बजाई जाती है।
अमन के लिए युद्ध
इस दौर की दिलचस्प बात यह भी है कि अमेरिका की राजनीति से ज्यादा विश्व में घटित अन्य घटनाएं भी अधिक महत्व रख रही हैं। ट्रम्प इस वर्ष फिर राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे हैं। अमेरिका के नेता चुनाव जीतने के लिए युद्ध को भी चुनावी रणनीति में रखते हैं।
प्रेरणास्त्रोत: श्रेष्ठता की कसौटी
अरबपति अपने घर में घुस गया और वहां व्यस्त हो गया और गरीब आदमी को भूल गया। सुबह उसे उस गरीब बूढ़े व्यक्ति की याद आई और वह उसे खोजने निकला लेकिन ठंड के कारण उसे मृत पाया, लेकिन उसने एक चिट्ठी छोड़ी थी, जिसमे लिखा था कि, "जब मेरे पास कोई गर्म कपड़े नहीं थे, तो मेरे पास ठंड से लड़ने की मानसिक शक्ति थी।
यह केवल एक जान है बेवकूफ!
इस संबंध में मंत्रियों के सम्मेलन और केन्द्र से निदेर्शों से काम नहीं चलेगा। लोग अब इन घिसी-पिटी बातों से ऊब गए हैं कि: घबराने की जरूरत नहीं। सरकार हर संभव प्रयास कर रही है और स्थिति में सुधार हो रहा है।
राजनीतिक हिंसा व विद्यार्थी
राजनीति व शिक्षा के आपसी सम्बधों से इनकार नहीं लेकिन शिक्षा को राजनीतिक रंग देना देश के साथ सरासर खिलवाड़ है। बेहतर हो यदि राजनीतिक पार्टियां अपने हितों को साधने की बजाए जनता के हितों को संसद /विधान सभा या राजनीतिक सभाओं तक सीमित रखें।
प्रेरणास्त्रोत: एक ब्राह्मण की कथा
जिस धन के लिए मैंने जीतोड़ परिश्रम किया वह न तो धर्म-कर्म में लगा और न मेरे सुख भोग के काम ही आया। इस संसार सागर से पार होने के लिए वैराग्य एक नौका के समान है। अब मैं शेष बची हुई आयु से आत्म-लाभ लेकर अपना कल्याण करूँगा। वह ब्राह्मण मौनी-सन्यासी हो गया, वह अपना मन वश में करके पृथ्वी पर स्वतन्त्रता से विचरण करने लगा।


























