‘शहीद उधम सिंह’ एक क्रांतिकारी योद्धा
शहीद उधम सिंह का साहस, देशभक्ति की भावना, शहादत व मानवता हर किसी को प्रेरणा देती है। 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग के नृशंस हत्याकांड की टीस उन्होंने वर्षों तक सही। इस घटना के 21 साल बाद साम्राज्यवादी देश ब्रिटेन की राजधानी लंदन में रॉ...
बुराई रूपी रावण का अंत जरूरी
दशहरा बुराइयों से संघर्ष का प्रतीक पर्व है, आज भी अंधेरों से संघर्ष करने के लिये इस प्रेरक एवं प्रेरणादायी पर्व की संस्कृति को जीवंत बनाने की जरूरत है। प्रश्न है कौन इस संस्कृति को सुरक्षा दे? कौन आदर्शो के अभ्युदय की अगवानी करे? कौन जीवन-मूल्यों की ...
नेताओं के लिए शैक्षणिक योग्यता तय करने में हर्ज क्या?
चुनावी दौर में जन प्रतिनिधियों की डिग्री पर फिर सवाल उठाए जाने लगे है। अल्प शिक्षित उम्मीदवारों पर तंज कसे जा रहे है।हालांकि नेता बनने के लिए कोई डिग्री तय नहीं है लेकिन जब देश को आधुनिक और पूर्ण शिक्षित राष्ट्र बनाने की पहल हो रही है तो फिर राज नेता...
अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि आपातकाल जैसे हालात
जनसंख्या विस्फोट से संसाधनों की अपर्याप्तता के कारण उत्पन्न हुई
जब भी देश में जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर वैचारिक विमर्श प्रारंभ होता है, तो कुछ लोगों की प्रतिक्रिया इस प्रकार होती है जैसे कि उनका हक छीना जा रहा हो। कुछ लोग इतने असहिष्णु हो जाते ...
विद्यालयी शिक्षा में सुधार की आवश्यकता
हाल ही में शिक्षा की निगरानी के बारे में यूनेस्को द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2.8 मिलियन बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। 11 मिलियन बच्चे माध्यमिक स्तर से शिक्षा छोड़ देते हैं और 47 मिलियन बच्चे उच्च माध्यमिक स्तर से विद्यालय छोड़ देते हैं। सच यह ह...
वीरगाथाओं के गर्व का एहसास कराता है राजस्थान दिवस
इंग्लैण्ड के विख्यात कवि किप्लिंग का मानना था कि दुनिया में यदि कोई ऐसा स्थान है, जहां वीरों की हड्डियां मार्ग की धूल बनी हैं तो वह राजस्थान है। यह हमारे इतिहास की सच्चाई है। देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की परम्परा आज भी राजस्थान में कायम है। 30 ...
भारत में परिवार कल्याण कार्यक्रमों का बंटाधार
हमारे देश में 1960 के दशक के शुरू में एक आधिकारिक परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू किया था। विश्व में ऐसा करने वाला भारत पहला देश था। मगर सरकार के लाख प्रयासों और देश के बजट का एक बड़ा भाग खर्च करने के बावजूद इस क्षेत्र में वांछित परिणाम हासिल नहीं किये ज...
जब एक शख्स को खुद पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने यमों से बचाया
प्रेमी भोपाल सिंह (मास्टर) गांव शाहपुर बड़ौली जिला मेरठ (यूपी) से अपने प्यारे सतगुरु जी के एक प्रत्यक्ष करिश्में का इस प्रकार वर्णन करता है।
सन् 1978 की बात है, भोपाल सिंह ने उस वक्त तक नाम (गुरुमंत्र) नहीं लिया हुआ था। वह बाहरी कर्म काण्डों में ही फ...
परिवार नियोजन पर बल देने की आवश्यकता
भारत में जनसंख्या दबाव के कारण अनेक समस्याएं उत्पन्न हो गयी हैं, जिसके चलते सरकर को पुन: परिवार नियोजन पर विचार करना पड़ रहा है। पश्चिमी देशों ने जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगा दिया है। इसी तरह भारत को भी इस दिशा में कदम उठाने होंगे। जनसंख्या वृद्धि ...
जनमत निर्माण का कार्य जनसंपर्क का है
जनसम्पर्क शब्द को लेकर देश में अनेक भ्रांतिया उत्पन्न हो रही है। लोग इस शब्द की व्याख्या अपने अपने तरीके से कर रहे है। कुछ लोग इसे अपने व्यवसाय से जोड़ कर देखते है तो कुछ छवि निर्माण के लिए। पुराने समय में राजाओं के चारण भाट भी कुशलता पूर्वक यह कार्य ...
खतरनाक है धूम्रपान की प्रवृत्ति
इस वैधानिक चेतावनी के बावजूद कि धूम्रपान अथवा तंबाकू सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, विश्व में तंबाकू पीने व सेवन करने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर वर्ष तकरीबन 6...
बच्चा स्कूल जाता है या जेल
हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा जिंदगी में कुछ ऐसा करें जिससे समाज में उसकी अलग पहचान बने और वह धरातलीय सच्चाई को समझे। कई माता-पिता पढ़ाई को लेकर गलत धारणा पाल लेते हैं। उन्हें लगता है कि किताबी ज्ञान ही सब कुछ है और वो बच्चों को दिनभर कित...
साहिर लुधियानवी: गीतों का जादूगर
साहिर के मायने जादूगर होता है। शायर-नग्मानिगार साहिर लुधियानवी वाकई एक जादूगर थे, जिनकी गजलें-नज्में और नग्में उनके लाखों चाहने वालों के दिलों-दिमाग पर एक जादू जगाते थे। वे जब मुशायरे में अपना कलाम पढ़ने के लिए खड़े होते, तो उनकी शायरी पर लोग झूम उठते।...
बच्चों का सबसे बड़ा दुश्मन बाल श्रम
बाल श्रम से हमारा तात्पर्य ऐसे कार्यों से है, जिसमें काम करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित उम्र से छोटा होता है और इस प्रथा को अनेक देशों और अंतरास्ट्रीय संगठनों ने शोषित करने वाली माना है। अंतरास्ट्रीय श्रम संगठन ने जागरूकता पैदा करने के लिए ...
समानता के सच्चे पैरोकार थे डॉ. अंबेडकर
धार्मिक समुदायों के लिए पृथक निर्वाचिका और आरक्षण की मांग की।
डॉ. अंबेडकर (Dr. Bhim Rao Ambedkar) समानता के सच्चे पैरोकार थे। हालांकि उन्हें जब भारत सरकार अधिनियम 1919 तैयार कर रही साउथबोरोह समिति के समक्ष गवाही देने के लिए आमंत्रित किया गया तो उन्ह...