कड़ाके की ठंड में दुग्ध उत्पादन पर पड़ा असर

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विशेषज्ञ बोले : पशुओं के नियमित आहार व रख-रखाव पर दें विशेष ध्यान

ओढां (सच कहूँ/राजू)।
कड़ाके की ठंड की वजह से दुग्ध उत्पादन पर असर देखा जा रहा है। रात के समय भयंकर ठंड के साथ-साथ कोहरा जम रहा है। ऐेसे में दुधारू पशुओं की देखभाल करना अति आवश्यक है। ठंड की वजह से पशुओं के दुग्ध उत्पादन पर भी असर पड़ा है, क्योंकि पशु को सर्दी से बचने के लिए अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। जब वह अधिक ऊर्जा लगाता है तो दुग्ध उत्पादन पर असर पड़ना स्वाभाविक है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दी के मौसम में पशुओं की देखभाल मेंं काफी सजगता बरतने की आवश्यकता है। जिसमें उसके रख-रखाव व नियमित आहार से लेकर दूध निकालने तक की प्रक्रिया शामिल है। इस बारे पशुपालन विभाग के वैटनरी सर्जन डॉ. मनीष गर्ग ने जागरूकता मुहैया करवाते हुए बताया कि इस समय पशु के रख-रखाव की ओर ध्यान देने व मवेशियों के आहार में तब्दीली करना बेहद अनिवार्य है।

इस समय पशुओं के रखरखाव की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। पशु विशेषज्ञ के मुताबिक पशुओं को सायं के समय ठंड पड़ने से पहले ही अंदर बांध दें व धूप निकलने या तापमान बढ़ने पर ही बाहर निकालें। पशुओं को अंदर बांधते समय कुछ समय के लिए अलाव जलाएं, लेकिन धुंए की निकासी के लिए जगह छोड़ें। डॉ. गर्ग ने बताया कि जिस जगह पशु बांधते हैं वहां सुखी तूड़ी या पराली का बिछाव कर देंं। तेज हवा से बचाव के लिए तिरपाल का प्रयोग करें। छोटे मवेशियों को ठंड लगने पर रुई से सेंके।

आहार पर दें विशेष ध्यान

सर्दी के मौसम में पशु के नियमित आहार पर ध्यान देना अति आवश्यक है। क्योंकि पशु को सर्दी से बचने के लिए अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। जब वह अधिक ऊर्जा खर्च करता है तो दुग्ध उत्पादन पर असर पड़ता है। इसलिए सर्दी में दुधारू पशु की समुचित सुरक्षा करना आवश्यक है। इस समय आप पशुओं के आहार में दोनों टाइम गुड़, फीड की मात्रा जो नियमित दे रहे हैं उसे थोड़ा बढ़ा दें, आहार में गेहूं, मक्की व बाजरा दें। इसके अलावा पशुओं को गुनगुना पानी ही पिलाएं। उन्होंने बताया कि सर्दी के कारण छोटे मवेशियों पर अधिक प्रभाव पड़ता है, इसलिए उन्हें खनिज तत्व अधिक दें।

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