केंद्र व राज्यों में तालमेल की आवश्यकता

Lockdown

देश में कोविड-19 की दूसरी लहर फिर प्रभाव दिखा रही है। मामलों की गंभीरता का अनुमान इससे ही लगाया जा रहा है कि विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी प्रधानमंत्री को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करनी पड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें कोरोना के बढ़ते मामलों को अविलंब रोकना होगा। हम इस उभरते सेकेंड पीक को बढ़ने नहीं दे सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आवश्यक कदम उठाये जायें, सख्ती की जाये, लेकिन इस बात का ध्यान भी रखना होगा कि जनता को पैनिक मोड में नहीं लाना है और उन्हें इस परेशानी से बचाना होगा। दरअसल इस बार राज्य सरकारें भी कदम उठाने में ढील बरत रही हैं। 70 जिलों में कोरोना 150 प्रतिशत बढ़ चुका है, कई राज्यों ने रात का कर्फ्यू लगाकर खानापूर्ति की है जबकि इस कर्फ्यू का कोई ज्यादा फायदा होता नजर नहीं आ रहा।

यह एक विडंबना ही है कि दिन के समय राजनीतिक पार्टियां खूब रैलियां करती हैं और रात को वही नेता कर्फ्यू में आराम करते हैं। कुछ दिनों बाद इन नेताओं को कोरोना हो जाता है और फिर सोशल मीडिया पर सूचना देते हैं कि उनके संपर्क में आए व्यक्ति कोविड-19 का टेस्ट जरूर करवाएं। वास्तविक्ता यह है कि लापरवाही की शुरूआत राजनेता ही कर रहे हैं। पंजाब में विधानसभा चुनावों के लिए पार्टियों की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। स्कूलों को खोलने व बंद करने को लेकर भी सरकारें दुविधा में हैं। केंद्र व राज्यों में तालमेल की कमी महसूस हो रही है। सीबीएसई ने बोर्ड की परीक्षाएं मई में होने की बात कही है लेकिन राज्य सरकारों की डेटशीट अलग ही चल रही है। पंजाब के जिला लुधियाना के एक स्कूल में 50 से अधिक बच्चों और कई अध्यापकों को कोरोना हो गया, भटिंडा के सरकारी राजिंदरा कॉलेज के आठ स्टाफ सदस्य भी पॉजिटिव पाए गए। इसी तरह हरियाणा में भी रोजाना 500 के लगभग मामले आ रहे हैं।

सबसे बड़ी समस्या पश्चिम बंगाल, असम, केरल व पुडूचेरी की है जहां विधान सभा चुनाव इसी माह होने हैं। भले ही कुछ राजनीतिक पार्टियों ने वर्चुअल रैलियों की शुरूआत की है, लेकिन रैलियों में वर्करों के इक्ट्ठ कहीं विगत वर्ष दिल्ली में तबलीगी मरकज की भांति भारी न पड़ जाएं। चुनावों के कारण प्रशासन भी सख्ती करने से झिझकता है। प्रधानमंत्री ने टीकाकरण, टेस्टिंग व प्रशिक्षण पर बल दिया है। बेहतर है कि टीकाकरण मुहिम को बल मिला है और एक दिन में 30 लाख तक टीकाकरण की खबरें आई हैं। अब आवश्यक यह है कि टीकाकरण को लेकर लोगों के भ्रम को दूर कर उन्हें जागरूक किया जाए।

 

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