ऊर्जा के नए स्त्रोतों को बढ़ावा देने की जरूरत

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जलवायु परिवर्तन और धरती के बढ़ते तापमान के कारण वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे मौसम का स्वरूप भी बदल रहा है। अभी हमारे देश के उत्तर, पूर्व एवं पश्चिम के कई क्षेत्र भीषण गर्मी की चपेट में हैं। वनों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं और असमय बारिश औचक बाढ़ का कारण बन रही है। कई अध्ययन इंगित कर चुके हैं कि देश का बड़ा हिस्सा प्रदूषण से प्रभावित है। ऐसे में कार्बन उत्सर्जन को रोकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसके लिए स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना होगा।

विडंबना यह है कि गर्मी बढ़ने पर या ठंड अधिक होने पर बिजली की मांग बढ़ जाती है, जिसका उत्पादन मुख्य रूप से कोयले से चलने वाले संयंत्रों में होता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन अधिक होता है। इसी तरह हम वाहनों के लिए जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर हैं। बीते कुछ वर्षों से भारत सरकार स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन पर ध्यान दे रही है। इस वर्ष मार्च तक हरित ऊर्जा का उत्पादन लगभग 110 गीगावाट तक पहुंच गया है। हालांकि भारत को अपने विकास के लिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता है तथा जीवाश्म ईंधनों पर वर्तमान निर्भरता को अचानक रोक पाना संभव नहीं है, फिर भी भारत जलवायु संकट के समाधान के लिए हो रहे वैश्विक प्रयासों के साथ कदम मिलाकर चल रहा है। सौर ऊर्जा के साथ पवनचक्कियों को लगाने, हरित हाइड्रोजन उत्पादित करने तथा बैटरी चालित वाहनों को प्रोत्साहित करने पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इसी क्रम में प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने तथा कचरे से ऊर्जा उत्पादन करने के उपाय भी किये जा रहे हैं।

जलवायु संकट प्राकृतिक संसाधनों के लिए तो समस्या है ही, इससे लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। अक्षय ऊर्जा जीवाश्म ईंधनों का सर्वोत्तम विकल्प है। ऊर्जा के ये स्रोत असमाप्य हैं और पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल भी।सौर,पवन और जल ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा संसाधनों के प्रयोग से वायु की गुणवत्ता निखरेगी और धरती पुन: जीने लायक बन पाएगी। जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग रोककर या सीमित कर खनन आपदाओं में कमी लाई जा सकती है। साथ ही इससे खनन कर्मियों के साथ-साथ आसपास की आबादी भी दूषित आबो-हवा में सांस लेने की अभिशप्तता से मुक्त हो जाएगी। जीवाश्म ईंधनों के उत्खनन से भूमि क्षरण,जंगलों की कटाई,जैव-विविधता का ह्रास, प्राकृतिक आपदाओं को आमंत्रण समेत कई पर्यावरणीय समस्याएं जन्म लेती हैं। अत: अक्षय ऊर्जा स्रोतों का अधिकाधिक उपयोग के संकल्प में ही सुखी भविष्य की भावना अंतर्निहित है।

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