जिन्दगी को कभी भी कमजोर और मजबूर मत बनाइए

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रूहानी मजलिस में साध-संगत के आॅनलाइन सवालों के जवाब देते हुए पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज के टाइम में जो नशेड़ी हैं, कर्जाऊ हैं, जिनके सिर पर कर्जा है या पारिवारिक कलह-कलेश है, नौकरी-पेशे में कलह-कलेश है, खेती-बाड़ी में बर्बादी हो गई तो ये कुछेक कारण हैं, वैसे कारण और भी होंगे। जिससे आत्महत्या के विचार इन्सान के अंदर आने लग जाते हैं। पहली बात ‘आत्मघाती महापापी’, ये हमारे सभी धर्मों में लिखा हुआ है। आत्मा का घात करने के लिए छोटे-छोटे कीड़े-मकौड़े नहीं सोचते, वो भी ज़िंदगी बचाने के लिए लड़ते हैं और आपको तो प्रभु-परमात्मा ने सर्वश्रेष्ठ शरीर दिया है, तो आप क्यों आत्मा का घात करने पर तुले हो? आदमी कहता है कि जी, नशा करता हूँ, अब नशा मिलता नहीं, माँ-बाप ने जवाब दे दिया और पैसा खत्म हो गया, जमीनें बिक गर्इं, गाड़ियां बिक गर्इं, सब कुछ बिक गया अब मरने के अलावा कोई चारा नहीं। ये सोचना गलत है।

आपके अंदर भगवान जी रहते हैं और आपके अंदर ऐसी विल पावर है कि अगर आप हिम्मत करेंगे और राम के नाम से नशा भी छूट जाएगा और आत्महत्या के विचार भी बदल जाएंगे। ये सच्चाई है। ज़िंदगी को कभी भी इतना कमजोर मत बनाइये, अपने आपको मजबूर मत बनाइये और ज़िंदगी को इतना फालतू मत समझिये। क़र्जा हो गया, कर्जाऊ हैं आप और आपको लगता है कि मैं आत्महत्या कर लूं तो पीछा छूट जाएगा। कैसे भाई? तूं घर का मुखिया, तेरे पर निर्भर तेरे बच्चे, पत्नी, माँ-बाप, परिवार, जो भी तेरे पर डिपैंड हैं।

क्योंकि तू मुखिया है। और तू सोचता है कि क़र्जा हो गया, मैं आत्महत्या कर लूंगा। कौन सा बड़ा तीर मार दिया तूने। ये तो कायरता है, महा कायरता। तू आत्महत्या कर गया तो तेरे छोटे-छोटे बच्चों को भुगतना पड़ेगा। उनका समाज जो हाल करेगा उसके बारे में सोचा है कभी, विचार किया, दिमाग में कुछ आया। आप निकल लिया कि मैं मर जाऊँ और सारे परिवार को दुखी कर जाऊं। तू कैसा मुखिया है? तू कैसा इन्सान है? नहीं भाई, ऐसा मत कर, कभी भी ऐसा मत सोचो। बल्कि डटकर सामना करो, कोई भी मुसीबत, परेशानी आती है, मुश्किलातें आती हैं तो आप हिम्मत करो, ‘हिम्मत करे अगर इन्सान तो सहायता करे भगवान’, ‘हिम्मत-ए-मर्दां, मदद-ए-ख़ुदा’ आप मेहनत करो, भगवान जी साथ दे देंगे और धीरे-धीरे कर्जे उतर जाएंगे। हाथ पर हाथ धरे रखने से कर्जा नहीं उतरता। गम, चिंता, टैंशन लेने से कर्जा नहीं उतरता। और आत्महत्या से तो आप परिवार का बुरा हाल करके जाते हैं। महापापी तो वैसे ही बन गए, आत्मघाती महापापी, पीछे जो परिवार छूट गया उसका और बुरा हाल। ये तो कभी कल्पना भी नहीं करनी चाहिए।

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