पंजाब पुलिस असल दोषियों को जानती थी, सिर्फ ऊपर से हरी झंडी नहीं मिली : एडवोकेट बराड़

बठिंडा/सच कहूँ
डेरा श्रद्धालु महेन्द्र पाल बिट्टू की हत्या के मामले में परिवार ने हाईकोर्ट का रूख किया है। महेन्द्र पाल बिट्टू द्वारा हत्या से पहले लिखी गई डायरी से अहम खुलासे कर रहे हैं, संतोष कुमारी (बिट्टू की धर्मपत्नी) के वकील केवल सिंह बराड़।

पेश हैं उनके साथ सच-कहूँ प्रतिनिधि सुखजीत मान की बातचीत के कुछ खास अंश:-

प्रश्न : महेन्द्र पाल बिट्टू पर पंजाब पुलिस ने बेअदबी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है? इसमें कितनी सच्चाई है?
उत्तर: यह दोष बिल्कुल झूठे और बेबुनियाद हैं। वास्तविकता में जिन्होंने बेअदबी की थी पुलिस उनको अच्छी तरह जानती थी बस ऊपर से आदेश नहीं थे कि असली दोषियों को पकड़ा जाए।
प्रश्न : इसका कोई प्रमाण?
उत्तर : महेन्द्र पाल बिट्टू की डायरी पढ़ो, इसमें पुलिस इंस्पैक्टर जगदीश लाल साफ कह रहा है कि बंदे तो उनकी रडार (निगाह) में हैं लेकिन ऊपर से (सरकार की) हरी झंडी नहीं मिली।
प्रश्न : क्या महेन्द्रपाल बिट्टू के परिवार की श्री गुरू ग्रन्थ साहिब में श्रद्धा है?
उत्तर : महेन्द्र पाल बिट्टू का पूरा परिवार सूझवान, धार्मिक प्रवृति वाला और समाजसेवी है। परिवार का बच्चा-बच्चा श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में श्रद्धा रखता है। क्या कोई व्यक्ति बिना श्रद्धा से अपने सुख-दु:ख के कार्य श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की पावन हजूरी में करवा सकता है।
प्रश्न : महेन्द्र पाल बिट्टू को बेअदबी मामले में पंजाब पुलिस ने कब गिरफ्तार किया था?
उत्तर : जनाब, महेन्द्र पाल बिट्टू को बेअदबी के मामले में पंजाब पुलिस ने कभी गिरफ्तार ही नहीं किया। यह तो एक साजिश थी, सिर्फ महेन्द्र पाल बिट्टू के साथ दुश्मनी निकालने की। बेअदबी मामलों की जांच तो सीबीआई द्वारा वर्ष 2015 से ही की जा रही थी। पंजाब पुलिस के पास तो कोई अधिकार ही नहीं था बिट्टू की गिरफ्तारी का। पुलिस ने जुगाड़ तैयार किया और उसे 2011 के मोगा जिला के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रश्न : आखिर पुलिस ने यह साजिश क्यों रची?
उत्तर : आप जानते ही होंगे कि महेन्द्र पाल बिट्टू ने कुछ सामाजिक मुद्दों पर धरने लगाए थे। पुलिस इन धरनों से बेवजह परेशान थी। लेकिन हक सच के लिए डटे बिट्टू की हर धरने में जीत होती रही। पुलिस अधिकारी धरनाकारियों की जायज मांगें मानी जाने को अपनी बेईज्जती समझते थे। जब प्रेमी गुरदेव सिंह निवासी जवाहर सिंह वाला का कत्ल हुआ तो कातिलों की गिरफ्तारी न होने के खिलाफ बिट्टू ने धरना दिया था, तब जांच अधिकारी डीआईजी खटड़ा साहब ही थे। बौखलाए हुए खटड़ा ने महेन्द्रपाल बिट्टू से काफी तकरार की। प्रशासन ने दखल दिया तो गलती डीआईजी खटड़ा की निकली। आखिर प्रशासन के कहने पर डीआईजी खटड़ा साहब को बिट्टू से माफी मांगनी पड़ी थी। तभी से बिट्टू डीआईजी रणबीर सिंह खटड़ा की आंखों में रड़कने लगा और बिट्टू के खिलाफ मौका तलाशने लगा। आखिर उसने किसी और केस के बहाने बिट्टू को बेअदबी केस में झूठा फंसा दिया। यह तथ्य हैं धरने तो लगे थे और इन धरनों की मीडिया ने कवरेज भी की थी। बिट्टू की डायरी में साफ लिखा है कि पुलिस अधिकारी उसे पीटते समय कहते रहे कि बुला अब अपने धरनेकारियों को, बुला अब।
प्रश्न : क्या पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी गैर कानूनी की थी?
उत्तर : हां, यह गिरफ्तारी गैर कानूनी थी। देखो, किसी अन्य स्टेट में जाकर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए पंजाब पुलिस के लिए जरूरी था कि वह लोकल पुलिस (हिमाचल पुलिस) को इसकी सूचना देती। दूसरी बात पुलिस के पास महेन्द्र पाल बिट्टू के खिलाफ कोई वारंट भी नहीं था। 7 जून 2018 से 10 जून 2018 तक चार दिनों की हिरासत बिल्कुल गैर कानूनी थी। इन दिनों में उस पर बेहद अमानवीय अत्याचार किए गए।
प्रश्न : पुलिस कहती है कि महेन्द्र पाल बिट्टू ने गुनाह कबूल कर लिया था?
उत्तर : डायरी देखो, पुलिस साफ कह रही है कि अगर तूं (बिट्टू) गुनाह कबूल कर ले तो तूझे धर्मशाला (हिमाचल) जेल में भेज देंगे। नहीं तो नाभा जेल भेजेंगे, नाभा जेल के बारे में आप जानते ही हो, जहां खतरनाक अपराधी रखे जाते हैं। पुलिस कह रही थी कि तुझे नाभा जेल भेजकर मरवाएंगे और यह कारनामा वास्तव में हुआ भी और बिट्टू की हत्या करवा दी गई।
प्रश्न : क्या बिट्टू ने एकदम कबूलनामा लिख दिया?
उत्तर : भईया, अपने पर जुल्म तो हर आदमी सहन कर जाता है और बिट्टू ने भी किया। मार-पिटाई के अलावा उसे नंगा किया गया । उसके गुप्तागों में पेट्रोल डाला गया। बिट्टू ये सब सह गया पर जब उसके सामने यह कहा गया कि इसकी बेटी को उठा लाओ और उसके साथ भी वही करेंगे जो इसके साथ किया है। तो भाई बिट्टू क्या आप और मैं भी उसकी जगह होते तो वही करते जो पुलिस कहती।
प्रश्न : कबूलनामा किस तरह पेश किया?
उत्तर : पुलिस डरती थी कि बिट्टू कहीं कबूलनामे की इबारत भूल न जाए, इसलिए बार-बार उसे पीटा गया, बार-बार उसे धमकाया गया। कबूलनामा देने के दौरान इंस्पैक्टर दलबीर सिंह ने कम्प्यूटर में कबूलनामा फीड कर मौके पर ही बिट्टू को पढ़वाया।
प्रश्न : जब मामला सीबीआई के पास पहुंच गया तो क्या पंजाब पुलिस शांत हुई?
उत्तर : नहीं, पंजाब पुलिस को अपना डर सता रहा था कि कहीं बिट्टू अपने बयानों से मुकर ही न जाए। इसलिए जब बिट्टू सीबीआई की हिरासत में नाभा जेल में बंद था, तब भी पुलिस अधिकारी बिट्टू पर दवाब डालते रहे। इंस्पैक्टर हरप्रीत सिंह ने नाभा जेल जाकर बिट्टू की डीआईजी खटड़ा के साथ फोन पर बात करवाई। यह सब गैर कानूनी और एक सोची-समझी साजिश थी।
प्रश्न : इस केस में कबूलनामे का क्या महत्व है?
उत्तर : यह कबूलनामा झूठा और जबरदस्ती लिया गया है। इससे पहले पुलिस 2015 में दो सगे भाईयों जसविन्द्र सिंह व रूपिन्द्र सिंह निवासी पंजगराई जिला फरीदकोट से भी पंजाब पुलिस कबूलनामा ले चुकी है। क्या पुलिस अब उस कबूलनामे से मुकरेगी? बिट्टू से लिया गया यह कबूलनामा अदालत में टिक नहीं पाएगा।
प्रश्न : क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक पार्टी या किसी नेता का हाथ है?
उत्तर : मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच हो तो सब कुछ सामने आ जाएगा।
प्रश्न : आखिरी प्रश्न, परिवार द्वारा बिट्टू की हत्या को साजिश कहा जा रहा है?
उत्तर : देखो, बिट्टू न तो कोई आतंकवादी था, न कोई गैंगस्टर और न ही कोई भगौड़ा था, वह तो समाजसेवी और इज्जतदार व्यक्ति था। फिर उसे नाभा जेल क्यों शिफ्ट किया गया? क्या बिट्टू पर उसकी गली में किसी कुत्ते को भी मारने का मामला है? नाभा जेल में ऐसे लोग बंद रहे हैं, जो जेल तोड़कर निकल गए और पूरे पंजाब की पुलिस देखती रह गई। क्या बिट्टू ऐसा अपराधी था, जिसे नाभा जेल भेजने की आवश्यकता थी। यह साजिश नहीं तो और क्या है?

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।