‘इंसानियत’ में राजेन्द्र इन्सां का ‘शतक’

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सच कहूँ/विजय शर्मा, केसरीसिंहपुर। अक्सर आपने सड़कों पर मंदबुद्धियों को भटकते देखा होगा। कोई नग्न तो कोई अर्धनग्न अवस्था में होगा, कोई भूख-प्यास से तड़प रहा होगा या किसी की देह से इतनी दुर्गंध आ रही होगी कि आप उसके पास से गुजरना भी पंसद नहीं करेंगे। हमारे लिए वो अनजान हैं इसलिए शायद हम उन्हें देखकर अनदेखा कर देते हैं। लेकिन कर्मों की मार झेल रहे ये मंदबुद्धि भी किसी के अपने होंगे।

समाज के उपहास की मार झेल रहे इन विक्षिप्तों के दर्द को जब किसी ने महसूस नहीं किया। तब पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां आगे आये। पूज्य गुरु जी ने ‘इंसानियत’ (Insaniyat) मुहिम का आगाज किया और जिसके बाद पूरे विश्वभर में इस मुहिम के तहत करोड़ों श्रद्धालु मानवता का धर्म निभाने में जुट गये।

आज ‘सच कहूँ’ आपको राजस्थान राज्य के ब्लॉक केसरीसिंहपुर के रहने वाले राजेन्द्र इन्सां से रूबरू करवा रहा है, जिन्होंने इस मुहिम को ही अपना जीवन समर्पित कर दिया। शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के इस जवान ने 2017 से लेकर अब तक 100 ऐसे मंदबुद्धियों को उनके परिवार से मिलाने का काम किया है जिनके मिलने की परिवारिक सदस्य उम्मीद तक खो चुके थे या उन्हें मृत मान चुके थे।

शुक्रवार को राजेन्द्र इन्सां ने दो ओर मंदबुद्धियों चन्द्रपाल पुत्र जोगाराज बरेली सिटी, उत्तर प्रदेश और रवि नरसिंग निवासी गांव खोडेगांव जिला औरंगाबाद के परिजनों का पता लगाकर परिजनों को सौंप दिया गया है। इसके साथ ही इंसानियत (Insaniyat) का ये आंकड़ा 100 पहुंच चुका है।

मंदबुद्धि संभाल के लिए नहीं मिली जगह तो खरीद लिया मकान

राजेन्द्र इन्सां ने बताया कि शुरू में मंदबुद्धि देखभाल के लिए उपयुक्त जगह की समस्या खड़ी हुई। लेकिन कुछ समय बाद मैंने एक मकान खरीदा। जिसमें मंदबुद्धि की एक परिवार की तरह तब तक पूरी देखभाल की जाती है जब तक उसके परिवार का पता न लग जाए। इस सेवा कार्य में राजेन्द्र का परिवार भी जुटा है, जिसमें उसकी माता सरोज रानी, पत्नी ज्योति इन्सां, पिता देशराज, सेवादार बहन सीमा रानी, पूर्णराम इन्सां, जतिन, नाजिम इन्सां, तरूण, लविश, जोविन, पवन सहयोग दे रहे हैं।

Insaniyat sachkahoonनहीं मिला अपना तो, डेरा श्रद्धालु खुद बन गए परिवार

तीन साल पहले राजेन्द्र इन्सां को सड़क पर भूखा-प्यासा मिला मंदबुद्धि (45 वर्ष) अब डेरा श्रद्धालुओं के परिवार का हिस्सा बन चुका है। न नाम का पता है न धर्म और न जात का लेकिन वो डेरा श्रद्धालुओं के प्यार की भाषा बखूबी जानता है।

राजेन्द्र इन्सां ने बताया कि जब उन्हें ये मिला था तो बोल नहीं पा रहा था, खाना न मिलने की वजह से काफी कमजोर हो चुका था, परिवार का काफी पता लगाया, लेकिन कोई नहीं सुराख मिला। जिसके बाद अब ये हमारे साथ ही रह रहा है। अब थोड़ा बोलने लगा है सेवा कार्यों में भी हमारे साथ हाथ बंटाता है, लगता है इसने हमें ही अपना परिवार बना लिया है।

Gokul Insan sachkahoonपूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणा से राजेन्द्र इन्सां में जो सेवा का जज्बा भरा हुआ है वो बेमिसाल है। इतना ही नहीं राजेन्द्र इन्सां को उनका पूरा परिवार, ब्लॉक की साध-संगत भी इस कार्य में हर संभव मद्द कर रही है। ये सेवा भावना सिर्फ डेरा अनुयायियों में ही देखी जा सकती है। मैं सैल्यूट करता हूँ।                                                                                      गोकुल इन्सां, 45 मैंबर राजस्थान

मंदबुद्धियों को घर पहुंचाना और उनकी जिन्दगी बचाने का जो काम डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु राजेन्द्र इन्सां कर रहे हैं वो Gurmeet Singh Kunnar sachkahoonसराहनीय है। गत दिनों भी उन्होंने अपनी जान पर खेलकर ट्रेन के आगे से एक युवती को बचाया था। इंसानियत (Insaniyat) की इस सेवा के लिए राजेन्द्र इन्सां पर राजस्थान सरकार को गर्व है।

गुरमीत सिंह कुन्नर, विधायक, श्रीकरणपुर, जिला श्रीगंगानगर।

Somnath Nayak sachkahoonनिश्चित रूप से मानवता की सेवा राजेन्द्र इन्सां कर रहे हैं। मैं समझता हूँ कि ये पूज्य गुरु जी के पावन आशीर्वाद के बिना संभव ही नहीं है। मैं राजेन्द्र इन्सां की इस सेवा भावना को सैल्यूट करता हूँ और स्थानीय विधायक व प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर पूरी कोशिश करूंगा कि अगामी 15 अगस्त पर राज्य स्तर पर उन्हें सम्मानित किया जाए।

सोमनाथ नायक, नगर पालिका, उपाध्यक्ष केसरीसिंहपुर।

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