रेस्क्यू अभियान : सांप, बिच्छू के बीच बोरवेल में फंसा था राहुल, जानें, कैसे सेना के जवानों ने बचाया

rahul rescue
  • देश के सबसे बड़े रेस्क्यू अभियान में बचाए गए राहुल की स्थिति में सुधार

बिलासपुर/जांजगीर (एजेंसी)। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चापा जिले के पिहरीद में देश के सबसे बड़े रेस्क्यू अभियान में बोरवेल में फंसे राहुल साहू को देर रात 104 घंटे बाद सेना,एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की मदद से सुरक्षित निकाल लिया गया और अस्पताल में भर्ती करवाया गया हैं। लगभग 11 वर्षीय राहुल के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा हैं।

राहुल को बाहर निकाले जाने के बाद मौके पर मौजूद चिकित्सा दल द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य जांच की गई।इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर राहुल को तत्काल ही बेहतर उपचार के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अपोलो अस्पताल बिलासपुर भेज गया। अपोलो अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि राहुल की विस्तृत जांच जारी हैं और उसकी स्थिति में सुधार हैं। उसे फिलहाल हल्का बुखार हैं। उन्होने बताया कि विस्तृत जांच के बाद स्वास्थ्य बुलेटिन जारी होंगी।

सबसे लम्बे रेस्क्यू अभियान आखिरकार देर रात 104 घण्टे रेस्क्यू के बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया। आपरेशन राहुल- हम होंगे कामयाब के साथ राहुल के बचाव के लिए लगभग 65 फीट नीचे गड्ढे में उतरी रेस्क्यू दल ने कड़ी मशक्कत के बाद राहुल को सुरक्षित बाहर निकाला। राहुल जैसे ही सुरंग से बाहर आया। उसने आँखे खोली और एक बार फिर दुनिया को देखा। यह क्षण सबके लिए खुशी का एक बड़ा पल था। पूरा इलाका राहुलमय हो गया।

इस रेस्क्यू के सफल होने से देशभर में एक खुशी का माहौल

मुख्यमंत्री बघेल द्वारा बोरवेल में फसे राहुल को सुरक्षित निकालने के लिए जिला प्रशासन को विशेष निर्देश दिए गए थे। आखिरकार देश के सबसे बड़े रेस्क्यू अभियान को कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में अंजाम दिया गया। सुरंग बनाने के रास्ते में बार-बार मजबूत चट्टान आ जाने से 4 दिन तक चले इस अभियान को रेस्क्यू दल ने अंजाम देकर मासूम राहुल को एक नई जिंदगी दी है।

इस रेस्क्यू के सफल होने से देशभर में एक खुशी का माहौल बन गया। गत 10 जून को दोपहर लगभग दो बजे राहुल साहू अपने घर के पास खुले हुए बोरवेल में गिरकर फंस गया था। इसकी खबर मिलते ही जिला प्रशासन की टीम कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में तैनात हो गई। समय रहते ही आक्सीजन की व्यवस्था कर बच्चे तक पहुचाई गई। कैमरा लगाकर बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ उनके परिजनों के माध्यम से बोरवेल में फसे राहुल पर नजर रखने के साथ उनका मनोबल बढाया जा रहा था। उसे जूस, केला और अन्य खाद्य सामग्रियां भी दी जा रही थी। विशेष कैमरे से पल-पल की निगरानी रखने के साथ आक्सीजन की सप्लाई भी की जा रही थी।

क्या है मामला

आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था और एम्बुलेंस भी तैनात किए गए थे। राज्य आपदा प्रबंधन टीम के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन(एनडीआरएफ) की टीम ओडिशा के कटक और भिलाई से आकर रेस्क्यू में जुटी थी। सेना के कर्नल चिन्मय पारीकअपने टीम के साथ इस मिशन में जुटे थे। रेस्क्यू से बच्चे को सकुशल निकालने के लिए हर सम्भव कोशिश की गई।10 जून की रात में ही राहुल को मैनुअल क्रेन के माध्यम से रस्सी से बाहर लाने की कोशिश की गई। राहुल द्वारा रस्सी को पकड़ने जैसी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिए जाने के बाद परिजनों की सहमति और एनडीआरएफ के निर्णय के पश्चात तय किया गया कि बोरवेल के किनारे तक खुदाई कर रेस्क्यू किया जाए।

रात लगभग 12 बजे से पुन: अलग-अलग मशीनों से खुदाई प्रारंभ की गई। लगभग 60 फीट की खुदाई किए जाने के बाद पहले रास्ता तैयार किया गया। एनडीआरएफ और सेना के साथ जिला प्रशासन की टीम ने ड्रीलिंग करके बोरवेल तक पहुंचने सुरंग बनाया। सुरंग बनाने के दौरान कई बार मजबूत चट्टान आने से इस अभियान में बाधा आई। बिलासपुर से अधिक क्षमता वाली ड्रिलिंग मशीन मंगाए जाने के बाद बहुत ही एहतियात बरतते हुए काफी मशक्कत के साथ राहुल तक पहुचा गया।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।