जुलाई में फुटकर महंगाई बढ़कर 7.44% हुई

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सीपीआई बास्केट में लगभग आधी हिस्सेदारी खाने-पीने की चीजों की होती है

  • यह आरबीआई की तय सीमा से ज्यादा | Dearness

नई दिल्ली (एजेंसी)। जुलाई में फुटकर महंगाई बढ़कर 7.44% पर पहुँच गई है। महंगाई का यह 15 महीने का उच्चतम स्तर है। इससे पहले अप्रैल 2022 में महंगाई 7.79% रही थी। खाने-पीने का सामान खासकर सब्जियां महंगी होने के कारण महंगाई बढ़ी है। जून में फुटकर महंगाई 4.81% रही थी।

वहीं मई में यह 25 महीने के निचले स्तर 4.25% पर आ गई थी। कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स (सीएफपीआई) जुलाई में बढ़कर 11.51% हो गया है। जून में यह 4.49% था जबकि मई में 2.96% था। ये इंडेक्स खाने-पीने के सामान के दामों में बढ़ोतरी और उनमें कमी को दिखाता है। सीपीआई बास्केट में लगभग आधी हिस्सेदारी खाने-पीने की चीजों की होती है। जुलाई में महंगाई आरबीआई के 6% की ऊपरी टॉलरेंस लिमिट के पार निकल गई है। Dearness

जुलाई में हुई मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अभी भी बरकरार है। आरबीआई के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 (एफवाई 24) में महंगाई 4% के ऊपर ही रहने की संभावना है। आरबीआई ने महंगाई अनुमान को एफवाई 24 में 5.1% से बढ़ाकर 5.4% कर दिया है।

सीपीआई क्या होता है? | Dearness

एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी सीपीआई करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, सीपीआई उसी को मापता है। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।

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