संत कभी किसी को बुरा नहीं कहते
संत, पीर-फकीर इस दुनिया में सबका भला करने के लिए आते हैं। उनका किसी भी धर्म, मजहब या किसी भी व्यक्ति से कोई वैर-विरोध नहीं होता।
रतिया की साध-संगत ने भीषण गर्मी को देखते हुए पक्षियों के लिए चुग्गा-दाना व पानी की व्यवस्था की
रतिया (सच कहूँ/तरसेम सैनी...
परम पिता जी के रूहानी सत्संग की यादों को समेटे हुए है एक छोटी सी कुटियां…
बेपरवाह सार्इं शाह मस्तान...
‘सुमिरन, सेवा से मिलती हैं खुशियां’
सुमिरन के पक्के बनने से इन्सान के अंदर आत्म-विश्वास भर जाता है और उसकी सहनशक्ति बहुत बढ़ जाती है। जब लगातार सुमिरन के पक्के बन जाओगे तो कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने आप ही आपके गुनाह, बुरे कर्म अंदर से निकलते चले जाएंगे और आप मालिक की दया-दृष्टि के काबिल बनेंगे।
सुमिरन से मिलती है बुराइयों पर जीत
हर इन्सान को सुमिरन करना चाहिए और सुमिरन पर कोई जोर भी नहीं लगता। लेटकर, बैठकर, काम-धंधा करते हुए और आप यकीन मानो कि जो सेवा-सुमिरन लगन से करता है, जिसके अंदर मालिक के खजाने हैं वो जरा-जरा सी बात पर कभी पारा ऊपर-नीचे लेकर नहीं जाते।