Aloe Vera: जानिये ऐलोवेरा के चमत्कारी गुण | MSG tips

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। आज हम आपको एलोवेरा के टिप्स बताने जा रहे है। एलोवेरा के क्या फायदे है, ऐलोवेरा के चेहरे पर लगाने से क्या फायदे है, एलोवेरा से क्या नुक्सान है, ऐलोवेरा से कौन सा रोग ठीक होता है और एलोवेरा की खेती। aloe vera ki kheti

‘‘ऐलोवेरा ऐसा औषधीय पौधा है जिसकी किसी भी तरह की मिट्टी में खेती व बारिश व स्प्रिंक्लर विधि से सिंचाई हो जाती है। पूर दुनिया में जानी जाने वाली इस औषध की खेती भारत में विदेशी धन के साथ-साथ आर्थिक खुशहाली ला सकती है।’’
-पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां।

एलोवेरा के क्या फायदे है,

Aloe vera

ऐलोवेरा एक ऐसा पौधा है जो अपने गुणों के कारण बहुत प्रसिद्ध है। इससे होने वाले फायदे बेशुमार हैं। न केवल इसका सेवन हमारे लिए फायदेमंद है बल्कि यह इसलिए भी लाभप्रद है। क्योंकि इसकी खेती के लिए पानी की खपत बहुत कम होती है। जहां यह शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है। वहीं इसका लेप त्वचा संबंधी रोगों के साथ-साथ जलने, कटने पर भी शरीर की संभाल करता है। ऐलोवेरा एक प्राकृति स्वास्थयवर्धक टॉनिक है। जिसमें कई प्रकार के विटामिन, मिनरल, एनजाइम व एमिनो ऐसिड उपलब्ध है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम

ऐलोवेरा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। ऐलोवेरा जूस का नित्य सेवन करने से कई प्रकार के पुराने रोग जैसे जोड़ो का दर्द, बवासीर आदि में भी लाभकारी है। ऐलोवेरा शरीर की पाचन क्रिया को सुदृढ़ बनाता है। यह शरीर की पाचन शक्ति को ठीक करके हाजमा बढ़ाता है। जिससे पेट दर्द, गैंस, तेजाब तथाकब्ज दूर हो जाती है। ऐलोवेरा में मौजूद एमिनो एसिड शरीर के विाकस में मदद करता है।

Aloe vera

शरीर की चर्बी को नियंत्रित करता है

ऐलोवेरा त्वचा संबंधी रोगों में अत्यंत लाभदायक है। यह खून को साफ करके त्वचा को सुदृढ़ बनाता है व साथ ही कील मुंहासे, एलर्जी आादि चर्म रोगों में भी लाभदायक है। ऐलोवेरा शरीर की चर्बी को नियंत्रित करता है तथा मोटापा व पतलापन दोनों में ही लाभदायक है। ऐलोवेरा सभी रोगों में लाभकारी है। जैसे अनिंद्रा, एलर्जी, माइग्रेन, अनीमिया, बवासीर, हृदय रोग, पीलिया इत्यादी।

शुगर आदि रोगों में कमाल का असर aloe vera ki kheti 

महिलाओं की कई बीमारियों में ऐलोवेरा अमृत समान है। जैसे- मासिक धर्म का रूक जाना, कम आना या खुलकर ना आना आदि। गर्भवती महिलाओं को ऐलोवेरा का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐलोवेरा आंखों की रोशनी, अल्सर, भूख न लगना, कमजोरी व शुगर आदि रोगों में कमाल का असर दिखाता है। बालों के लिए भी ऐलोवेरा काफी लाभदायक है। एमएसजी ऐलोवेरा जैल त्वचा को एलर्जी, जलने, कटने व धूप से बचाने के लिए बहुत ही फायदेमंद है। ऐलोवेरा ड्रिंक हर प्रकार से सेवन में उत्तम है।

एलोवीरा का यह नाम अरबी शब्द एलोए से लिया गया है, जिसका अर्थ चमकदार कड़वा तत्व होता है। इसे घीकवार के नाम से भी जाना जाता है पत्ते का अंदरूनी भाग जो कि जैल और लैटेक्स युक्त होता है, विभिन्न दवाइयां तैयार करने के लिए उपयोग किया जाता है। घीकवार में विटामिन ए, बी1, बी 2, बी 6, बी 12, फोलिक एसिड, नियासीन युक्त होता है। एलोवीरा से तैयार दवाइयों का प्रयोग जले हुए या धूप में जले हुए स्थान पर और विभिन्न प्रकार के त्वचा के रोग जैसे एक्जीमा, प्ररिटस और मुंहासे जैसे रोगों के लिए किया जाता है।

ऊपर बताये गए एलोवेरा के बारे में एमएसजी टिप्स है।


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एलोवेरा की खेती

यह तना रहित पौधा होता है, जिसकी ऊंचाई 24सैं.मी.-39सैं.मी. होती है। इसके पत्ते मोटे और ताजे होते हैं। पत्तों की लंबाई 0.5 मीटर होती है। घीकवार के मुख्य उत्पादक देश भारत, आॅस्ट्रेलिया, यू एस ए, जापान और यूरोप हैं। भारत में इसे पंजाब, आंध्रा प्रदेश, अरूणांचल प्रदेश, आसाम, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरला, मध्य प्रदेश, महांराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, उड़ीसा, राजस्थान, उत्तरांचल राज्यों में पाया जाता है।

मिट्टी

इस पौधे को मिट्टी की कई किस्मों जैसे रेतली तटवर्ती से मैदानों की दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है। यह पौधा जल जमाव हालातों मे खड़ा नहीं रह सकता। जब इसे अच्छे जल निकास वाली दोमट से रेतली दोमट और 8.5 पीएच वाली जमीन में उगाया जाये तो यह अच्छे परिणाम देती है।

AloeVera-Cultivation

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

एलोए जो कि लिलीकाए परिवार से संबंधित है उसकी लगभग 150 प्रजातियां पायी जाती हैं। ये आमतौर पर उगायी जाती हैं और इनका औषधीय मूल्य होता है।
नैशनल बौटैनीकल और प्लांट जैनेटिक रिसोर्स आई. सी. ए. आर, दिल्ली द्वारा रिलीज की गई किस्में 111271, 111269, 111280, 111273, 111279 और कउ111267 आदि। इस किस्म में उच्च मात्रा में एलोइन तत्व पाया जाता है।
नैशनल बौटैनीकल और प्लांट जैनेटिक रिसोर्स, आई. सी. ए. आर, दिल्ली द्वारा जारी की गई किस्में कउ111267, कउ1112666, कउ111280, कउ111280, कउ111272 और कउ111277 आदि। इस किस्म में उच्च मात्रा में जैल तत्व पाया जाता है। यह किस्म सैंट्रल इंस्टीट्यूट आॅफ मैडीकल एंड एरोमैटिक प्लांट्स, लखनऊ द्वारा जारी की गई है।

जमीन की तैयारी

घीकवार की जड़ें 20-30 सैं.मी. तक ही जाती हैं। इसके लिए खेत को जोत कर नर्म करें। आखिरी जोताई के बाद 6 टन प्रति एकड़ रूड़ी की खाद डालें। मेंड़ और खालियां बना कर 45-60 सैं.मी. के फासले पर बिजाई करें और अगर जरूरत पड़े तो सिंचाई करें। गांठों को 40 या 30 सैं.मी. के फासले पर लगाएं।

AloeVera Cultivation

बिजाई का समय

गांठों के विकास के लिए इसकी बिजाई जुलाई-अगस्त महीने में करनी चाहिए। सिंचाई वाले क्षेत्रों में इसकी बिजाई सर्दियों के महीने में भी की जाती है।

फासला

आमतौर पर फासला 45 सैं.मी. गुणा 40 सैं.मी. या 60 सैं.मी. गुणा 30 सैं.मी. रखा जाता है।

बीज की गहराई

ये गांठें चार से पांच महीने पुरानी और 15 सैं.मी. की गहराई पर गड्ढों में लगानी चाहिए।

बिजाई का ढंग

पौधे के प्रयोग किए जाने वाले भाग
जब इसका निचला भाग पीला हो जाता है तो इसके पत्तों को काटकर एलोवीरा का जूस प्राप्त कर लिया जाता है। इसका पानी या रस गर्मी के कारण वाष्पीकरण हो जाता है और फलस्वरूप् इसका रंग हल्के से गहरा भूरा हो जाता है।

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बीज की मात्रा

बिजाई के लिए आम तौर पर एक एकड़ के लिए 22000 गांठों की जरूरत होती है।

बीज का उपचार

बिजाई के लिए सेहतमंद गांठों का ही प्रयोग करें। बिजाई के लिए 3-4 महीने पुरानी गांठों का प्रयोग करें, जिसके चार से पांच पत्ते हों।

खादें (किलोग्राम/प्रति एकड़)

जमीन की तैयारी के समय 60-80 क्विंटल प्रति एकड़ रूड़ी की खाद डालें। नाइट्रोजन 20 किलो (44 किलो यूरिया), फासफोरस 20 किलो (125 किलो एस.एस.पी.) और पोटाश 20 किलो (34 किलो म्यूरेट आॅफ पोटाश) की मात्रा प्रति एकड़ में प्रयोग करें।

खरपतवार नियंत्रण aloe vera ki kheti 

खेत को साफ सुथरा और नदीन रहित रखें। उचित अंतराल पर गोडाई करें। एक वर्ष में मुख्यत: दो बार गुड़ाई करें।
सिंचाई
गर्मियों और शुष्क हालातों में 2 सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करें। बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती और सर्दियों के मौसम में पौधा ज्यादा पानी नहीं लेता इसलिए कम सिंचाई करनी चाहिए। पौधे के गांठे बनने के बाद तुरंत पहली सिंचाई करें। खेत में ज्यादा पानी ना लगाएं इससे फसल को नुक्सान होता है। याद रखें कि फसल को दोबारा पानी लगाने से पहले, खेत को सूखने दें। सिंचाई खेत में अच्छी तरह दे देनी चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाये।

हानिकारक कीट और रोकथाम

मिली बग: यह लैपिडोसफेलस और सिउडोकोकस के कारण पैदा होती है। इससे पत्ते पीले पड़ने और मुरझाने शुरू हो जाते हैं।
इसके हमले को रोकने के लिए मिथाइल पैराथियॉन 10 मि.ली. या क्विनलफॉस 20 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिलाकर पौधे की जड़ों और शाखाओं में डालें।

पत्तों के काले भूरे धब्बे: काले भूरे धब्बे विशेष तौर पर लाल-भूरे दिखते हैं, जो अंडाकार और लंबकार होते हैं। यदि तापमान लगभग 20 डिगरी सैल्सियस हो और नमी की मात्रा ज्यादा हो तो यह बीमारी तेजी से फैलती है। यदि स्थिति इस बीमारी के अनुकूल हो तो यह बीमारी 10-14 दिनों में पीड़ी दर पीड़ी बढ़ती रहती है।
एंथ्राकनोस: यह बीमारी बहुत सारी बीमारियों का कारण बनती है। इसमें पौधा शिखर से सूखना शुरू होता है, फिर टहनियां और तना सूख जाता है और अंत में पौधे के सारे भाग झड़ने के बाद सारा पौधा नष्ट हो जाता है। नीम के तेल (70 प्रतिशत) की स्प्रे करने से इस बीमारी को रोका जा सकता है।

फसल की कटाई

घीकवार की फसल पकने के लिए 18-24 महीनों का समय लेती है। इस फसल को साल में 4 बार लिया जा सकता है और 3-4 बार पौधों के पत्तों को काटें। कटाई सुबह और शाम के समय करें। यह फसल दोबारा उग पड़ती है। इस लिए इसे 5 वर्षों तक लिया जा सकता है।

कटाई के बाद aloe vera ki kheti 

नए उखाड़े पौधे को दूसरी जगह लिजाने से पहले थोड़ा सूखने दें। आमतौर पर पौधा 24-72 घंटों में सूख जाता है पर इसे शुष्क और ठंडा रखने से गलने और फफूंदी के विकास को रोका जा सकता है। इसे सुखाने के लिए पक्का फर्श प्रयोग किया जा सकता है।

शरीर के सही विकास के लिए इक्कीस अमिनो एसिड की जरूरत, जिसमें से अठारह ऐलोवेरा में

आमतौर पर लोग अपने घरों में ऐलोवेरा का पौधा लगाना पसंद करते हैं लेकिन इसके सेहत संबंधी गुणों के बारे में पता नहीं होने के कारण इस पौधे का उस तरह प्रयोग नहीं हो पाता जैसे होना चाहिए। यह एक ऐसा पौधा है जिसे उगने के लिए ज्यादा धूप या पानी की आवश्यकता नहीं होती। यह पौधा ही आपकी कई स्किन और सेहत संबंधी परेशानियों को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। ऐलोवेरा पौधे में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसकी पत्तियां होती हैं जिसमें जेल जैसी चीज पाई जाती है जिसका प्रयोग उसी रूप में या फिर जूस बनाकर किया जाता है।

अगर आप अपनी ब्यूटी को और निखारना चाहते हैं तो ऐलोवेरा जैल से आप अपनी स्किन को सिर से लेकर पैर तक निखार सकते हैं और ये जैल हर तरह की स्किन टाईप के लिए फायदेमंद माना गया है। शरीर के सही विकास के लिए इक्कीस अमिनो एसिड की जरूरत होती है जिसमें से अठारह ऐलोवेरा में पाये जाते हैं। साथ ही अन्य पोषक तत्व जैसे कि आयरन, मैगनीज, कैल्सियम और सोडियम भी इसमें हैं।

  • संभव हो तो प्रतिदिन ऐलोवेरा जूस का सेवन करना चाहिए।
  • अगर आप गैस की समस्या से परेशान हैं तो ऐलोवेरा जूस में नींबू का रस लेने ये बंद हो जाएगी।
  • ऐलोवेरा जूस से आपकी पाचन शक्ति भी अच्छी होता जाएगी।
  • कब्ज की समस्या में खासकर ऐलोवेरा जूस से बहुत राहत मिलती है।
  • ये हमारे दिल का ख्याल रखते हुए कोलेस्ट्राल को बढ़ने से रोकता है।

शरीर को एक्टिव बनाए रखने में कारगर aloe vera ki kheti

आजकल प्रदूषण बहुत बढ़ रहा है ऐसे में बच्चा हो या बड़ा, सबकी ही रोग प्रतिरोधक क्षमता जिसे कि हम इम्यूनीटी कहते हैं, कम होती जा रही है। ऐसे में ऐलोवेरा जूस आपके शरीर को एक्टिव बनाये रखता है और सर्दी जुकाम जैसी बीमारियों से बचाये रखता है। आर्थराइटिस या गठिया में होने वाले जोड़ों के दर्द को कम करने में भी ऐलोवेरा सहायक हो सकता है इसके लिए आप चाहें तो ऐलोवेरा की पत्तियों पर हल्दी लगाकर सीधे ही दर्द वाली जगह पर लगा सकते हैं या फिर चाहें तो रोज ऐलोवेरा जूस का सेवन भी कर सकते हैं। दोनों तरह से ही ये जोड़ों के दर्द को कम करता है।

अगर कोई जख्म हो गया हो या कहीं कट छिल गया हो ऐलोवेरा जैल लगाने से वह जल्दी ही सही हो जाता है तथा घाव भी भर जाता है। फोड़े फुंसी होने पर ऐलोवेरा जैल में हल्दी मिलाकर लगा लें फिर पट्टी कर लें। थोड़ी देर में अपने आप ही मवाद भी निकाल जाएगा और कोई निशान भी नहीं रहेगा। जो लोग डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं या फिर जिनकी अभी पहली ही स्टेज ही उन्हें ऐलोवेरा जूस में करेला का रस मिलाकर पीना चाहिए। ऐलो वेरा का जैल हमारी स्किन के लिए के एंटी एजिंग जैल की तरह काम करता है और रिंकल एवम फाईन लाइनों को कम करता है लेकिन शुरू से ही से इस जैल को लगाने की आदत डाली जाए तो ज्यादा समय के लिए आप जवान दिख सकते हैं।

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बालों के लिए काफी फायदेमंद हैं ऐलोवेरा का जैल | aloe vera ki kheti

  • बालों के लिए भी ऐलोवेरा का जैल काफी फायदेमंद रहता है।
  • ऐलोवेरा का जैल बालों के लिए एक नेचुरल कंडीशनर का काम करता है।
  • जैल को बालों की जड़ों में लगाने से बाल मजबूत होते हैं।
  • अगर बालों में रूसी हो गई है तो उससे भी छुटकारा मिलता है।
  • यह जैल धूप से होने वाले सनर्बन से बचाता है और सनस्क्रीन की तरह काम करता है।
  • आप चाहें तो धूप में निकलने से पहले इस जैल को अपने शरीर पर लगा सकते हैं।

ऐलोवेरा जूस खून को साफ करता है और हीमोग्लबिन की कमी को पूरा करता है। ड्राई स्किन के लिए ये जैल मॉशचराइजर का काम करता है। अगर चेहरे पर मुहांसा हो गया हो तो भी ये जैल लगाकर उसे दूर किया जा सकता है। हमारी कोहनियों और घुटनों पर गंदगी जमा होने के कारण ये हिस्से काले नजर आते हैं लेकिन ऐलोवेरा जैल में नारियल का तेल मिलाकर लगाने से धीरे धीरे ये कालापन दूर होता जाता है। चेहरे पर इंस्टेट ग्लो लाने के लिए ऐलोवेरा जैल में नींबू का रस 15 मिनट लगाए रखें और फिर धो दें रोज ऐसा करने से आप खुद ही फर्क देखना शुरू कर देंगे। त्वचा संबंधी रोगों को ठीक करने में भी ये जैल मदद करता है।

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