औषधीय पौधों एवं आयुर्वेद से संभव स्वास्थ्य रक्षा

Able to relieve Ayurveda corona disease

भले ही देश में कोरोना महामारी की दो-दो वैक्सीन बन गई हैं, लेकिन कोरोना का कहर दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। कोरोना के कारण भारत में औसत दैनिक मृत्यु फिर से बढ़ गई है। विश्व में अब तक 12.2 करोड़ से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं, जिनमें से 6.81 करोड़ लोग ठीक हुए और 26.60 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में अब तक 1.14 करोड़ लोग संक्रमित हुए, 1.10 करोड़ लोग ठीक हुए और एक लाख 58 हजार से अधिक लोगों की जान गई। जब यह बीमारी चरम पर थी, तब जहां एक ओर विकसित राष्ट्र सभी आधुनिक मेडिकल सुविधाएं होने के बावजूद भी घुटने टेककर बैठे थे, वहीं भारत पारंपरिक औषधियों और तरीकों की बदौलत कोविड से लोहा ले रहा था। इन पारंपरिक तरीकों ने बीमारी को मात देने के लिए लोगों ने भिन्न-भिन्न प्रकार के काढ़े व अन्य औषधियों से प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखा। अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि ग्रामीण भारत में यह बीमारी अपना व्यापक प्रभाव जमाने में नाकाम रही।

इसका कारण पारंपरिक भारतीय ग्रामीण जीवन शैली और परंपरागत औषधीय गुण वाली वनस्पतियों का उपयोग बताया जा रहा है। ग्रामीण लोग आज भी प्रकृति के निकट हैं और वे बहुत सारे परंपरागत औषधीय गुणवाले पत्तों का साग-सब्जी के रूप में सेवन करते हैं। यहां तक कि कुछ औषधीय पत्तों को खाकर लोग बहुत सारी बीमारियों का समाधान भी कर लेते हैं। ये वनस्पतियां शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं और रोगों से लड़ने की ताकत देती हैं। भारतीय योग एवं आयुर्वेद विलक्षण रोग उपचार पद्धति है, जिसे इस प्रकार गूंथ दिया गया है कि शरीर की सुडौलता के साथ-साथ मानसिक एवं आध्यात्मिक प्रगति भी हो। शरीर की सुदृढ़ता के लिए आसन एवं दीघार्यु के लिए प्राणायाम को वैज्ञानिक ढंग से ऋषियों ने अनुभव के आधार पर दिया है, इससे व्यक्ति महान संकल्प लेकर उसे कार्यान्वित कर सकता है। आयुर्वेद चिकित्सा से जब गोवा में सभी कोरोना मरीजों के ठीक होने एवं एक भी मरीज न होने की गोवा सरकार की घोषणा को सुना तो समूचे देश को आश्चर्य हुआ। वहां के डॉक्टरों ने अंग्रेजी दवाओं के साथ आयुर्वेदिक औषधियों से यह कमाल कर दिखाया।

गुजरात में भी आयुर्वेद चिकित्सा एवं औषधियों से लगभग 8 हजार रोगी ठीक हुए, जिन्हें संशमनी बटी, दशमूल क्वाथ, त्रिकटु चूर्ण और हल्दी आदि आयुर्वेद औषधियां दी गयी। उत्तर प्रदेश के 179 केन्द्रोें पर 6,210 कोरोना वायरस पीड़ितों को आयुर्वेदिक औषधियां सफलतापूर्वक दी गई और उनके कोरोना रोग को समाप्त करने में सकारात्मक प्रभाव रहा है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानेवाली वनस्पतियों का अर्क, काढ़ा आदि का नियमित सेवन एवं सोने से पहले नियमित रूप से हल्दी वाले दूध का उपयोग तथा योग, प्राणायाम, व्यायाम आदि करना, कोरोना काल में गिलोय का काफी उपयोग किया गया, जिसके अनेक गुणों के कारण हमारी प्रतिरोधक क्षमता बनी रही। तुलसी, अश्वगंधा, हल्दी जैसे परंपरागत औषधीय पौधों ने हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाया। हमें इनका उपयोग वैक्सीन के बाद भी जारी रखना होगा। झारखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें, तो यह प्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से भरा-पूरा है। पथरीली एवं उबड़-खाबड़ जमीन होने के कारण खेती कठिन है, लेकिन औषधीय पौधे बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। सरकार और समाज को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

 

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