Kharif Crop season: सोयाबीन की ये किस्में हैं विशेष, समय आया बुवाई का, कमाई करें सर्वश्रेष्ठ

Soyabean Cultivation
Soyabean Cultivation सोयाबीन की ये किस्में हैं विशेष, समय आया बुवाई का, कमाई करें सर्वश्रेष्ठ

इन किस्मों की आज ही करें बुवाई, बम्बर करें कमाई!

Soyabean is The Source of Nutrition And Money: अगर आप किसान हैं और भारत में रहते हैं तो बता दें कि आपके लिए एक खास खेती सोयाबीन की बुवाई का समय नजदीक है। भारत में सोयाबीन की बुवाई का समय 15 जून से शुरू हो जाता है जिसे देखते हुए आप सभी किसानों को सोयाबीन की अधिक पैदावार देने वाली किस्मों की जानकारी होनी लाजिमी है ताकि आप इन किस्मों में से अपने क्षेत्र के अनुकूल किस्म का चुनाव करके समय रहते सोयाबीन की बुवाई कर सकें और अधिक से अधिक पैदावार ले सकें। बता दें कि भारत में सोयाबीन की फसल खरीफ की फसल के अंतर्गत आती है। Soyabean Cultivation

जोकि सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में होती है। मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में 45 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं महाराष्ट्र का 40 प्रतिशत है। आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि भारत में सोयाबीन का 12 मिलियन टन उत्पादन होता है जिससे ज्यादातर किसान लाभांवित होते हैं। आज हम आपको भी ज्यादा से ज्यादा लाभांवित करने के लिए सोयाबीन की 10 विशेष किस्मों की जानकारी देने जा रहे हैं, जिनको उपयोग में लाकर आप भरपूर लाभ उठा सकेंगे।

फुले संगम/KDS 726 | Soyabean Cultivation

महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय महाराष्ट्र द्वारा अनुशंसित फुले संगम केडीएस 726 किस्म है जोकि 2016 में अनुशंसित की गई। सोयाबीन की इस किस्म का पौधा अन्य पौधे के मुकाबले ज्यादा बड़ा और मजबूत होता है। इसकी फली 3 दानों की होती है और इस किस्म में 350 के करीब फलियां लगती हैं। इसका दाना भी काफी मोटा होता है, जिसकी वजह से इसके उत्पादन में भी दोगुना फायदा होता है। यह किस्म ज्यादातर महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में लगाई जाती है।

सोयाबीन की इस किस्म को तांबरा रोग के लिए कम संवेदनशील किस्म के रूप में अनुशंसित किया गया है। वैसे इस किस्म की खेती की सिफारिश ज्यादातर पांच राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में की जाती है। यह किस्म पत्ती खाने वाले लार्वा के प्रति कुछ हद तक सहनशील लेकिन तांबरा रोग की प्रतिरोधी है। सोयाबीन की इस किस्म की परिपक्वता अवधि 100 से 105 दिनों की होती है। अगर बात पैदावार की करें तो इस किस्म की पैदावार 35-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और फुले संगम केडीएस 726 की हाईटेक तरीके से खेती करने पर 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देखी गई है। इस किस्म की सोयाबीन में तेल की मात्रा 18.42 प्रतिशत है।

एमएसीएस (MACS) 1407 | Soyabean Cultivation

एमएसीएस 1407 नामक सोयाबीन की किस्म नई विकसित किस्म है जोकि असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है। इसके बीजों की उपलब्धता वर्ष 2022 के खरीफ के मौसम के दौरान किसानों को कराई जाती है। इस किस्म की पैदावार प्रति हेक्टेयर 39 क्विंटल है और यह गर्डल बीटल, लीफ माइनर, लीफ रोलर, स्टेम फ्लाई, एफिड्स, व्हाइट फ्लाई और डिफोलिएटर जैसे प्रमुख कीट-पतंगों के लिए प्रतिरोधी है। इसका मोटा तना होता है जो जमीन से (7 सेमी) ऊपर होता है और यह फली सम्मिलन और फली बिखरने का प्रतिरोधी है जो इसे यांत्रिक कटाई के लिए भी उपयुक्त बनाता है।

यह किस्म ऐसे क्षेत्रों में ज्यादा की जाती हैं जहां बरसात ज्यादा होती है। ज्यादातर यह किस्म पूर्वोत्तर भारत की वर्षा आधारित परिस्थितियों के अनुकूल है। सोयाबीन की यह किस्म बिना किसी पैदावार के नुकसान के 20 जून से 5 जुलाई तक की बुआई के अत्यधिक अनुकूल है। बता दें कि इस किस्म को तैयार होने में फसल की बुआई के दिन के बाद 104 दिन लगते हैं। इसमें सफेद रंग के फूल, पीले रंग के बीज और काले हिलम होते हैं। सोयाबीन की इस किस्म के बीजों में 19.81 प्रतिशत तेल की मात्रा एवं 41 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है।

बीएस (BS) 6124 | Soyabean Cultivation

सोयाबीन की इस किस्म की बुवाई का समय काफी नजदीक है। यह किस्म 15 जून से 30 जून तक लगाई जा सकती है। बुवाई के लिए बीज की मात्रा 35-40 किलों बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होती है। पैदावार के बारे में बताएं तो इस किस्म की पैदावार एक हेक्टेयर में करीब 20-25 क्विंटल तक प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म से सोयाबीन की फसल 90-95 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म में फूल बैंगनी रंग के और पत्ते लंबे होते हैं।

जेएस (JS) 2034

बात करें जेएस किस्म की तो इसकी बुवाई का समय भी सिर के ऊपर ही है। इसकी बुवाई 15 जून से 30 जून तक की जाती है। सोयाबीन की इस किस्म में पीले रंग के दाने, फूल का रंग सफेद तथा फलियां फ्लैट होती हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह किस्म कम वर्षा होने पर भी अच्छा उत्पादन देती है। उत्पादन की बात करें तो सोयाबीन जेएस 2034 का उत्पादन करीब एक हेक्टेयर में 24-25 क्विंटल तक होता है। फसल की कटाई 80-85 दिन में हो जाती है। बुवाई के लिए इस किस्म के 30-35 किलो बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होते हैं।

प्रताप सोया-45 आरकेएस-45 (RKS-45) | Soyabean Cultivation

सोयाबीन की ये किस्म भी 30 से 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की खास पैदावार देती है। इस किस्म में तेल की मात्रा 21 प्रतिशत तथा प्रोटीन की मात्रा 40-41 प्रतिशत होती है। सोयाबीन की यह किस्म काफी बढ़ती है। इसके फूल सफेद तथा बीजों का रंग पीला और भूरे रंग का हिलम होता है। इस किस्म की राजस्थान के लिए ज्यादा सिफारिश की जाती है। यह किस्म 90-98 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म पानी की कमी को भी काफी हद तक सहन कर जाती है। वहीं सिंचित क्षेत्र में उर्वरकों के साथ अच्छी प्रतिक्रिया देती है।

जेएस (JS) 2069

जेएस 2069 किस्म सोयाबीन की अच्छी किस्म है, इसकी बुवाई का उचित समय भी सिर पर आ गया है। 15 जून से 22 जून तक इसकी बुवाई की जा सकती है। इस किस्म की बुवाई के लिए 40 किलो बीज प्रति एकड़ काफी होते हंै। इस किस्म से भी एक हेक्टेयर में करीब 22-26 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। सोयाबीन की यह फसल 85-86 दिनों में तैयार हो जाती हैं।

जेएस (JS) 9560 | farming technique

इस किसम की सोयाबीन 17 जून से 25 जून तक उगा सकते हैं। इसकी बुवाई के लिए करीब एक एकड़ में 40 किलो बीज की आवश्यकता होती है। इस किस्म से एक हेक्टेयर में करीब 25-28 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसका दाना पीले रंग का होता है तथा मजबूत भी होता है। इसके फूल बैंगनी रंग के होते हैं। इसकी फसल 80-85 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

जेएस (JS) 2029 | Agriculture news

जेएस 2029 किस्म की बुवाई भी 15 जून से 30 जून तक की जाती है। इसके लिए प्रति एकड़ 40 किलो बीज की आवश्यकता होती है। सोयाबीन जेएस 2029 की पैदावार करीब एक हेक्टेयर में 25-26 क्विंटल तक होती है। इसकी बुवाई करने पर 90 दिन में फसल तैयार हो जाती है। इस किस्म की सोयाबीन की पत्ती नुकीली अंडाकार और गहरी हरी होती हैं। इसकी टहनियां 3-4 रहती हैं और इस पर बैंगनी रंग के फूल आते हैं, पीले रंग का इसका दाना होता है, पौधों की ऊंचाई भी 100 सेमी रहती है।

एमएयूएस (MAUS) 81 (शक्ति) | Soyabean Cultivation

सोयाबीन की एमएयूएस किस्म 93-97 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इससे 33 से 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की उपज प्राप्त की जा सकती है। इसमें तेल की मात्रा 20.53 प्रतिशत तथा 41.50 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। इसके पत्ते गहरे हरे और फूलों का रंग बैंगनी होता है तथा इसके बीज पीले रंग के आयताकार होते हैं। यह किस्म मध्य क्षेत्र के लिए काफी उपयुक्त है।

प्रताप सोया-1 (RAUS-5) | kharif season

प्रताप सोया-1 किस्म 90 से 104 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इससे करीब 30-35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इसमें तेल की मात्रा 20 प्रतिशत एवं 40.7 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है। सोयाबीन की इस किस्म के फूल बैंगनी जबकि बीज पीले होते हैं। ये किस्म गर्डल बीटल, स्टेम फ्लाई तथा डिफोलीएटर के लिए मध्यम प्रतिरोधी है। सोयाबीन की प्रताप सोया-1 किस्म उत्तर पूर्वी क्षेत्र में ज्यादा अच्छी होती है। सोयाबीन की उक्त उन्नत किस्मों की खेती करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो सोयाबीन की किस्मों से संबंधित ये जानकारी आपको कैसी लगी, लाइक-कॉमेंट्स करके जरूर लिखें।