घायलों को अस्पताल पहुंचाकर जान बचाने वालों को किया जाए सम्मानित: पूज्य गुरु जी

बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु जी ने घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए प्रेरित करते हुए फरमाया कि घायल को उठाकर होस्पिटल जरूर पहुंचाए, ताकि उसका जीवन बच सके। अब सरकार ने भी यह कर दिया है कि घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों से पूछताछ नहीं होगी। पहले तो गड़बड़ हो जाया करती थी। पहले जो लेकर जाता था उसी को पकड़ लेते थे। जो घायलों को अस्पताल पहुंचाकर जान बचाते है उनको सम्मानित भी किया जाना चाहिए। साध-संगत हजारों ऐसे लोगों को बचा चुकी जो सड़कों पर घायल थे और तडफ रहे थे। ऐसा कार्य करने वालों को आशीर्वाद तथा भगवान उन्हें खुशियां दें।

सही और गलत कर्म का ज्ञान जरूरी

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि संतुष्टि का मतलब ये नहीं होता कि हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाओ, जी नहीं। कर्म करते जाइये, लेकिन ज्ञानयोगी बनकर। बिना ज्ञान के कर्म अधूरा है। कर्म तो सारे ही करते हैं। जैसे आपको कल-परसों बताया था, अब बकरे का गला काटता है वो भी कर्म है। कर्म का मतलब काम-धंधा करना। कोई भी कर्म, फावड़ा चलाना ये भी कर्म है। किसी को गलत गालियां देता है, है तो वो कर्म, वो बुरा कर्म है। तो ये ज्ञान तो होना चाहिए कि सही कर्म कौन सा है और बुरा कर्म कौन सा है। इसलिए ज्ञानयोगी बनो और कर्मयोगी बनो।

ये हमारे पवित्र वेदों में लिखा है। और सेम थिंग (समान बात) सभी धर्मों में लिखा हुआ मिला। क्योंकि पुरातन हमारे धर्मों में पवित्र वेद आते हैं। आज अगर साइंस के नजरिये से कहें तो 12 हजार साल पुराने तो हैं ही, कम से कम। धर्म की बात करें तो आदिकाल से चले हुए हैं। तो उनमें जो लिखा है, वो बाकी धर्मों में क्या लिखा हुआ है, ऐसा ही लिखा हुआ है, बिल्कुल ऐसा ही, कि मेहनत की खाओ, अल्लाह की इबादत करो और हक हलाल की खाओ। वही कर्मयोगी और ज्ञानयोगी। दसां नहुआं दी कीरत करो और वाहेगुरु का नाम जपो। गॉड्स प्रेयर करो और हार्ड वर्क करो। यानि सारे धर्मों में एक ही चीज है कि कर्मयोगी बनो और ज्ञानयोगी बनो। यकीन मानों ज़िंदगी में सुख आज नहीं तो कल जरूर आएंगे।

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