देश सेवा के लिए सिंगापुर और सऊदी अरब युनिवर्सटी की जॉब छोड़, स्वदेश लौटे अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक डॉ रामकरण शर्मा

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दिल्ली यूनिवर्सिटी साउथ केम्पस में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर किया कार्यभार ग्रहण

दिल्ली यूनिवर्सिटी साउथ केम्पस में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर किया कार्यभार ग्रहण | Baraut News

  • विज्ञान के दम पर बजेगा भारत का डंका: डॉ. रामकरण शर्मा

बड़ौत (सच कहूँ/सन्दीप दहिया)। 10 से ज़्यादा देशों अमेरिका, जापान, इटली, रोमिनिया, स्पेन, ग्रीस, चीन, सऊदी अरेबिया और नासा, नेशनल इंस्टिट्यूटऑफ़ हेल्थ में रिसर्च करने के बाद सिंगापुर और सऊदी अरब जैसी यूनिवर्सिटी को छोड़कर भारत माता की सेवा करने के लिए बडौत के अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक डॉ रामकरण शर्मा स्वदेश लौट आये है और एसोसिएट प्रोफेसर की पोस्ट पर युनिवर्सिटी ऑफ़ दिल्ली साउथ कैंपस में कार्यभार ग्रहण कर लिया है। डॉ. रामकरण शर्मा ने कहा कि डॉ राम करण ने कहा अपने देश के लिए काम करना हमेशा से मेरा सपना था। Baraut News

मेरे पास सिंगापुर सरकार और सऊदी युनिवर्सिटी से एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में एक बहुत ही आकर्षक और सुंदर नौकरी की पेशकश थी, लेकिन मैंने अपनी मां भारती की सेवा करना चुना। उन्होंने कहा कि विज्ञान समाज की सभी समस्याओं के समाधान खोजने में मदद कर सकता है और हमारे सामने आने वाली कई बड़ी चुनौतियों को हल करने में सहायता कर सकता है। उन्हें लगता है कि भारत बहुत जल्द ही अपने वैज्ञानिकों के सहयोग से इस प्रकार से बदलेगा कि देश की सभी बड़ी समस्याओं जैसे बेरोज़गारी, भुखमरी व भ्रष्टाचार आदि पर विजय मिलेगी और भारत एक आत्मनिर्भर देश बनेगा। विज्ञान ही दुनिया में भारत को उसका पुराना रुतबा दिलाएगा।

तय किया एक छोटे से गांव से विदेशों तक का सफर | Baraut News

डॉ. रामकरण शर्मा ने एक छोटे से गांव ट्योढ़ी से आईआईटी दिल्ली, अमेरिका और एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक बनने तक की यात्रा बेहद रोमांचित रही है। बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले डॉ. रामकरण की प्रारंभिक शिक्षा ट्योढ़ी गांव के प्राइमरी स्कूल में हुई। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की और फिर अमेरिकी सरकार की ASM फैलोशिप पाकर वे शोध करने के लिए अमेरिका चले गए। यह फैलोशिप पूरे एशिया (48 देशों) में केवल एक व्यक्ति को ही दी जाती है। इसके बाद डॉ. रामकरण को एंजाइमों पर शोध करने के लिए सऊदी अरब स्थित किंग अब्दुल्ला इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से बुलावा आया जहाँ वे यूरोपियन एवं अमेरिकी वैज्ञानिकों के साथ शोध कर रहे थे।

उन्हें आईआईटी दिल्ली, अमेरिका, इटली, सऊदी अरब, नासा और जापान सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से पुरस्कार मिले हैं। मध्यम परिवार में जन्म लेकर गांव-देहात के माहौल में पालन पोषण के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान हासिल करने तक की उनकी यात्रा मजबूत इरादों, दृढ़ विश्वास और निरंतर प्रयास का बेहतरीन उदाहरण है। उनकी यात्रा हजारों-लाखों युवाओं के लिए प्रेरणादायी है। Baraut News

भारत सरकार को शोध व अनुसंधान कार्यो पर बढ़ाना होगा बजट

डॉ. रामकरण ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास पर भारत सरकार का खर्च लगातार बढ़ा है। फिर भी अधिक विकसित या विकासशील देशों में से कुछ की तुलना में यह खर्च बहुत कम है। अब सरकार को इस बार के बजट में शोध एवं अनुसंधान कार्यों के लिए ज्यादा राशि का प्रावधान करना चाहिए। इससे आने वाली चुनौतियों का सामना करने में हम ज्यादा सक्षम और सफल रहेंगे।ऐसे लोग बिरले ही होते है जो आईआईटी जैसी संस्था से पढ़ाई करने और विदेशों में १२ से ज़्यादा रहने के बाद अपनी माँ भारती की सेवा करने का जज्बा रखते हैआने वाले समय में विज्ञान के दम पर ही भारत फिर से विश्व गुरु का दर्जा हासिल करेगा। Baraut News

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